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राम से बड़ा राम का नाम अवध का दुनिया को पैगाम रचना --कुमार शैलेन्द्र ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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सोमवार, 28 अगस्त 2023

राम से बड़ा राम का नाम अवध का दुनिया को पैगाम रचना --कुमार शैलेन्द्र

 
 राम से बड़ा राम का नाम।
         अवध का दुनिया को पैगाम ।।         
न्याय हो जन-मन सुख का धाम : 
 शांति प्रियता, जनहित-परिणाम ।।
समय- सरयू-जल का आह्वान :
खिले हर अधर- अधर मुस्कान।।
सूर्य की रश्मि लिखे प्रतिदान :
भारती माँ - छवि हिन्दुस्तान।।
युगों तक अमर अटल विश्वास :
सोन माटी- प्रण नीलाकाश।।
नित्य नूतन मानुष- आभास :
सभ्यता-संस्कृति का इतिहास।।
प्रेम- धन, संयम का संदेश :
धवल हिम -आँचल प्यारा देश।।
प्रकृति संपादित धन परिवेश : 
ध्वनित मंगल कामना अशेष।।
न्याय की तुला ईश -पहचान :
बाट है सूझ- बूझ , ईमान।।
राम रमता जोगी का भान :
त्याग तप रघुकुल- गौरव-गान।।
समेटे ऋषियों का सम्मान :
पुरातन भारत भूमि महान।।
जहाँ हर मजहब धर्म समान :
जहाँ सिख- हिन्दू मुसलमान।।
जहाँ पर ख़ुदा ग्रन्थ भगवान :
जहाँ द्वय गीता और कुर आन।।
सत्य का मौलिक अनुसंधान :
राम दृढ़ न्यायिक अनुष्ठान ।।
प्राण -प्रण पल पल श्रद्धा- मान :
यज्ञ- अभिमंत्रित मनु -विज्ञान।।
जगाये दया - समर्पण- बोध :
मिटा दे नित समस्त अवरोध।।
अयोध्या में प्रतिबन्धित युद्ध :
बने हर प्राणि ,शुद्ध तम बुद्ध ।।
ज्ञान का संचालन -विस्तार :
सिखाता करतब जन- अधिकार।।
अहा! यह सुखद-सुभग संयोग :
एक हैं '" हम भारत के लोग" ।।
ऋचाएँ गंगा , वैदिक - मंत्र:
आचमन करता, भारत - तंत्र।।
यहाँ जीवन चलने का नाम :
जहाँ उर के अंदर प्रभु राम।।
रामयश वाल्मीकि -- सुखधाम :
भक्त तुलसी मन - मन्दिर राम ।।
जहाँ पर कुलगुरु मान वशिष्ठ :
राम, रैदास भक्त - प्रिय -इष्ट ।।
अतुल गति राम लक्ष्मण धाम :
कुशिकमुनि- यज्ञसफल अविराम।।
पवन सुत हनूमान--- श्री राम :
जगतपति कोशलेश प्रभु नाम।।
ब्रह्म - दर्शन छवि शुचि आयाम :
भरत को चरण पादुका , राम।।
जगत मर्यादाओं के राम :
जीव अभिलाषाओं के नाम।।
विभीषण लंकापति संग्राम :
मनुजता - स्थापन , पैगाम।।
भजें सुख दायी सीताराम :
मिटे जग- मग बाधा उद्दाम ।।
दिया शबरी को माँ -सम्मान :
नहीं दूजा जग में उपमान।।
नहीं क्षण भर जिनको विश्राम :
उसे जगजीवन सतत प्रणाम।।
करें तृण मूल रोम वन्दन :
कृपा निधि जय रघुकुलनन्दन ।।
कुशल कौशल पुर अवध नरेश:
लंक पुर में प्रभु रामा वेश ।।
कैकेयी मातुल - हृदय ललाम:
पाद पंकज में ध्वनित प्रणाम।।
मातु कौशल्या -दशरथ - राम :
जगत जीवन के मंगल राम।।
जयति जय जपे, जगत जयराम :
राम श्री राम राम : हरि नाम।।