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धनुरासन अपनी पुस्तक समग्र योग सिद्धांत एवं होमियोपैथिक दृष्टिकोण से डाॅ एम डी सिंह ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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गुरुवार, 20 जुलाई 2023

धनुरासन अपनी पुस्तक समग्र योग सिद्धांत एवं होमियोपैथिक दृष्टिकोण से डाॅ एम डी सिंह

धनुरासन

एक महत्वपूर्ण आसन जिसकी प्रत्यंचा चढ़ा कर योगी बुढ़ापे को लक्ष्य करता है, और पा लेता है आगे को झुकी हुई कमर को सदैव युवकों की तरह सीधा रखने का वरदान। बिना लक्ष्य के किसी योग की कल्पना भी नहीं की जा सकती। किसी लक्ष्य को वेेधने की बात आती है तो सर्वप्रथम धनुष-वाण की याद आती है। तो क्या कोई प्रत्यंचा चढ़ी हुई धनुष बिना तीर के किसी लक्ष्य को वेध सकती है क्या? सीधा सा जवाब होगा नहीं।

ध्यान करता हूं तो पाता हूं अत्यंत विस्मयकारी है यह आसन। पेट के बल लेट कर, दोनों टांगों को पीछे की तरफ मोड़ कर, नितंबों पर रख देते हैं। फिर दोनों पांवों को दोनों हाथों से घुट्ठियों के पास से पकड़कर धीरे-धीरे सांस अंदर भरते हुए आगे ऊपर की तरफ खींचते हैं। इस प्रक्रिया में आगे से सिर, गर्दन, कंधे और छाती ऊपर पीछे की ओर तन जाते हैं तो पीछे से जांघों, नितंब, कमर और पीठ-पेट के कुछ हिस्से ऊपर आगे की तरफ उठ जाते हैं। योगी के पेट का मध्य हिस्सा जमीन पर रह जाता है। इस प्रकार हाथ और पैर प्रत्यंचा का रूप लेते हैं तथा शरीर के बाकी हिस्से धनुष का। इस तरह योगी नीचे की तरफ तनी, पृथ्वी पर रखी हुई धनुष की तरह दिखाई पड़ता है। यहां वह धनुष से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ जाता है और उसकी शक्तियों को अपने भीतर आवाहित करता है। धनुष में प्रक्षेपण की अपार शक्तियां समाहित हैं। इसलिए इस आसन द्वारा हम शरीर के अंदर-बाहर किसी भी लक्ष्य को चिन्हित कर वेधने का प्रयास कर सकते हैं।

किंतु यहां सवाल उठता है तीर कहां है? इसी सवाल का जवाब सामान्य से दिखने वाले इस सहज आसन को अत्यंत अद्भुत बना देता है। वह तीर है योगी द्वारा ध्यान किया गया कोई भी अदृश्य, अमोघ वाण, जिसके माध्यम से वह अपने अंतःकरण की अशुद्धियों को भस्म कर देता है। वैसे ही जैसे होम्योपैथिक औषधियां मनोविकारों को भी अपनी अदृश्य शक्तियों द्वारा नष्ट कर देती हैं।

इस आसन को सांस रोकने तक दो-तीन बार दोहराया जा सकता है।

इस प्रकार हम देखते हैं धनुरासन किसी अन्य की तरफ उठी हुई धनुष नहीं वरन अपने अंतःतम
को लक्षित अदृश्य वाण साधे एक अप्रतिम आसन है।

(अपनी पुस्तक 'समग्र योग सिद्धांत एवं होमियोपैथिक दृष्टिकोण' से)

डाॅ एम डी सिंह