बुधवार, 28 सितंबर 2022

महान समाजसेवी श्री बोधा जयसवाल जी से शिष्टाचार मुलाकात

 आज गाजीपुर के महान समाजसेवी श्री बोधा जयसवाल जी से शिष्टाचार मुलाकात अपने आवास चंद्र कॉलोनी पीर नगर ग़ाज़ीपुर में हुई। परम आदरणीय बोधा जायसवाल समाज सेवी जी गाजीपुर के महान संत जगद्गुरु दांडी स्वामी श्री दयानंद सरस्वती जी महाराज के जन्मभूमि ग्राम देवा दुल्लहपुर के निवासी है,और साथ ही उनके अनन्य भक्त है। स्वामी जी के दिखाए मार्गदर्शन पर चलते हुए समाज में स्थित किसानों की पीड़ा, सामाजिक कुरीतियों, भ्रष्टाचार एवं अन्याय के प्रति लड़ते हैं। आज बड़े संयोग की बात है कि जायसवाल जी को जो मैं यूट्यूब और सोशल मीडिया पर उनके कारनामे को सुनता और जानता था, आज मैं उनसे मिलने उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला। साथ ही ग़ाज़ीपुर के न्यूज़ चैनल Raw24news के संस्थापक परम आदरणीय श्री Rajan Ojha जी एवं उनके सहयोगी अन्य यूट्यूबर क्रमशः श्री संतोष कुशवाहा जी, श्री अंगारा लाल जी, श्री शेषनाथ बिंद एवं जन आदर्श भारत यूट्यूब चैनल के संस्थापक श्री रजनीश जी से स्नेहल मुलाकात हुई।।




सोमवार, 26 सितंबर 2022

हिन्द केसरी श्री मंगला राय की गाथा- राम बहादुर राय भरौली बलिया उत्तरप्रदेश

राम बहादुर राय ( भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश):----

हिंद केसरी  मंगला राय जी शाकाहारी  थे:-
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             मंगला राय जी को शुरुआती प्रसिद्धि तभी मिल गई थी जब वो रंगून से अपने वतन वापस लौट कर आए थे। वापस आते ही उन्होंने उत्तर भारत के मशहूर पहलवान मुस्तफा हुसैन को अखाड़े में ललकारा। इलाहाबाद में हुई इस कुश्ती में मुस्तफा ने इस नौजवान को शुरु में हल्के में लिया लेकिन जब इस नौजवान ने जब मुस्तफा के खतरनाक दांव को काटकर अपना प्रिय दांव ‘टांग’ और ‘बहराली’ का प्रहार किया तो महाबली मुस्तफा भहराकर चारो खाने चित हो गया। दर्शकों को सांप सूंघ गया। किसी को अपनी आंखो पर यकीन ही नहीं हो रहा था। लेकिन राय साहब ने तो संयुक्त प्रांत में कुश्ती का इतिहास पलट दिया था। भारतीय कुश्ती में एक नए सितारे ने रोशनी बिखेर दी थी। मंगला राय की प्रसिद्धि जंगल की आग की तरह फैल गई। नतीजा ये हुआ कि बत्तीस साल के मंगला राय को साल भर के भीतर लगातार 100 कुश्तियां लड़नी पड़ी। महाबली मुस्तफा को पटकने के बाद  महामल्ल मंगला राय से हर तीसरे-चौथे रोज कोई न कोई पहलवान भिड़कर जोर आजमाइश करना चाहता था। सिलसिला लंबा चला लेकिन लगातार धूल चाटने के बाद उत्तर भारत के पहलवानों का हौसला पस्त हो गया। इसके बाद पटियाला,पंजाब के रुस्तम-ए-हिंद केसर सिंह चीमा ने मंगला राय से अखाड़े में हाथ मिलाया। दोनों महामल्ल सूरमा एक दूसरे से भिड़ गए। अखाड़े की दहलीज थरथराने लगी। लोगों की सांसे थम गईं। दोनो भीमकाय योद्धाओं को समा पाने में वो अखाड़ा छोटा पड़ने लगा। दोनों ताल ठोंकते तो बादल की गड़गड़ाहट फीकी पड़ने लगती। कोई नतीजा नहीं निकला और दंगल बराबरी पर छूट गया। मंगल राय जी ने बाद में कहा था कि ये कुश्ती गंगा के किनारे खुले रेत में होनी चाहिए तभी इसका कोई फैसला हो पाएगा। लेकिन बाद में बहुत कम लोग मंगला राय जी को चुनौती देने की हिम्मत जुटा पाए।

मंगला राय जी प्रतिदिन जो अभ्यास करते थे उसके बारे में सुनकर ही कई पहलवानों का कलेजा कांप जाता था। खुद राय साहब के मुताबिक वो रोजाना चार हजार बैठकें और ढाई हजार दंड लगाते थे। इसके बाद वो 25 धुरंधरों से तीन-तीन बार कुश्ती लड़ते थे। बाद में दौड़ने रस्सी चढ़ने और मुगदर भांजने की कसरतें वो अलग से करते थे। इतना सुनकर भला कौन पहलवान उनसे हाथ मिलाने का साहस कर पाता। 6 फीट लंबे 131 किलो वजनी भीमकाय कदकाठी के बावजूद मंगला राय जी पूरे सात्विक और शाकाहारी व्यक्ति थे। उनके आहार में आधा किलो घी, आठ लीटर दूध और एक किलो बादाम शामिल था। 
मंगला राय का मानना था कि गुरु तो कोई भी बन सकता है लेकिन सच्चा गुरु वही है जो अपने शिष्यों को शिक्षा के साथ उनकी देखभाल भी वैसे ही करे जैसे वो अपनी संतान का करता है। और इस मायने में राय साहब एक आदर्श गुरु थे। बाद के दिनों में जब उन्होंने कुश्ती से संन्यास ले लिया तो उनको नौजवान पहलवानों को देखकर ग्लानि होती थी। उनका मानना था कि आज के पहलवान कुश्ती-कला के बुनियादी उसूलों से भटककर फैशनपरस्त हो गए हैं। उनमें सिर्फ नाम और दौलत कमाने की ललक रह गई है। जबकि एक पहलवान का जीवन योगी के मानिंद होना चाहिए। शायद सही थे मंगला राय जी नमन् !!!

