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जनवरी 2020 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

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शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

जिसे चाह अपनी मिल गयी उसे उसका खुदा मिल गया- लव तिवारी

हैरान हूं तेरे रवैये से, मेरे साथ तूने क्या किया।
ये जिंदगी को तुमने, मौत से बत्तर बना दिया।।

तेरे जफ़ा का ये हस्र है तेरा प्यार मुझको न मिल सका।
मैं वफ़ा करके तेरे साथ फिर,किसी ओर को न मिल सका।।

एक बात सुनी है दुनिया मे जिसे चाहो उसे न पा सको।
जिसे चाह अपनी मिल गयी उसे उसका खुदा मिल गया।।

मुझे इसका तो पता ही है तुम हो अमानत गैर की
मेरा दिल तुम्हारी चाह को पाने में जो विफल रहा।।

एक दुनिया अपनी थी एक दौर वो भी अजीब था ।
मेरे साथ तेरा साथ था वो पल कितना हसीन था ।।

तुम खुश रहो जिसके साथ हो ये दुआ है मेरी दिल से
जो फसल मैंने बोयी थी वो किसी ओर हिस्से में मिल गया।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 31- जनवरी-2020

गुरुवार, 30 जनवरी 2020

सरस्वती साधना पर्व: बसंत पंचमी- लव तिवारी

ॐ या देवी सर्वभुतेषु बुद्धिरुपेण संस्थिता।।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

भारत त्योहारो का देश है, यंहा पर्त्येक अवसर को त्योहार के रूप में मनाकर अपनी ख़ुशी का इजहार किया जाता हैI हमारे देश के त्योहार केवल धार्मिक अवसरों को ध्यान में ही रखकर नही मनाये जाते बल्कि ऋतु परिवर्तन के मौके का भी पर्व के रूप में ही स्वागत किया जाता हैI

ऋतु परिवर्तन का ऐसा ही एक त्यौहार है बसंत पंचमीI यह ऋतु अपने साथ कई परिवर्तन लेकर आती हैI कभी सुखकर दरकती धरती, तो कभी उसे रिमझिम फुहारों से भिगोकर मनाने कि चेस्टा करते देख, कभी शरद कि कुनकुनी धुप तो घने कोहरे मैं किसी उदास मन सी उलझी उलझी यह धरतीI मानो जैसे जो कुछ भी इंसान के मन में चल रहा है, यही प्रकृति में भी प्रतिबिंबित हो रहा हैI

बसंत पंचमी के अवसर पर चारो ओर पीली सरसों लहलहाने लगती है तथा मानव मन भी ख़ुशी से झूमने लगता हैI बसंत पंचमी के दिन से शरद ऋतु कि विदाई के साथ पेड़-पौधों और प्राणियों में नवजीवन का संचार होता हैI सभी गीतों में मदमस्त होकर झूमने लगते हैंI ये गीत होते है प्रेम के, यौवन के, यौवन कि मस्तियों के खिलने के, बिखरने के, छितरा जाने के भी, ज्यों हरे-भरे खेतों में सरसों के फूल अपनी पीली आभा के साथ मीलों-मील छितरा जाते हैं, क्योंकि यह बसंत के पर्व का अवसर होता हैI इस मौसम में कोयलें कूक-कूककर बावरी होने लगती हैं, भौरें इठला-इठलाकर मधुपान करते हैंI


बुधवार, 29 जनवरी 2020

सरस्वती पूजा और मैं- लव तिवारी

सरस्वती महामाता वीणा पुस्तक धारणे।
मम कण्ठह वसः देवी विद्या दान करो ममः।।

प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।(ऋग्वेद)
जो परम चेतना सरस्वती के रूप में  हमारी मेधा, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। ऐसी कल्याणी माँ पराम्बा ,वाग्देवी' सरस्वती' के आराधना के पर्व बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।💐💐💐🙏🙏🙏



सोमवार, 27 जनवरी 2020

फिर मुझे कोई राजनीति की पाठ पढ़ाने आया- लव तिवारी

छोटे बच्चों की तरह मुझको लुभाने आया
फिर मुझे कोई राजनीती की पाठ पढ़ाने आया

बड़ी फ़जीहत है अपनी इस दौर में नेताओं से
आज फिर से कोई मुझमे इंसानियत जगाने आया

रूखी सूखी खाता हुँ और चुपचाप सो जाता हूँ
स्वपन में खीर की झूठ हकीकत को मुझे बताने आया

