आज गाजीपुर के महान समाजसेवी श्री बोधा जयसवाल जी से शिष्टाचार मुलाकात अपने आवास चंद्र कॉलोनी पीर नगर ग़ाज़ीपुर में हुई। परम आदरणीय बोधा जायसवाल समाज सेवी जी गाजीपुर के महान संत जगद्गुरु दांडी स्वामी श्री दयानंद सरस्वती जी महाराज के जन्मभूमि ग्राम देवा दुल्लहपुर के निवासी है,और साथ ही उनके अनन्य भक्त है। स्वामी जी के दिखाए मार्गदर्शन पर चलते हुए समाज में स्थित किसानों की पीड़ा, सामाजिक कुरीतियों, भ्रष्टाचार एवं अन्याय के प्रति लड़ते हैं। आज बड़े संयोग की बात है कि जायसवाल जी को जो मैं यूट्यूब और सोशल मीडिया पर उनके कारनामे को सुनता और जानता था, आज मैं उनसे मिलने उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला। साथ ही ग़ाज़ीपुर के न्यूज़ चैनल Raw24news के संस्थापक परम आदरणीय श्री Rajan Ojha जी एवं उनके सहयोगी अन्य यूट्यूबर क्रमशः श्री संतोष कुशवाहा जी, श्री अंगारा लाल जी, श्री शेषनाथ बिंद एवं जन आदर्श भारत यूट्यूब चैनल के संस्थापक श्री रजनीश जी से स्नेहल मुलाकात हुई।।
निबंध, नाटक, उपन्यास, कहानी, आलोचना, संस्मरण, रेखाचित्र, आत्मकथा, जीवनी, डायरी, यात्राव्रत, कविता, गज़ल, भजन, भोजपुरी, नवगीत, हिन्दीफिल्मी गीत, शायरी, भोजपुरी गीत, पत्र लेखन, जीवन परिचय, भारत की संस्कृति के लिए , लघुकथा, विज्ञानकथा, व्यंग, पुस्तक समीक्षा,भाषा की उन्नति के लिए, साहित्य के प्रसार के लिए, लव तिवारी
बुधवार, 28 सितंबर 2022
सोमवार, 26 सितंबर 2022
हिन्द केसरी श्री मंगला राय की गाथा- राम बहादुर राय भरौली बलिया उत्तरप्रदेश
राम सिया छवि न्यारी - रचना श्री राजेश कुमार सिंह "श्रेयस" लखनऊ, उप्र l
शनिवार, 24 सितंबर 2022
विकास का मतलब सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक तीनों पक्षों से है- लव तिवारी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश
गुरुवार, 22 सितंबर 2022
लड़के है बदनाम लड़कियों ने ही किया है लड़कियों का वीडियो वायरल चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी हॉस्टल एम एम एस
बुधवार, 21 सितंबर 2022
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के विकलांग प्रमाण पत्र बंनाने में आवेदन की विधि एवं आवश्यक दस्तावेज का विवरण- लव तिवारी
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक गंभीर समस्या है और अभी तक विश्व के धरातल पर इस बीमारी का कोई इलाज संभव नहीं होता है इस बीमारी से पीड़ित जनों को अनेकों प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसी संदर्भ में स्पष्ट रूप से दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने की क्या विधि है आइए हम आपको बताते हैं और किन दस्तावेजों का जरूरत होता है इसके बारे में निम्न लिखित जानकारी है।
कृपया इस बात का हमेशा ध्यान रखे हैं कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित व्यक्ति को आवेदन करते समय उसका टाइप मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ही होना चाहिए ना कि लोकोमोटर डिसेबिलिटी या कोई अन्य टाइप नही होना चाहिए। अगर मैं 100 लोगो को जानता हूं तो उसमें 50 लोगों लोगों के द्वारा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ना लिखने की भयंकर गलती को पाता हूँ। जिसकी वजह से सरकार के पास हम पीड़ितों का एक्चुअल डाटा नहीं है जिससे सरकार यह सोचती है कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम के पीड़ितो की संख्या भारत में बहुत कम मात्रा में हैं।