राम सिया छवि न्यारी - रचना श्री राजेश कुमार सिंह "श्रेयस" लखनऊ, उप्र l

राम सिया छवि न्यारी
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जनक सुता मंडप पग धारी,
मुदित हुए नर नारी l
कर जयमाला, नयन कर तिरछे ,
निरखत जनक कुमारी ll
मन मह राजत छवि राघव की,
जसु देखी फूलवारी ll
सुमरत गौरा शिव शंकर को,
हर्षित सिय सुकुमारी ll

बाजन वाद्य,दुंदभी बाजे,
सुर गण गगन निहारी l
कमल नयन, रघुकुल मणि सुन्दर ,
कोटि शशि छवि न्यारी ll
नृप विदेह स्वागत में ठाड़े,
अवध बराती उतारी l
कवि गण कुल गुण बांचन लागे,
द्विज -गण मन्त्र उचारी ll

जनक पूरी और अवध पूरी की 
प्रेम मिलन की बारी l
जनक नंदनी दुल्हिन शोभित,
दूल्हा अवधबिहारी ll
कामदेव भे आज लजाने,
लाजत रति छवि न्यारी,
येहि पावन मंगल बेला पर,
सखियन गावत  गारी ll

©® राजेश कुमार सिंह "श्रेयस"
लखनऊ, उप्र l

शनिवार, 24 सितंबर 2022

विकास का मतलब सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक तीनों पक्षों से है- लव तिवारी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

विकास का मतलब सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक तीनों पक्षों से है।आज हम देख सकते हैं जिसे हम विकास कहते हैं, उस विकास में हमारी सांस्कृतिक पहचान हमारे वस्त्रों को हमारे मकान को हमारे परिवेश को बहुत हद तक निगल लिया है ,आप युवा इस बदलाव के आंधी में आपने परम्परागत सकारात्मक पक्ष को नष्ट न होने देवे। 

सांस्कृतिक विकास का मतलब यह होता है कि आप किस सांस्कृतिक विरासत को लिए हुए जन्म लिये है आप की संस्कृति क्या कहती है आपके संस्कृति के पीछे क्या उद्देश्य था आपके संस्कृति ने किस-किस चीजों को पालन किया है। अगर हम हिंदू संस्कृति की बात करते हैं तो हिंदू संस्कृति में सूर्योदय से पहले अपना स्नान ध्यान  पूजा बंधन था गुरुकुल परंपराएं की बड़े बुजुर्गों का आदर सत्कार था उनका सम्मान था साथ में झूठ ना बोले की कृति थी आपकी दया शीलता थी करुणा थी गरीबों की सेवा के प्रति लोगों का भाव था निर्बल और गरीब को भोजन यह सब हमारी संस्कृति छोड़कर और पश्चिमी सभ्यता से युक्त संस्कृति को अपनाते है, चाहे वो भोजन सम्बन्धी पढ़ने व वेशभूषा या फिर रोजगार हो। कुछ चीजों को हम नकार नहीं, आधुनिकता के युग में बहुत सी चीजों से हमारा काम नहीं चल सकता लेकिन बहुत से अपने पुरानी संस्कृति को लेकर भी हम आगे बढ़ सकती हैं आप खुद समझदार हैं संस्कृति और विरासत को बचाना है आपका खुद धर्म है।

समाज समाज माता-पिता परिवार दोस्त मित्र विद्यालय और नजदीकी पास पड़ोसी समाज के मुख्यालय उनके द्वारा उनके द्वारा भी विकास निगम और मुख्य भूमिका होती है विकास का तात्पर्य नहीं है कि हम बहुत धन्य हो गए और हमें अपने सभ्यता संस्कृति अपने आचरण अपने चरित्र के बारे में हमें कुछ नहीं पता है हम उस केवल धन से हम सिर्फ हैं और इन बालों पर हम बहुत अच्छे हैं तो सामाजिक दायित्व में आप देखते हो कि समाज की जो मुख्य भूमिका होती है इसमें मैंने आपको फिर से बता दिया है सबसे पहले माता-पिता दूसरे नंबर पर आपके परिवार परिवार के बाद मित्र मित्र के बाद फोन पास पड़ोस के लोग और पास पड़ोस के साथ-साथ आपका समान चारों पांचों लोगों को मिलाकर समाज का निर्माण होता है समाज का विकास में अहम भूमिका होती है।

आर्थिक पक्ष का तात्पर्य हां पर व्यक्ति के जीवन में उपस्थित संसाधनों से जिस व्यक्ति इस बालक का आर्थिक पक्ष जितना मजबूत रहता है उसके पास उतना ही संसाधन होता है मैं यह नहीं कर सकता की आर्थिक पक्ष पूर्ण रूप से विकास में योगदान देता है क्योंकि देखा गया है कि जिस बालक ,विद्यार्थी का आर्थिक पक्ष आर्थिक पक्ष मजबूत नहीं होता है वही जीवन की बड़े-बड़े मुकामो को अपने योग्यता और लगन की वजह से देखा जाता है। आर्थिक पक्ष के साथ-साथ व्यक्ति बालक विद्यार्थी में लगन और चेष्टा भी होनी जरूरी है आर्थिक पक्ष  मजबूत पक्ष है जो समाज में व्यक्ति बालक विद्यार्थी के विकास में अहम रोल करता है।