इन्हें भी कसम दे इंसान के ईमान और वसूल की
वरना एक शख़्श ही सबके घर को जलाने आया

बड़ी खौफ है इस चुनावी दौर में कही रंजिश न हो
फिर कोई नेता हिन्दू मुसलमान के मसलो को उलझाने आया

छोटे बच्चों की तरह मुझको लुभाने आया
फिर मुझे कोई राजनीती की पाठ पढ़ाने आया

स्वरचित- लव तिवारी

मंगलवार, 21 जनवरी 2020

राम तेरी गंगा मैली हो गयी- अम्रित तिवारी

शपथ: जो भी कहूंगा सरकार की कही कहूंगा, अपने ‘मन की बात’ बिल्कुल नहीं- क्योंकि, उसका पेटेंट मेरे पास नहीं है----

27 जनवरी से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ “गंगा यात्रा” पर हैं। बलिया और बिजनौर से शुरू होने वाली दो यात्राएं कानपुर में आकर मिलेंगी और इस दौरान 26 जिलों को टच किया जाएगा।  मकसद है गंगा का सफाई अभियान। लेकिन, सावधान! इस यात्रा का मकसद गंगा की सफाई से बिल्कुल नहीं है। ‘गंगा यात्रा’ एक बहुत बड़ा आई-वॉश है। खलिहड़ भौकाल के अलावा कुछ भी नहीं। 2020 तक गंगा को साफ करने का यज्ञ जिन्होंने ठाना था, आज उन्हीं की सरकार ने बीते चार सालों में सिर्फ 25 फीसदी ही सफाई का काम काम पूरा किया है। ये मैं नहीं कहता, बल्कि खुद सरकार ने ही लोकसभा पटल पर आंकड़े पेश किए हैं। (इसलिए कोई फटीचर तर्क नहीं पेलेगा)। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2015 से 2019 तक कुल 20,000 करोड़ रुपये के फंड का मात्र 4,800 करोड़ रुपये ही “मिशन क्लिन गंगा” या कहें “नमामि गंगे” पर पर खर्च किया गया है।

 चार साल में महज 25 फीसदी काम हुआ है, तो क्या 75 फीसदी काम एक साल में हो जाएगा? उस पर भी तब जब देश में आर्थिक मंदी ऐतिहासिक स्तर पर है। IMF ने (संयोग से इसकी प्रमुख फिरंगी मूल की नहीं, बल्कि भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ हैं) ने विकास दर का आंकड़ा 4.8 फीसदी कर दिया है। ऐसे में आर्थिक-मंदी के दौर में 75 फीसदी काम हो पाएगा?  

‘इंडियास्पेंड’ की रिपोर्ट के मुताबिक जो अभी तक 4,800 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, उसका 3,700 करोड़ रुपये (अक्टूबर, 2018 तक) यानी 77% हिस्सा सिवेज़ ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करने में हुआ है। गौर करने वाली बात ये है कि 2015 में 96 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (गंदे नाले जो गंगा में गिरते हैं, उनको साफ करने के संयत्र) बनाने के लिए स्वीकृत हुए थे। लेकिन, इसमें सिर्फ 23 को बनाने का काम पूरा हुआ और अक्टूबर 2018 तक सिर्फ 44 का काम प्रगति पर दिखाया गया। 

पहले केंद्र सरकार ने गंगा को 2019 तक साफ करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन, यह डेडलाइन आगे बढ़ाई गई और 2020 तय कर दिया गया। लेकिन, आज भी जिस तरह का छीछालेदर है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि यह स्कीम अपनी डेडलाइन पर पूरी नहीं हो सकती। गंगा का पानी इस कदर प्रदूषित है और BOD (साधारण भाषा में समझे पानी में प्रदूषण की मात्रा का मानक) लेवल काफी ज्यादा है। कई एजेंसियों ने दावा किया है कि गंगा का पानी नहाने लायक तक नहीं है। 

जरूरी बात- मैं खुद बलिया का हूं. गंगा के तट से मेरा करीबी संबंध है। भइया हो, हमारे यहां का पानी घरों तक प्रदूषित है। आर्सेनिक लेवल इस कदर बढ़ा हुआ है कि पानी पीना तो दूर गांव के खेतों के लिए हानिकारक है। प्रशासनिक स्तर पर सिर्फ नलों को चिन्हित किया जाता है और पानी नहीं पीने की सलाह दी जाती है। (बाकिर अरे हीत! जब पानी नहीं पीएंगे तो जीएंगे कैसे?) ये चैलेंज सिर्फ बलिया ही नहीं, बल्कि गंगा के किनारे स्थित सभी जिलों के लिए है।  

