शेख कहता है मैं नहीं पीता हा वो अंगुर खूब खाता है
आ फ़र्क इतना है अश्क दोनो में हम तो पीते हैं वो चबाता है
दुनिया कहे बुरी हैं, ये बोतल शराब की
अपनी तो जिंदगी हैं, ये बोतल शराब की
दुनिया कहे बुरी हैं, ये बोतल शराब की
हमदम अमीर की हैं, न दुश्मन गरीब की-३
सबसे, सबसे निभा रही है, ये बोतल शराब की-२
दुनिया कहे बुरी हैं, ये बोतल शराब की
ये बेवफा नहीं ना ही दिल तोड़ती हैं ये-२
महबूब से भली है ये बोतल शराब की
दुनिया कहे बुरी हैं, ये बोतल शराब की
मानता हूं जनाब पीता हूं, ठीक है बेहिसाब पीता हूं
लोग लोगो का ख़ून पीते हैं मैं तो फिर भी शराब पिता हूँ।।
आई जो मौत भी तो मैं कह दूंगा मौत से-३
ज़ालिम भारी पड़ी हैं, ये बोतल शराब की-२
अपनी तो जिंदगी है ये बोतल शराब की
दुनिया कहे बुरी हैं, ये बोतल शराब की-४
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