गुरुवार, 22 सितंबर 2022

लड़के है बदनाम लड़कियों ने ही किया है लड़कियों का वीडियो वायरल चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी हॉस्टल एम एम एस

हॉस्टल की लड़कियों का नहाते हुऐ वीडियो वायरल हुआ,,विडियो भी एक लड़की ने बनाया ...उसमे से 8 लड़कियां आत्महत्या की कोशिश कर चुकी हैं,,
उससे अलग हमारी साईबर एजेन्सी का अनुमान था के ये विडियो 8 घंटे मे पूरे देश मे वायरल हो जायेगा...पर ऐजेन्सी शॉक हो गयी के विडियो 95% कम वायरल हुआ,,,सिर्फ 5% वायरल हुआ ,,ज्यादातर ऐसे विडियो  लड़कों के मोबाईल से एक दूसरे को जाते है,,,लड़कों ने ये विडियो फारवर्ड नही करके वहीं डिलिट करना शुरू कर दिया,,,
और मैं सभी लोगो से कहूँगा कि वीडियो कहीं से भी आए तुरन्त डिलिट करे,,भेजने वाले से डीलीट कराएं,,ये हमारी नैतिक जिम्मेदारी है,,और मै देख रहा हूं लडके शोशल मिडिया पर अपील कर रहे है के विडियो फोर्वर्ड ना की जाए,,,

ये सब वही लडके है जिनकी नजर गन्दी,,सोच नीची बताई जाती है,,इनस्टाग्राम पर छोटे कपडों मे लडकियों की विडियो पर कमेन्ट पढो कभी....
ज्यादातर लडके उन्हे यही बोलते है के ढंग के कपडे पहने,,गाली देते है क्योकि उन लडको को चिन्ता है के इन विडियो को देखकर समाज की और लडकियाँ भी इसी तरफ चलेगी,,,पर उन लड़कों को कहा जाता है के कपडे नही तुम्हारी सोच छोटी है,,आज वही छोटी सोच वाले और आवारा लड़के विडियो डिलीट करने की मुहीम चला रहे है,,,
🙏🙏🙏
 नीचे दिया गया तस्वीर एक फ़िल्म से है इसका इस घटना से कोई लेना देना नही है- धन्यवाद

बुधवार, 21 सितंबर 2022

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के विकलांग प्रमाण पत्र बंनाने में आवेदन की विधि एवं आवश्यक दस्तावेज का विवरण- लव तिवारी

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक गंभीर समस्या है और अभी तक विश्व के धरातल पर इस बीमारी का कोई इलाज संभव नहीं होता है इस बीमारी से पीड़ित जनों को अनेकों प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसी संदर्भ में स्पष्ट रूप से दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने की क्या विधि है आइए हम आपको बताते हैं और किन दस्तावेजों का जरूरत होता है इसके बारे में निम्न लिखित जानकारी है।


1- पासपोर्ट साइज फ़ोटो
2- सिग्नेचर या अंगूठा के निशान का फ़ोटो
3- आधार कार्ड  फ्रंट और बैक का साफ फ़ोटो
4- अगर पहले से विकलांग सर्टिफिकेट बना हो तो उसका फ़ोटो
5- शैक्षिक योग्यता का विवरण- हाइस्कूल इंटरमीडिएट स्नातक स्नाकोत्तर
6- ब्लड ग्रुप का विवरण- A, B, AB, O का विवरण
7- दो मोबाइल नंबर
8- एक ईमेल आई डी
9 - पूरा पता एवं माता पिता का नाम हिंदी और अंग्रेजी के साफ और सुंदर अक्षर में जैसे-

आवेदक का नाम- आयुष कुमार Ayush Kumar
पिता का नाम- सुशील राउत - Shushil Raut
माता का नाम- सीमा देवी- Sima Devi
ईमेल ईडी- sk25258558@gmail.com
ब्लड ग्रुप- अगर पता है तो दे नही तो जरूरी नही है लेकिन पता हो तो अवश्य दे।।
शैक्षिक योग्यता- अशिक्षित ( अभी बच्चा छोटे कक्षा में अध्ययनरत है)
पूरा पता-
ग्राम- घोघराहा Village- Ghoghraha
पोस्ट- सिंगरहिया Post- Singrahia
थाना- सिंगरहिया Thana-Singrahia
विकास खण्ड- बथनाहा Block- Bathnaha
तहसील- बथनाहा Sub Division-Bathnaha
जिला- सीतामढ़ी District- Sitamarhi
राज्य- बिहार State- Bihar
पिनकोड- ८४३३१७ Pincode- 843317

कृपया इस बात का हमेशा ध्यान रखे हैं कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित व्यक्ति को आवेदन करते समय उसका टाइप मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ही होना चाहिए ना कि लोकोमोटर डिसेबिलिटी या कोई अन्य टाइप नही होना चाहिए। अगर मैं 100 लोगो को जानता हूं तो उसमें 50 लोगों लोगों के द्वारा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ना लिखने  की भयंकर गलती को पाता हूँ। जिसकी वजह से सरकार के पास हम पीड़ितों का एक्चुअल डाटा नहीं है जिससे सरकार यह सोचती है कि  मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम के पीड़ितो की संख्या भारत में बहुत कम मात्रा में हैं।