सवाल- आर्सेनिक से जो हमारे लोगों को घातक बीमारियां हुई हैं, उसका हिसाब कौन देगा? क्या सरकार मेडिकल हर्जाना भरेगी? ये सवाल एक सरकार से नहीं बल्कि सभी सरकारों से है। 

बात यूपी की- डंपट के बोल रहा हूं कि यूपी में खलिहड़ ‘भगवा लंठई’ के कुछ नहीं हो रहा है। भगवा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, लेकिन इसका पथ-भ्रष्ट रूप अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं। सिर्फ गंगा के नाम पर जो राजनीतिक जमीन तैयार की जा रही है, वह एक पॉलिटिकल प्रोपगैंडा है। इमोशनल मार्केटिंग है। गंगा वैसे ही मैली हैं। लेकिन, मार्केटिंग के जरिए इसे खूब चीकन दिखाया जा रहा है। जैसे कोई प्रॉडक्ट आपको सात दिनों में गोरा बना देता है। वैसे ही बताया जा रहा है कि 2020 तक गंगा साफ हो जाएगी। लेकिन, इसके बरक्स जो सियासी जॉइंट पिलाई जा रही है, उसका असल असर तो नशा उतरने के बाद पता चलेगा। 

नोट- मुझे पता है आंकड़े, रिपोर्ट, सही तर्क इत्यादि अधिक लोगों को समझ नहीं आ पाएंगे। इसके लिए मैं पूर्व की सरकारों को कटघरे में खड़ा करूंगा। कंबख्तों ने अपने बच्चों को ऑक्सफोर्ड भेजा और हमारे लिए महाविद्यालयों की राजनीतिक फौज खड़ी कर डाली...।   

एक लास्ट- "माफ करना थोड़ा इधर-उधर बहक जाता हूं"

मंगलवार, 14 जनवरी 2020

मकरसंक्रांति खिचड़ी का पर्व और मैं- लव तिवारी

भारतीय धर्म और संस्कृति में 5 साही स्नान का बहुत महत्व है , मकरसंक्रांति , अमस्वा, शिव रात्रि , और बसन्त पंचमी । मकर संक्रांति को हम खिचड़ी का त्यौहार भी कहते है। पुरानी मान्यताओ के आधार पर एक गरीब ब्रम्हाण जो कई दिन से भूखा था और एक गांव में भिक्षा के दौरान उसे थोड़े थोड़े मात्रा में कई अन्य मिले । सब अन को एक साथ मिलकर उसने खिचड़ी पकाई और बाद में उसको स्प्रेम भाव से खाने बैठ गया। तभी से मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व के रुप मे मनाते है। और जन आदरणीय जन सम्पन्न होते हो वो ब्रम्हाण दान के साथ ब्रम्हाण भोजन भी कराते है।

विज्ञान के आधार पर हिन्दू धर्म का मात्र एक ही त्यौहार है जिसकी दिन और समय निहित है। जब सूर्य की किरणें मकर रेखा पर सीधे पड़ती है तो उस विशेष दिन को हम मकरसंक्रांति पर्व (खिचड़ी) पर्व को मनाते हैं। लड़के इस पर्व का आनंद पतंग उड़ा कर था गांव में लड़कियां खेतो में साग खा कर इस पर्व को हर्षो उल्लास से मानते/मनाती है।इसका एक वैज्ञानिक कारण यह भी है कि जब सूर्य की किरणें मकर रेखा पर पड़ती है तो वो शरीर के लिए बहुत लाभदायक होती है । शरीर पर सूर्य के प्रकाश का पड़ना बहुत उपयोगी एवम स्वस्थ वर्धक है। 

