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रूबरू वक्त से मिल के आओ प्रिये गीत कुछ धूप के गुनगुनाओ प्रिये- -कुमार शैलेन्द्र ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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सोमवार, 28 अगस्त 2023

रूबरू वक्त से मिल के आओ प्रिये गीत कुछ धूप के गुनगुनाओ प्रिये- -कुमार शैलेन्द्र

 रूबरू वक्त से,

मिल के आओ, प्रिये !
गीत कुछ धूप के
गुनगुनाओ, प्रिये ।।
कश्मकश जीस्त की
दर्द ही हर जु़बां ।
खौफ़ तूफान-बादल
सुनामी हवा ।
नवसृजन तूलिका ,
नभ उठाओ, प्रिये ।।

गुरबतें जुल्मतें
ढूँढ़तीं वल्लरी,
जि़न्दगी चाहती
स्नेह की निर्झरी,
प्रीति-वीणा के
स्वर झनझनाओ, प्रिये।।

यंत्रवत् तंत्रिका की
अजब साँकलें,
झुरमुटों में सशंकित
नई हलचलें ,
बुलबुलें इन्द्रधनु तक
उडा़ओ, प्रिये।।

टूटे मन में अटल
सत्य विश्वास भर,
खग विहग -पंख में
शक्ति-एहसास भर,
नीले आकाश तक
ध्वज उडा़ओ प्रिये।।
गीत कुछ धूप के
गुनगुनाओ, प्रिये ।।