इस बात का विशेष ध्यान दें कि आवेदन या विकलांग प्रमाण पत्र बनवाते समय आपका डिसएबिलिटी टाइप मस्कुलर डिस्ट्रॉफी  ही होना चाहिए।।

इन महत्वपूर्ण जानकारी एवं संसाधनों को एकत्रित करके आप स्वालंबन यूनीक डिसेबिलिटी आईडी गूगल पर सर्च करते हुए स्वालंबन की वेबसाइट पर जाकर अपना आवेदन करेंगे

वेबसाइट- https://www.swavlambancard.gov.in/



आवेदन प्रक्रिया पूरा करने के बाद आपको दो पीडीएफ डॉक्यूमेंट प्राप्त होगा एक पर्सन डिसएबिलिटी रेजिस्ट्रेशन और दूसरा पर्सन डिसएबिलिटी रिसिप्ट , पर्सन डिसेबिलिटी रजिस्ट्रेशन वाले डॉक्यूमेंट का प्रिंटआउट करके साथ में आधार कार्ड का फोटो कॉपी एवं अगर आपके द्वारा पहले हार्ड कॉपी द्वारा बनाया गया विकलांग सर्टिफिकेट है तो उसका फोटो कॉपी लेकर अपने जिले की सरकारी जिला चिकित्सालय में जहां पर दिव्यांग का प्रमाण पत्र बनाया जाता है वहां पर आप चले जाएंगे डॉक्टर के सामने कुछ निरीक्षण करने के बाद आपका दिव्यांग का प्रमाण पत्र बना दिया जाएगा रिसिप्ट के माध्यम से जो आपको 20 अंकों का रजिस्ट्रेशन नंबर मिला है और आपका डेट ऑफ बर्थ जो पासवर्ड है इसकी सहायता से अगले 60 दिन के बाद आप अपना यूडी आईडी कार्ड (विकलांग यूडी आईडी कार्ड) और विकलांग दिव्यांग का प्रमाण पत्र जाने की डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट को फिर से वेबसाइट पर विजिट करके डाउनलोड कर सकते हैं

धन्यवाद लेखक खुद मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित है और इस बात से पूर्ण रूप से सहमत है कि अगर आपके पास विकलांग दिव्यांग प्रमाण पत्र दस्तावेज नहीं होगा तो आप आगे की लड़ाई नहीं लड़ सकते इसीलिए लेखक बार-बार आपको सूचित कर रहा है कि आप आपना विकलांग यानी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवा लें साथ मे भगवान से प्रार्थना  करता है इस भयानक बीमारी से हम सबकी रक्षा करें और जल्द से जल्द इसका इलाज धरती पर ढूंढे
जय श्री राम, जय माता दी, हर हर महादेव

लव तिवारी
गाजीपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर 9458668566

मंगलवार, 20 सितंबर 2022

एक अरबपति की दिव्यागों के प्रति सेवाभाव से प्राप्त खुशी की कहानी - लव तिवारी ग़ाज़ीपुर

जब एक टेलीफोन साक्षात्कार में नाइजीरियाई अरबपति फेमी ओटेडोला से रेडियो प्रस्तोता ने पूछा:
"सर आपको क्या याद है कि आपको जीवन में सबसे अधिक खुशी कब मिली ?

फेमी ने कहा:"मैं जीवन में खुशी के चार चरणों से गुजरा हूं, और आखिरकार मुझे सच्चे सुख का अर्थ समझ में आया।"
1- पहला चरण धन और साधन संचय करना था।
लेकिन इस स्तर पर मुझे वह सुख नहीं मिला जो मैं चाहता था।

2-फिर क़ीमती सामान और वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण आया। लेकिन मैंने महसूस किया कि इस चीज का असर भी अस्थायी होता है और कीमती चीजों की चमक ज्यादा देर तक नहीं रहती।

3-फिर आया बड़ा प्रोजेक्ट मिलने का तीसरा चरण।  वह तब था जब नाइजीरिया और अफ्रीका में डीजल की आपूर्ति का 95% मेरे पास था। मैं अफ्रीका और एशिया में सबसे बड़ा पोत मालिक भी था।  लेकिन यहां भी मुझे वो खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी.

चौथा चरण वह समय था जब मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ विकलांग बच्चों के लिए व्हीलचेयर खरीदने के लिए कहा। लगभग 200 बच्चे।दोस्त के कहने पर मैंने तुरंत व्हीलचेयर खरीद ली।

लेकिन दोस्त ने जिद की कि मैं उसके साथ जाऊं और बच्चों को व्हीलचेयर सौंप दूं।  मैं तैयार होकर उसके साथ चल दिया।वहाँ मैंने इन बच्चों को अपने हाथों से ये व्हील चेयर दी।  मैंने इन बच्चों के चेहरों पर खुशी की अजीब सी चमक देखी।  मैंने उन सभी को व्हीलचेयर पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा।

यह ऐसा था जैसे वे किसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंच गए हों, जहां वे जैकपॉट जीतकर शेयर कर रहे हों।
मुझे अपने अंदर असली खुशी महसूस हुई।  जब मैंने छोड़ने का फैसला किया तो बच्चों में से एक ने मेरी टांग पकड़ ली।मैंने धीरे से अपने पैरों को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बच्चे ने मेरे चेहरे को देखा और मेरे पैरों को कस कर पकड़ लिया।

मैं झुक गया और बच्चे से पूछा: क्या तुम्हें कुछ और चाहिए? इस बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया, उसने न केवल मुझे झकझोर दिया बल्कि जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को भी पूरी तरह से बदल दिया।इस बच्चे ने कहा: मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।

उपरोक्त शानदार कहानी का मर्म यह है कि हम सभी को अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए और यह मनन अवश्य की आपको किस लिए याद किया जाएगा