बचपन मे मैं जब गांव में रहता था तब तक इस पर्व का आनंद हमने जम कर लिए अब परदेश में इस पर्व की केवल अनौपचारिकता ही रह गयी है। खिचड़ी के दिन का इनंतेजार हम बड़े उत्सुकता से करते थे और करे भी क्यो न  सुबह सुबह दादा स्वर्गीय पंडित राम सिंहासन तिवारी जी के साथ गंगा स्नान के लिए निकल जाते थे स्नान के बाद खिचड़ी पर्व की शुरुवात दही चुरा के साथ अपने घर पर होती थी। अगर किसी विशेष व्यक्ति जन के आग्रह पर और बाबा के आदेशानुसार हमे किसी दूसरे के घर भी दही चुरा को खाने के लिए जाना पड़ता था। लोगो के द्वारा अन दान का सिलसिला भी उस दिन होता था। जिससे लोगों के स्प्रेम मुलाकात के जो आनंद मिलते थे वो अब आधुनिक जमाने मे नही के बराबर ही या थोड़े ही रह गए है। सुबह के भोजन के बाद दोपहर में लड़कों के झुंड के साथ हम खेतो में साग खाने निकल जाते थे और दिन भर साग खाने के उपरांत कुछ साग घर के लिए भी लाये जाते थे। रात्रि भोजन में खिचड़ी का सेवन कर के सो जाते थे इस तरह मकरसंक्रांति (खिचड़ी) का त्यौहार का आनन्द हम बचपन मे खूब अच्छे ढंग से करते थे।

सोमवार, 13 जनवरी 2020

आर्थिक स्थिति के आधार पर हो आरक्षण न कि जाति के आधार पर - लव तिवारी

ये हैं मुकेश। 
जाति से ब्राह्मण हैं, नाम मुकेश मिश्र है। बनारस में अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के लिए हफ्ते में तीन दिन रिक्शा चलाकर धन अर्जित करते हैं।
इनके पिता जी का देहांत हो चुका है। मुकेश जी बनारस में रहकर अपने एक छोटे भाई को पालिटेक्निक (सिविल) करवा रहे हैं। मुकेश स्वयं Net Exam निकाल चुके हैं और Economics (अर्थशास्त्र) विषय से अभी वर्तमान समय में Phd कर रहे हैं। 
जब मैंने मुकेश मिश्र से एक मुलाकात में पूछा कि--- आप की पारिवारिक दुर्दशा पर क्या कभी कोई सरकारी मदद आपको मिला है ? 
उन्होंने हँस कर मुझे जवाब दिया--- "क्या सर जी, ब्राह्मण हूं जन्म से। भीख मांग लूंगा, यह करना हमारा स्वभाव है। हमने भीख मांगकर देश का निर्माण किया है। दान ले कर दूसरे को और समाज को दान में सब कुछ दिया है। हम सरकार से अपेक्षा क्यों करें ? हम स्वाभिमान नहीं बेच सकते। हम आरक्षण के लिये गिड़गिड़ा नहीं सकते। हम मेहनत कर सकते हैं। रिक्शा चलाने में अपना स्वाभिमान समझते हैं। किसी का उपकार लेकर जीना पसन्द नहीं है।परशुराम के वंशज हैं। हम पकौड़ा तल कर अपने और अपने भाई की पढ़ाई पूरी कर सकते हैं, करेंगे। आप देखियेगा, कल हम खड़े हो जायेंगे। पीएचडी पूरी कर कहीं लग जायेंगे। रिक्शा भी चलाते हैं । मेहनत से पढ़ाई भी पूरी करते हैं।पीएचडी मेरी तैयार है। टाइप वगैरह के लिये थोड़ा और रिक्शा चलाऊंगा। भाई की पढ़ाई भी पूरी होने वाली है। माता की सेवा भी करता हूं। मां को कुछ करने नहीं देता। वे बस हमें दुलार कर साहस दे देती हैं। आप तो जानते ही हैं कि भारत के अन्दर ब्राह्मण जाति का अर्थ नेताओं की नजर में सिर्फ एक गुलाम होता है। सरकार सिर्फ दलित एवं पिछड़े वर्गों के लिए कार्य करती है। मेरे साथ चलिए, मैं ऐसे हजारों ब्राह्मण नवयुवकों से आप सभी को मिला सकता हूँ जोकि बनारस जैसे धार्मिक शहर में मजदूरी कर रहे हैं और अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। सभी स्वाभिमान से अपना काम करते हैं। किसी के आगे गिड़गिड़ाते नहीं। सभी तेज हैं। किसी प्रकार के पाखंड में नहीं जीते। अपने लक्ष्य के लिये मेहनत करते हैं। कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता। आवश्यकता है लक्ष्य भेदने की। हम सब खुश हैं स्वाभिमान से जीने पर।"