इस बात का विशेष ध्यान दें कि आवेदन या विकलांग प्रमाण पत्र बनवाते समय आपका डिसएबिलिटी टाइप मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ही होना चाहिए।।
इन महत्वपूर्ण जानकारी एवं संसाधनों को एकत्रित करके आप स्वालंबन यूनीक डिसेबिलिटी आईडी गूगल पर सर्च करते हुए स्वालंबन की वेबसाइट पर जाकर अपना आवेदन करेंगे
वेबसाइट- https://www.swavlambancard.gov.in/
आवेदन प्रक्रिया पूरा करने के बाद आपको दो पीडीएफ डॉक्यूमेंट प्राप्त होगा एक पर्सन डिसएबिलिटी रेजिस्ट्रेशन और दूसरा पर्सन डिसएबिलिटी रिसिप्ट , पर्सन डिसेबिलिटी रजिस्ट्रेशन वाले डॉक्यूमेंट का प्रिंटआउट करके साथ में आधार कार्ड का फोटो कॉपी एवं अगर आपके द्वारा पहले हार्ड कॉपी द्वारा बनाया गया विकलांग सर्टिफिकेट है तो उसका फोटो कॉपी लेकर अपने जिले की सरकारी जिला चिकित्सालय में जहां पर दिव्यांग का प्रमाण पत्र बनाया जाता है वहां पर आप चले जाएंगे डॉक्टर के सामने कुछ निरीक्षण करने के बाद आपका दिव्यांग का प्रमाण पत्र बना दिया जाएगा रिसिप्ट के माध्यम से जो आपको 20 अंकों का रजिस्ट्रेशन नंबर मिला है और आपका डेट ऑफ बर्थ जो पासवर्ड है इसकी सहायता से अगले 60 दिन के बाद आप अपना यूडी आईडी कार्ड (विकलांग यूडी आईडी कार्ड) और विकलांग दिव्यांग का प्रमाण पत्र जाने की डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट को फिर से वेबसाइट पर विजिट करके डाउनलोड कर सकते हैं
मंगलवार, 20 सितंबर 2022
एक अरबपति की दिव्यागों के प्रति सेवाभाव से प्राप्त खुशी की कहानी - लव तिवारी ग़ाज़ीपुर
2-फिर क़ीमती सामान और वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण आया। लेकिन मैंने महसूस किया कि इस चीज का असर भी अस्थायी होता है और कीमती चीजों की चमक ज्यादा देर तक नहीं रहती।
3-फिर आया बड़ा प्रोजेक्ट मिलने का तीसरा चरण। वह तब था जब नाइजीरिया और अफ्रीका में डीजल की आपूर्ति का 95% मेरे पास था। मैं अफ्रीका और एशिया में सबसे बड़ा पोत मालिक भी था। लेकिन यहां भी मुझे वो खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी.
चौथा चरण वह समय था जब मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ विकलांग बच्चों के लिए व्हीलचेयर खरीदने के लिए कहा। लगभग 200 बच्चे।दोस्त के कहने पर मैंने तुरंत व्हीलचेयर खरीद ली।
लेकिन दोस्त ने जिद की कि मैं उसके साथ जाऊं और बच्चों को व्हीलचेयर सौंप दूं। मैं तैयार होकर उसके साथ चल दिया।वहाँ मैंने इन बच्चों को अपने हाथों से ये व्हील चेयर दी। मैंने इन बच्चों के चेहरों पर खुशी की अजीब सी चमक देखी। मैंने उन सभी को व्हीलचेयर पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा।
मैं झुक गया और बच्चे से पूछा: क्या तुम्हें कुछ और चाहिए? इस बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया, उसने न केवल मुझे झकझोर दिया बल्कि जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को भी पूरी तरह से बदल दिया।इस बच्चे ने कहा: मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।
उपरोक्त शानदार कहानी का मर्म यह है कि हम सभी को अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए और यह मनन अवश्य की आपको किस लिए याद किया जाएगा