लेखक Lav Tiwari खुद एक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित है।।
🙏🙏🙏🙏🙏


सोमवार, 19 सितंबर 2022

विधायकों सासदों और मंत्रियों को बार बार पेंशन लेकिन जन्म से विकलांगता फिर 18 वर्ष के बाद ही विकलांगता पेंशन क्यो - लव तिवारी

जैसा कि आप सभी जानते हैं मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित खासकर डीएमडी वाले बच्चों का शरीर कम उम्र में काम करना बंद कर देता है परंतु सरकार की तरफ से 18 वर्ष से कम आयु तक उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती है।

इसी का विपरीत अगर राजनेताओं की बात करते हैं तो अगर एक व्यक्ति अपने जीवन में पांच बार विधायक दो बार सांसद तीन बार मिस्टर बनता है तो उसको 5 बार की अलग-अलग पेंशन के रूप में एक बड़ा वेतन भत्ता उसको दिया जाता है सरकार अपने मेनिफेस्टो में इस बात की घोषणा की हुई थी कि हम सरकार बनाते है तो हर विकलांग को 15 सो रुपए का पेंशन लेकिन सरकार बनने के बाद या पेंशन भी एक हजार के मामूली रकम पर आकर अटक गया। हम वर्तमान सरकार की तारीफ हम प्रशंसा करते हैं कि पिछले 20 सालों से जो 200 से ₹500 का पेंशन विकलांगों को दिया जाता था उसको सरकार पंद्रह  सौ रुपये की। लेकिन देने के नाम पर केवल 1एक हजार रुपये ही दे रही है हम सरकार से विनम्र निवेदन करते हैं कि सरकार अपने मेनिफेस्टो के अनुसार जल्द से जल्द प्रदेश में उपस्थित सभी विकलांगों को उनका पंद्रह सौ रुपये मासिक विकलांग पेंशन देने की कृपा करें।

साथ में सरकार से यह विनम्र अनुरोध करता हूं कि तेलगांना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के आधार पर हम दुर्लब बीमारियों से पीड़ित विकलांग जनों को 5 हजार से दस हजार रुपये की मासिक पेंशन देने की कृपा करें। जिससे हम लोग का गुजारा आसानी से हो सकें।

साथ मे इस उत्तर प्रदेश सरकार  के इस विशेष योजना की भूरि भूरि प्रसंसा करता हूँ कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जो उत्तर प्रदेश सरकार की पेंशन के दायरे में नहीं आते हैं उनके लिए सरकार सर्वे कर रही है, जिससे उनके लिए कोई योजना या आर्थिक मदद दी जा सकें, अतः जो बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर हैं कृपया UDID Card (Disability Certificate) 80% या उससे ज्यादा ही बनवाए तथा अपने जिले के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में अपना नाम जरूर दे।

धन्यवाद-लेखक खुद मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित है- जन्म से विकलांगता फिर 18 वर्ष के बाद ही विकलांगता पेंशन क्यो - लव तिवारी

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी विकलांग प्रमाण पत्र बनाते समय किन बातों का रखें ध्यान- लव तिवारी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

इन दो आधार कार्ड के माध्यम से हम आप को समझाने की कोशिश करेंगे 

1-हर्षवर्धन जो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित है और इनकी विकलांगता प्रमाण पत्र मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में ही बनाई गई है, जो पूर्ण रूप से सही है। 

2-दूसरा शंकर विजय महाले जो डी एम डी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित है फिर भी डिसेबिलिटी टाइप फिजिकल इंपेयरमेंट इसका मतलब होता है शारीरिक हानि जो पूर्ण रूप से गलत है

जब हम दुर्लभ बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी टाइप में आते हैं तो हम उस टाइप में अपना रजिस्ट्रेशन ना करके फिजिकल इंप्लीमेंट और लोको मोटर डिसेबिलिटी में क्यों कर रहे है। इसी की वजह से सरकार के पास एक्चुअल डेटा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितो का नहीं पहुंच पा रहा है इसमें आप बताइए कि आप की ग़लती है या सरकार की हमने कई वीडियो बना कई बार व्हाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से आप सभी को समझाना चाहा लेकिन आप सभी को बात समझ में नहीं आ रही है। यही नहीं लगभग 100 से ऊपर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों का मैंने रजिस्ट्रेशन करके उनका टाइप मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ही रख कर मैंने रजिस्ट्रेशन करके उनके व्हाट्सएप पर  रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट भेजें है। जो समझदार और पढ़े लिखे हैं वह इस तरह की गलती ना करें।
धन्यवाद लेखक खुद मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित है Lav Tiwari 
#मस्कुलरडिस्ट्रॉफी #गंभीरसमस्या #सरकार #अभिवावक
#जागरूकता #अभियान #भारतसरकार

यह सही सर्टिफिकेट हैं- 👍👍👍


यह गलत बना सर्टिफिकेट है- 😢😢😢😢

शनिवार, 17 सितंबर 2022

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी विकलांग सर्टिफिकेट पूरी हकीकत को पढ़िए आपको क्या करना है समझ में आ जाएगा- लव तिवारी