रविवार, 12 जनवरी 2020

तमाम कोशिशों के वावजूद हम तुम्हे न भूल पाये- लव तिवारी

तमाम कोशिशों के वावजूद हम तुम्हे न भूल पाये।
ये कैसी जिंदगी है कि आज भी न हम संभल पाये।।

मोहब्बत इनायत और वफ़ा ये मेरी तकदीर में नही।
ये बात समझ मे आयी फिर भी न हम बदल पाये।।

उदास मन है तन्हाई में गुजरते है मेरे दिन रात।
ये सफर कैसा था जो एक दूसरे के न हम बन पाये।।

आदते अब भी सुमार तुम्हें सोच कर कुछ लिखने को।
ये मोहब्बत चीज ही ऐसी जिसे हो वो न कुछ कर पाये।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 12- जनवरी-2020

शनिवार, 11 जनवरी 2020

सब कहते है बिगड़ गए है हम- लव तिवारी

सबकी नजरों से गिर गए है हम।
जबसे तुमसे जो मिल गए है हम।।

आदते मेरी आज कल है ऐसी।
सब कहते है कि बिगड़ गए है हम।।

तुमको चाह कर क्या गुनाह किया।
लोग कहते कितने बदल गए है हम।।

तुमसे मिलने की आदते देखकर।
सबका कहना है कि क्या कर रहे है हम।।

उनको पता नही मोहब्बत की बाते
एक दूसरे बिन आज मर रहे है हम

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 12 जनवरी 2020





शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

मातृ भाषा की अपनी पहचान हिंदी दिवस विशेष- लव तिवारी

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और भाषा से उसके राष्ट्र एवं क्षेत्र की पहचान होती है। व्यक्ति विशेष की पहचान में भाषा का विशेष योगदान है फिर भाषा का अर्थ जहा एक दूसरे की बात को समझना के साथ संस्कृति और सभ्यता से भी  है। अत्याधुनिक युग मे इस भाषा का उपयोग धीरे कम होता जा रहा है हर व्यक्ति अंग्रेजी भाषा की ओर ध्यान केंद्रित कर रखा है। जैसी भाषा वैसी संस्कृति के ओर अग्रसर इस भारतीय नागरिको की मन बुद्धि भी संकुचित हो रही है।



बुधवार, 8 जनवरी 2020

इवेन ओड की सफलता के बाद इसे पूर्ण रूप से लागू करे केजरीवाल सरकार- लव तिवारी

01 जनवरी 2016 से even और odd नंबर वाहनों की नियम जो अब पूर्ण रूप से सफलता की तरफ अग्रसर हो रहा है , इसके लिए हम दिल्ली सरकार और केजरीवाल साहब को शुभकामनाओ के साथ तहे दिल से धन्यबाद देते है ,  उनके इस असंभव कार्य और सामाजिक निष्ठा का पूर्ण समर्थन कराते है , लेकिन कही न कही एक बात मन में हमेशा संदेह पैदा कर रही है दिल्ली पर आर्थिक बोझ और वाहनों की संख्या में इजाफा तो होना तय है,  क्यों की कुछ वयक्ति की मानसिक स्थिति और इरादे नहीं बदले है और वो नयी रणनीति की फ़िराक में है जैसा की हमने पहले पोस्ट में लिखा था कि दिल्ली में मेट्रो परिचालन के बाद कुछ दिन तक ही परिस्थिति काबू में थी बाद में सभी स्थिति पहले जैसी ही हो गयी, दिल्ली या पूरा देश किसी मोदी और केजरीवाल का न हो कर हम सभी का है , सही कार्यो का समर्थन और जिम्मेदारी हम सभी का है ,एक विचार और मेरे मन में है अगर कोई चार पहिया वाहन जिसमे उनके संख्या के आधार पर लोग बैठे हो उन वाहनों का चालान न काटे जाये और हमारा जहा तक अनुमान है सरकार को सभी लोगो से विचार करके अपने नियमो में बदलाव की भी जरुरत है 

इस पोस्ट के साथ जो तस्वीर लगाई गयी है उसका इस पोस्ट से कोई ताल्लुकात नहीं है , यह एक प्रमोशन की प्रकिया है जिससे लोगो के पास हमारी बात पहुच सके

हमारी दिल्ली , स्वस्थ दिल्ली
जय हिन्द ,जय भारत , जय दिल्ली

प्रस्तुति - लव तिवारी

मंगलवार, 7 जनवरी 2020

सामर्थ के आधार पर ही सहयोग का आस्वासन दे - लव तिवारी

एक ठंडी रात में एक अरबपति बाहर एक बूढ़े गरीब आदमी से मिला। उसने उससे पूँछा क्या तुम्हें बाहर ठंड महसूस नही हो रही है और तुमने कोई कोट भी नही पहना है?

