राम से बड़ा राम का नाम। अवध का दुनिया को पैगाम ।। न्याय हो जन-मन सुख का धाम : शांति प्रियता, जनहित-परिणाम ।। समय- सरयू-जल का आह्वान : खिले हर अधर- अधर मुस्कान।। सूर्य की रश्मि लिखे प्रतिदान : भारती माँ - छवि हिन्दुस्तान।। युगों तक अमर अटल विश्वास : सोन माटी- प्रण नीलाकाश।। नित्य नूतन मानुष- आभास : सभ्यता-संस्कृति का इतिहास।। प्रेम- धन, संयम का संदेश : धवल हिम -आँचल प्यारा देश।। प्रकृति संपादित धन परिवेश : ध्वनित मंगल कामना अशेष।। न्याय की तुला ईश -पहचान : बाट है सूझ- बूझ , ईमान।। राम रमता जोगी का भान : त्याग तप रघुकुल- गौरव-गान।। समेटे ऋषियों का सम्मान : पुरातन भारत भूमि महान।। जहाँ हर मजहब धर्म समान : जहाँ सिख- हिन्दू मुसलमान।। जहाँ पर ख़ुदा ग्रन्थ भगवान : जहाँ द्वय गीता और कुर आन।। सत्य का मौलिक अनुसंधान : राम दृढ़ न्यायिक अनुष्ठान ।। प्राण -प्रण पल पल श्रद्धा- मान : यज्ञ- अभिमंत्रित मनु -विज्ञान।। जगाये दया - समर्पण- बोध : मिटा दे नित समस्त अवरोध।। अयोध्या में प्रतिबन्धित युद्ध : बने हर प्राणि ,शुद्ध तम बुद्ध ।। ज्ञान का संचालन -विस्तार : सिखाता करतब जन- अधिकार।। अहा! यह सुखद-सुभग संयोग : एक हैं '" हम भारत के लोग" ।। ऋचाएँ गंगा , वैदिक - मंत्र: आचमन करता, भारत - तंत्र।। यहाँ जीवन चलने का नाम : जहाँ उर के अंदर प्रभु राम।। रामयश वाल्मीकि -- सुखधाम : भक्त तुलसी मन - मन्दिर राम ।। जहाँ पर कुलगुरु मान वशिष्ठ : राम, रैदास भक्त - प्रिय -इष्ट ।। अतुल गति राम लक्ष्मण धाम : कुशिकमुनि- यज्ञसफल अविराम।। पवन सुत हनूमान--- श्री राम : जगतपति कोशलेश प्रभु नाम।। ब्रह्म - दर्शन छवि शुचि आयाम : भरत को चरण पादुका , राम।। जगत मर्यादाओं के राम : जीव अभिलाषाओं के नाम।। विभीषण लंकापति संग्राम : मनुजता - स्थापन , पैगाम।। भजें सुख दायी सीताराम : मिटे जग- मग बाधा उद्दाम ।। दिया शबरी को माँ -सम्मान : नहीं दूजा जग में उपमान।। नहीं क्षण भर जिनको विश्राम : उसे जगजीवन सतत प्रणाम।। करें तृण मूल रोम वन्दन : कृपा निधि जय रघुकुलनन्दन ।। कुशल कौशल पुर अवध नरेश: लंक पुर में प्रभु रामा वेश ।। कैकेयी मातुल - हृदय ललाम: पाद पंकज में ध्वनित प्रणाम।। मातु कौशल्या -दशरथ - राम : जगत जीवन के मंगल राम।। जयति जय जपे, जगत जयराम : राम श्री राम राम : हरि नाम।।
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