अभी कुछ लोगों ने हमसे पूछा कि हमारा लड़का या मां पूर्ण रूप से विकलांग है तो हम विकलांग सर्टिफिकेट का आवेदन कैसे करें आप भारत स्वतंत्र भारत के देश में रहते हैं और उस भारत के संविधान में बहुत सी धाराएं हैं जो आप के स्वास्थ संबंधी और आपके जीवन के बेहतर बनाने के लिए लिखी गई है लेकिन भ्रष्ट नेताओं और राजनीतिक दलों की इस आधुनिक युग में आपको यह सब सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं आप को मैं यह सुझाव देता हूं अगर यह कारीगर रहा तो आप विकलांग सर्टिफिकेट का आवेदन आप आसानी से कर सकते हैं वह सुझाव यह है सबसे पहले तो आप अपने जिले के सरकारी अस्पताल में जाइए और जाकर जहाँ सर्टिफिकेट बनाता है उसे अपने पीड़ित बच्चे बृद्ध मां पिता का वीडियो दिखाइए उससे बताइये पूर्ण रूप से असमर्थ है सर वह आ नहीं सकते इसके बाद अगर वह नहीं मानते हैं तो आपको हार मानकर अपने बच्चे या वृद्ध माता जी जो असमर्थ है आपको ले जाना ही पड़ेगा एक छोटा सा उदाहरण में प्रस्तुत करता हूं गाजीपुर में एक गांव है गहमर जो एशिया का सबसे बड़ा गांव है वहां पर ओम प्रकाश शर्मा जी रहते हैं हैं वह सेना में कार्यरत हैं सेना के जवान हैं जो हम देशवाशियों की सीमा पर उपस्थित आतंकी गतिविधियों से सुरक्षा करते हैं उनका एक दिन फोन आया मेरे पास मेरा लड़का बड़ी भयानक बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित है मैंने उनकी लड़के का सारा डिटेल मंगा कर आवेदन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया।
आवेदन के बाद उनको गाजीपुर के डॉक्टर का नंबर दिया वह दो बार तीन बार बात की है कॅरोना काल की वजह से डॉक्टर भी बैठ नहीं पा रहे थे डॉक्टर उनको सही इंफॉर्मेशन दिया कि आज आप आइए आज मैं बैठ रहा हूं अपने बच्चे को फोर व्हीलर से लेकर आया साथ में तीन चार लड़कों को लेकर आए उनकी मदद कर सकती हैं हंड्रेड परसेंट सर्टिफिकेट परमानेंट उनका बन गया।
एक बार केवल एक बार आपको आना होता है आप ऐसे देश में नहीं रहते हैं कि आप चाहेंगे कि व्हाट्सएप के माध्यम और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डॉक्टर आपकी बातें सुन लेगा आप गलत है तो एक प्रतिशत डॉक्टर होंगे जो इस तरह की कार्यो को अपनाकर आप का सर्टिफिकेट बनाएंगे। मेरी बात सुने शर्मा जी उनका सर्टिफिकेट बन गया उनके लड़के ऑल इंडिया पीड़ित लोगों में नाम दर्ज हो गया भविष्य में अगर कोई उपचार आता है कोई दवा आता है तो उस लड़के को आसानी से मिल जाएगा एक और घटना एक बार बच्चें का व्हीलचेयर टूट गया मैंने ग़ाज़ीपुर के समाज कल्याण विभाग में सविता सिंह जी के माध्यम से बात किया उसको उसके सर्टिफिकेट की वजह से तुरंत व्हील चेयर मिलगया। उसके लिए कुछ परेशानी करके आपको काम करना ही पड़ेगा, अगर नहीं करेंगे सरकार के भरोसे रहेंगे आगे की न्यायिक लड़ाई भी नही लड़ सकते हैं, न संवैधानिक लड़ाई लड़ सकते हैं आपके अपने बच्चे का कोई काम भी नही करा सकते हैं तो आप लोग से हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन है कि आप लोग सर्टिफिकेट बनवा के अपने बच्चे के बेहतर जीवन जीने में अपना योगदान प्रस्तुत करें। आवदेन के समय आप के पीड़ित का टाइप मस्कुलर डिस्ट्रॉफी होगा न लोकोमोटर डिसेबिलिटी। जब आप जन सेवा केंद्र पर जाएं और रजिस्ट्रेशन कराएं तो पूर्ण रूप से इस बात का ध्यान रखिएगा कि आपका मस्कुलर डिस्ट्रॉफी टाइप में ही हो।।
एक बात और यह लड़का मुझे बहुत प्रभावित किया था एक बार मैं इस से मिलने गया था लड़का बड़ा खुश रहता है टीवी देखता है इंजॉय करता है जिंदगी का जिंदगी को अच्छे लजिएगा तो जिंदगी आपकी बहुत बेहतर होगी। प्यारे नन्हे दोस्त को बेहतर भविष्य की कामना भगवान इसको जल्द स्वस्थ करें हमारी कुल देवी कामाख्या मां का आशीर्वाद भी इस पर बना रहे।।

आप सभी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों से अनुरोध है कि ऐसे ही वीडियो बनाकर 9458668566 नंबर पर टेलीग्राम व व्हाट्सएप पर भेजे । जिससे आप की समस्या को इसी तरह पोस्ट करके हम सरकार से अपनी कुछ मांग को सुनिश्चित कर सके।।