बूढ़े ने जवाब दिया मेरे पास कोट नही है लेकिन मुझे इसकी आदत है।
अरबपति ने जवाब दिया मेरे लिए रुको मैं अभी अपने घर में प्रवेश करूंगा और तुम्हारे लिए एक कोट ले लाऊंगा।

वह बेचारा बहुत खुश हुआ और कहा कि वह उसका इंतजार करेगा। अरबपति अपने घर में घुस गया और वहां व्यस्त हो गया और गरीब आदमी को भूल गया।

सुबह उसे उस गरीब बूढ़े व्यक्ति की याद आई और वह उसे खोजने निकला लेकिन ठंड के कारण उसे मृत पाया लेकिन उसने एक चिट्ठी छोड़ी थी जिसमे लिखा था कि "जब मेरे पास कोई गर्म कपड़े नही थे, तो मेरे पास ठंड से लड़ने की मानसिक शक्ति थी।
लेकिन जब आपने मुझे मेरी मदद करने का वादा किया तो मैं आपके वादे से जुड़ गया और इसने मेरी मानसिक शक्ति को खत्म कर दिया।

अगर आप अपना वादा नही निभा सकते तो कुछ भी वादा न करें।
यह आप के लिये जरूरी नही भी हो सकता है लेकिन यह किसी और के लिए सब कुछ हो सकता है।
🙏🙏🙏

सोमवार, 6 जनवरी 2020

गैर इस्लाम से इस्लामिक देश गाम्बिया - लव तिवारी

15Dec.2015 को धर्मनिरपेक्ष देश गाम्बिया बना 57वां इस्लामिक राष्ट्र
जब 1965 में ब्रिटेन से आजाद हुआ तब इस देश में 25% मुस्लिम,
55% ईसाई व 20% में बहावी बौद्ध और हिंदू,
2000 मुस्लिम 40%,
2010 मुस्लिम 65%
2014 मुस्लिम 90%
2015 इस्लामिक देश, 
इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ गाम्बिया!

राष्ट्रपति ने मुस्लिम जनसँख्या अधिक होते ही घोषित कर दिया इस्लामिक राष्ट्र..
सेकुलरिज्म तभी तक चला जबतक मुस्लिम अल्पसंख्यक थे,बहुसंख्यक होते ही लागू हुआ इस्लामिक शरिया कानून जो लोग मुसलमानों की इस मौलिक बात को नहीं समझेंगे वे हमेशा भटकते रहेंगे
मुसलमान केवल तब तक ही धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक होता है जब तक वो अल्पमत में होता हैं।ये दोनों सिद्धांत उनके लिए आस्था के बिंदु नहीं बल्कि एक हथियार हैं।वास्तव में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता इस्लाम में हराम है।आप स्वयं पता करोगे तो पाओगे की दुनिया का कोई भी मुस्लिम देश लोकतांत्रिक या धर्मनिरपेक्ष नहीं है।वे इस्लामी गणतंत्र से ऊपर नहीं उठ सकते।जैसे ही मुसलमान बहुसंख्यक होते हैं,लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता उड़ जाते हैं।इसके विपरीत जब ये अल्पमत में होते हैं तो इनको सारे अधिकार चाहिए,परंतु जैसे ही बहुसंख्यक होते हैं कट्टर इस्लामिक बन जाते हैं, जो अल्पमत वालों को जीने का भी अधिकार नहीं देते।

सारी दुनिया और भारत में कहीं भी नज़र डालिए, मेरी बात समझ आ जायेगी। दुःख इस बात का है कि अधिकांश हिंदू अभी भी इस वास्तविकता पर आँखें मूंदे रहते है।

कुछ लोग है जो इस दौर में मोदी सरकार से ही जल गये- लव तिवारी

शहर के दंगे देखकर गली के बच्चे भी डर गये।
जो रहते एक साथ, वो अपने मे ही झगड़ गये ।।

कुछ हाल ऐसा अपने मुल्क में भी है आज कल।
जो अपने थे वो आज गीता कुरान के लिए लड़ गये।।

न हुनर रही न सलीका किसी के साथ उठने बैठने की।
बच्चों में जो तहज़ीब चाहिए वो अब किताब तक रह गये।।

भूख और बेरोजगारी ये आज की नही है फसाद "लव"।
कुछ लोग है जो इस दौर में मोदी सरकार से ही जल गये।।

रचना- लव तिवारी 
दिनांक- 06- जनवरी- 2020


रविवार, 5 जनवरी 2020

आगे-आगे समाज और पीछे-पीछे सरकार चलेगी तभी गोवंश सुरक्षित होंगे- नीतीश सिंह

आगे-आगे समाज और पीछे-पीछे सरकार चलेगी तभी गोवंश सुरक्षित और किसान खुशहाल  होंगे: नीतीश सिंह 
....

बेसहारा गोवंश की समस्या पूरे प्रदेश में है। गोकशी पर कानूनी रोक लगने के बाद गोवंशों को गांव से निकालना दूभर हो गया। इससे गांवों में सैकड़ों बेसहारा गोवंश जुट गये। बेसहारा और बेकार जानवरों खेती-किसानी के लिए खतरा बन गये। प्रदेश सरकार ने लोक आस्था और अपनी विचारधारा के अनुरुप गोवंश को व्यक्तित्व माना और उनकी हत्या पर कानूनी रोक लगा दी।  ऐसे गोवंशों को जीवन जीने के अधिकार मिले और हिंदू आस्था की रक्षा भी हुई। सरकार ने गोवंशों की सुरक्षा, चारा और पानी का इंतजाम करने की बेशक व्यवस्था तो बनाई पर हरेक गोवंश के लिए 30 रुपये प्रतिदिन का मानक व्यवहारिक नहीं सिद्ध हो रहा। सरकारी अमला से लेकर लोग 30 रुपये में गोवंश के पेट भरने की आलोचना करते हैं।वास्तव में इतने कम पैसे में भूसे के अलावा खली, चून्नी और अन्य खाद्य की व्यवस्था नहीं हो सकेगी। 

आज सरकार ने सेस लगाकर गोवंश के लिए पैसे जुटाने की पहल तो की है, इससे जरूर कुछ राजस्व आ जाएंगे। लेकिन उत्तर प्रदेश में ही  11 लाख के करीब बेसहारा गोवंश हैं, वहीं अपने जिले में एक हिसाब से 15 हजार के करीब बेसहारा गोवंश होंगे। यदि आप प्रदेश सरकार का बजट देखेंगे तो हर वित्त वर्ष में घाटे का बजट पेश होता है। सरकार की आमदनी से ज्यादा खर्चें रहते हैं। ऐसे में सरकार को समाज के भी सहयोग की जरूरत पड़ती है। एक हिंदू होने के नाते आस्थावश सबको अपनी क्षमता के मुताबिक इस लोक कार्य में सहयोग करना चाहिए। 
जनप्रतिनिधि, व्यापारी, युवा और बड़े किसानों को सबसे पहले आगे आना चाहिए। गांव-2 में गोशाला बनाने और उसके संचालन में सहयोग करके इस व्यवस्था को दुरुस्त करनी चाहिए। अन्यथा सरकार के भरोसे न खेती बच पाएगी और न गोशाला टीक पाएंगे। 

यह फोटो : पटकनिया गांव के अस्थायी गोशाला की है।

गांव गाय गौशाला और योगी सरकार -लव तिवारी

गांव गाय और गौशाला यह एक वास्तविक विषय बना था । जिस पर योगी सरकार ने कार्यवाही करते सही दिशा निर्देश दिए है। अधिकतर अपने गांव के आदरणीय जन से बातो में एक यही सबसे बड़ी खामियां लोग बताते थे आवारा पशुओं और उनके द्वारा  खेतों के नुकसान जिससे किसानों का बुरा हाल होता था। योगी सरकार को गैर बीजपी सरकार ने बदनाम कर रखा था  इसका कारण कत्ल खानों पर सरकार के पाबन्दी से आवारा पशुओं की संख्या में बढ़ोतरी । अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलों के जिला अधिकारियो को  सख्त निर्देश है कि सभी आवारा पशुओं को जिले के गौशाला में एकत्रित किया जाय तथा योगी ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति गोशाला में गायों को छुड़ाने आता है, तो उससे जुर्माना वसूला जाए. मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि गायों को चारा, पानी और सुरक्षा भी मुहैय्या कराई जाए. उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधियों और व्यापारियों को भी इसमें योगदान करना चाहिए. इससे पहले मंगलवार को योगी सरकार ने सड़क में घूमती आवारा गायों के लिए गोशाला बनाने के लिए नए सेस का फैसला लिया. 'गौ कल्याण सेस' का उपयोग गोशाला बनाने और उसकी देखभाल करने के लिए किया जाएगा.