बुधवार, 14 सितंबर 2022

खूबसूरत ग़ज़लों के गायन की युगल जोड़ी जगजीत सिंह और चित्रा सिंह - लव तिवारी

आज मुझे चित्रा सिंह जी पर अपने विचार व्यक्त करने की आवश्यकता है और मुझे आशा है कि आप सभी इस पोस्ट को पढ़ने के लिए कुछ समय निकालेंगे। मैं इतना छोटा हूँ कि मैं उस महान कलाकार के बारे में कुछ भी लिख या टिप्पणी नहीं कर सकता जो चित्रा जी हैं।  ग़ज़ल शैली में उनका योगदान अकल्पनीय है और इसे भुलाया नहीं जा सकता।  जगजीत जी की रचनाओं की उनकी प्रस्तुतियों में पूर्णता मंत्रमुग्ध कर देने वाली है।  वह अकेली हैं जो जगजीत जी की बारीकियों को समझने की गहराई तक गई और उनकी सबसे कठिन रचनाओं को गाया है।  बाबू (उनके इकलौते बेटे) की असामयिक मृत्यु ने न केवल परिवार की खुशी बल्कि ग़ज़ल की दुनिया से चित्रा जी को भी छीन लिया और हमने अपने समय की सबसे महान महिला ग़ज़ल गायिका को खो दिया।  उन्होंने गायन छोड़ दिया, लेकिन एक विरासत और काम की मात्रा का निर्माण किया है जो दुनिया में ग़ज़ल श्रोताओं तक रहेगा।  "सफ़र में धूप तो होगी", "लब-ए-कहमोश से", "दुनिया जिसे कहते हैं" और जगजीत जी के साथ चित्रा जी द्वारा गाए गए असंख्य युगल गीत कौन भूल सकता है।  इस जोड़ी ने ग़ज़ल की दुनिया को बहुत कुछ दिया है जबकि उन्होंने अपने निजी जीवन में सचमुच सब कुछ खो दिया है।  मैं चाहता हूं कि आप सभी नीचे टिप्पणी करें और चित्रा जी और ग़ज़ल शैली में उनके योगदान के लिए अपने प्यार का इजहार करें। और अपने पसन्दीदा गजलों के बारे में नीचे टिप्पणी करें। मुझे उनके द्वारा गाये हर ग़ज़ल पसंद है लेकिन सुदर्शन फ़क़ीर साहब द्वारा रचित The Latest ग़ज़ल एल्बम वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी, उस मोड़ से शुरू करें फिर हम ये जिंदगी मुझे बहुत ज्यादा पसंद है मुझे नहीं पता है कि ऐसे लोगों को मैंने कितनी बार सुना है
#ग़ज़ल #जगजीतसिंह #चित्रासिंह #ग़ाज़ीपुर




रविवार, 11 सितंबर 2022

डोले रसवंती बयरिया हो रामा-सगरी नगरिया- बसंती चइता

डोले रसवंती बयरिया हो रामा-सगरी नगरिया

चइता चतुर चित चुपके चोरवे
चंदा चहकि चाँदनी चटकावे
छल कलि रस के गगरिया हो रामा-सगरी नगरिया
डोले रसवंती बयरिया हो रामा-सगरी नगरिया

पिपरा के डारी लहरे कंचन पाती
निमिया झरेले जइसे लवंगहि लाची
खुली गइली गन्ध के गठरियाँ हो रामा- सगरी नगरिया
डोले रसवंती बयरिया हो रामा- सगरी नगरिया

ढंरकलि धरती के चढ़ली जवनियाँ
देखते देखते जैसे हो गईली जोगिनिया
ओढ़ी राम नामी चदरिया हो रामा-सगरी नगरिया
डोले रसवंती बयरिया हो रामा- सगरी नगरिया








प्यार दे कर जो हमसे विदा हुए संसार से,आओ उनका स्वागत करें आज हम संसार में


प्यार दे कर जो हमसे विदा हुए संसार से,
आओ उनका स्वागत करें आज हम संसार में

वो हुए पुरखो में शामिल जो कभी थे साथ में,
आज से नमन करेंगे हम मन हृदय के द्वार से।

पितर चरण में नमन करें,ध्यान धरें दिन रात।
कृपा दृष्टि हम पर करें, सिर पर धर दें हाथ।

ये कुटुम्ब है आपका, आपका ही परिवार है।
आपके आशिर्वाद से,फले - फूले संसार में।

भूल -चूक सब क्षमा करें,करें महर भरपूर।
सुख सम्पति से घर भरें, कष्ट करें सब दूर।

आप हमारे हृदय में,आपकी की हम संतान है।
आपके नाम से हैं जुड़ी, मेरी हर पहचान है।

सभी पितरो को सादर
नमन



शनिवार, 3 सितंबर 2022

दुनिया कहे बुरी हैं ये बोतल शराब की अपनी तो जिंदगी हैं ये बोतल शराब की- भूपेंदर सिंह ग़ज़ल

शेख कहता है मैं नहीं पीता हा वो अंगुर खूब खाता है
आ फ़र्क इतना है अश्क दोनो में हम तो पीते हैं वो चबाता है

 दुनिया कहे बुरी हैं, ये बोतल शराब की
 अपनी तो जिंदगी हैं, ये बोतल शराब की
 दुनिया कहे बुरी हैं, ये बोतल शराब की

 हमदम अमीर की हैं, न दुश्मन गरीब की-३
 सबसे, सबसे निभा रही है, ये बोतल शराब की-२
 दुनिया कहे बुरी हैं, ये बोतल शराब की

 ये बेवफा नहीं ना ही दिल तोड़ती हैं ये-२
 महबूब से भली है ये बोतल शराब की
 दुनिया कहे बुरी हैं, ये बोतल शराब की

 मानता हूं जनाब पीता हूं, ठीक है बेहिसाब पीता हूं
 लोग लोगो का ख़ून पीते हैं मैं तो फिर भी शराब पिता हूँ।।

 आई जो मौत भी तो मैं कह दूंगा मौत से-३
 ज़ालिम भारी पड़ी हैं, ये बोतल शराब की-२
 अपनी तो जिंदगी है ये बोतल शराब की
 दुनिया कहे बुरी हैं, ये बोतल शराब की-४



 

शम्मा जलाये रखना हये जब तक की मैं न आऊ- भूपेंदर सिंह और मिताली सिंह ग़ज़ल

शम्मा जलाये रखना हये जब तक की मैं न आऊ
खुद को बचाये रखना हये जब तक की मैं न आऊ

ज़िंदा दिलो से दुनिया, ज़िंदा सदा रही हैं
महफ़िल सजाये रखना, जब तक की मैं न आऊ

शम्मा जलाये रखना......................