मेरे द्वारा माननीय मुख्यमंत्री को एक सुझाव है गांव के अधिकतर ग्राम सभा की जमीनों पर दबंगो का कब्जा हो रखा है। बढ़ती जनसंख्या और लूट खोस की वजह से गांव के दबंग लोग वो किसी भी जाति से सम्बंध रखते हो गांव के ग्राम सभा की जमीनों पर कब्जा जमा रखा है। इन जमीनों पर पर्याप्त मात्रा में घास होती थी जिससे गांव के आवारा पशुओं का भोजन का काम इन सभी जगहों से हो जाता था। अगर गरीब या निम्न समुदाय जिसको उस जमीन की जरूरत हो अगर वो उस जमीन पर  गुजर बसर कर रहे होते है तो बात समझ मे आती है  मैंने अपने जिले के कई ऐसे गांव देखे है जहाँ अवैध रुप से सरकारी एवं ग्राम सभा की जमीनों पर लोगो द्वारा कब्जा कर रखा है
प्रस्तुति-लव तिवारी


शनिवार, 4 जनवरी 2020

छुटी जाइ जगवा के जेतना झमेल बा- गोपाल राय

अरे आइल अकेल तोहके जायके अकेल बा
छुटी जाइ  जगवा के जेतना झमेल बा
छुटी जाइ जगवा के...

कितनो तू सईहरब बाकी अंत समय आवेला
ये जिनगी के दियना फिर लुपुर झुपर ताके ला
उतने जरेला जेतना ओकरा में तेल बा
छुटी जाइ जगवा के...
अइले अकेल तोहके......

जिनगी ह स्टेशन एगो चहल पहल बा भारी
हरियर झंडी गार्ड देखवलस चले का बा तैयारी-2
सुन सुन लागेला अब त छूट गइल रेल बा
छुटी जाइ जगवा के...
अइल अकेल तोहके......

पहिला बचपन दूसरा जवानी जे पर सब अगराला
तीसरे चढल बुड़वती मनवा कांप कांप रही जाले
इहे तीन घंटा वाला जिनगी के खेल बा 
छुटी जाइ जगवा के...
अइले अकेल तोहके

इंतिहान में पास भईल जो राम राम गोहरवलस
माया ठगनी ए दुनिया पल पल नाच नचवलस
हँसे वाले एकरा में जीरो पा के फेल बा
छुटी जाइ जगवा के...
अइले अकेल तोहके

छूट जाई जगवा......
अइले अकेल तोहके

चलत बेरिया हो चलत बेरिया हमके उड़ाये चदरिया- गोपाल राय

लकड़ी जल कोयला भई कोयला जल भई राख
मैं पापन ऐसी जली कोयला भई न राख

चलत बेरिया हो चलत बेरिया हो चलत बेरिया
हमके उड़ाये चदरिया चलत बेरिया
चलत बेरिया..........4

प्राण राम जब निक्सन लागे 
निक्सन लागे निकासन लागे
उलट गई दोनु नयन पूतारिया
चलत बेरिया.....
हमके उड़ाये चदरिया....

भीतर से जब बाहर आये-2
बाहर आये हो बाहर आये
छूट गई सब महल अटरिया-2
चलत बेरिया हो....
हमके उड़ाए चदरिया....

चार जने मिल खाट उठाइहे-2
खाट उठाइहे खाट उठाइहे-2
चार जने मिल खाट उठाइहे
रोयत ले चले डगर डगरिया
चलत बेरिया हो चलत बेरिया....
हमके उड़ाए चदरिया.....

कहत कबीर सुनो भाई साधो-2
सुनो भाई साधो सुनो भाई साधो-2
कहत कबीर सुनो भाई साधु
संग चली वही सुखी लकड़िया
चलत बेरिया हो.....
हमके उड़ाये चदरिया.....