खुद को बचाये................

ये वक़्त इन्तिहाँ है सब्र ओ करार दिल का
आंसू छुपाये रखना हये जब तक की मैं न आऊ

शम्मा जलाये रखना......................

खुद को बचाये................

हम तुम मिलेंगे ऐसे जैसे जुड़ा नहीं थे
सांसे बचाये रखना हये जब तक की मैं न आऊ

शम्मा जलाये रखना......................

खुद को बचाये................


 भूपेंदर सिंह और मिताली सिंह ग़ज़ल





शुक्रवार, 2 सितंबर 2022

बासी रोटी के लड्डू लन्दन की रोचक घटना - डॉ भीम राव अम्बेडकर

बासी रोटी के लड्डू लन्दन की रोचक घटना - डॉ भीम राव अम्बेडकर

जब परम पूज्य बाबा साहेब दूसरी बार लंदन गये थे तो उस समय बाबा साहेब की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय थी, जो कुछ धन था ,
उसमें से कुछ माता रमाबाई को देकर लंदन प्रस्थान किया,
माता रमा ने बाबा साहब को विदा करते समय एक पोटली दी जिसमें रात की बची रोटियों को सुखा कूट कर थोड़ी शक्कर मिला लड्डू वना दिये थे ।

बाबा साहब लंदन आकर अपनी थीसिस पूरी करने में लग गये ,
अध्ययन हेतु पूरे पूरे दिन लाइब्रेरी में पढ़ते ,
लंच के समय जब सब लोग कैंटीन जाते तब भी बाबा साहेब पढ़ते रहते जब देखते की लाईब्रेरी में कोई नहीं है 
तो चुपके कोट की जेब से दो तीन लड्डू निकाल कर भूख शान्त कर लेते थे।

एक अंग्रेज़ मित्र जो बाबा साहब से आत्मीयता रखता था बाबा साहब के व्यवहार से परेशान था 
कि ये साहब हर समय पढ़ते ही रहते हैं ,
लंच तक नहीं करते साथ ही नोटिस भी कर रहा था।
   
एक दिन लंच के समय जब सब बाहर निकल गए केबल बाबा साहब ही लाइब्रेरी में रह गये, 
और लड्डू खाने को ही थे कि अंग्रेज मित्र ने रंगे हाथ पकड़ लिया और बोला तो भीम यह स्वादिष्ट लड्डू खाते हो लंच में सबसे छुपाकर।

और वह बाबा साहब से लड्डू छीनने लगा 
और बोला आज तो यह लड्डू मैं खाऊंगा ,
जरुर भाभीजी ने वना कर दिए है ,
बाबा साहब अवाक थे ,
उससे लड्डू न खाने का आग्रह कर रहे थे 
और बापस मांग रहे थे ,

अंग्रेज मित्र उनकी व्यग्रता को न समझ उन्हें चिड़ा रहा था 
कहने लगा जरुर ये लड्डू चमत्कारी हैं 
इन्हें खाकर ही तुम सबसे अधिक काविल हो जब बाबा साहब जान गये कि उनका मित्र मानने बाला नहीं है तो बोले,

मित्र ये लड्डू तुम्हारे खाने योग्य नहीं है ,
यह लड्डू #मेरी_विपन्नता_की_निशानी_है 
यह लड्डू मेरी पत्नी रमा ने रात की बची खुची रोटियां सुखाकर वनाये हैं ,
जिन्हें खाकर मैं अपनी क्षुदा शान्त करता हूँ 
मेरे पास इतना धन नहीं कि मैं तुम्हारे साथ कैंटीन में नाश्ता कर सकूं।

मेरे देश में कई करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें बची खुची रोटी भी नहीं मिलतीं ,
पानी नहीं मिलता ,
पढ़ने का अधिकार नहीं है ,
मेरा परिवार भी इन्ही समस्याओं से त्रस्त है।

मुझे मौका मिला है ,
तो मैं पढ़कर उनके अधिकारों की जंग लड़ना चाहता हूँ 
मैं ज्ञान के अस्त्र से उन्हें बेडियो से मुक्त करना चाहता हूं इसीलिए दोबारा पढ़ने आया हूंँ।
 
बाबा साहब की करुण कथा सुनकर अंग्रेज मित्र की आंखों में आंसू आ गए ,
अश्रु पोंछते हुए बोला ,
मैं धन्य हुआ कि इतने महान व्यक्ति की मित्रता का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
मैं यदि कभी भारत आया तो उस देवी के चरणों की रज अपने माथे पर जरुर लगाऊंगा ,
जो उपले बेच बेच कर आपको धन भेज रही है।

धन्य है आप भीमराव आंबेडकर और 
धन्य है भाभी जी रमा वाई और 
धन्य है भारत देश जिसकी मिट्टी में आपका जन्म हुआ।
#मीडिया एवं #सोशल_मीडिया चारों तरफ नकारात्मक न्यूज़ का भरमार है,
इन सभी नकारात्मक खबरों ने माइंड को डिस्टर्ब कर दिया है ,

इसीलिए उस नकारात्मक ऊर्जा को काउंटर करने के लिए ,
पॉजिटिव एनर्जी का होना अत्यंत आवश्यक है ,
उसी पॉजिटिव ऊर्जा के संचार के लिए एक छोटी सी प्रस्तुति।