बासी रोटी के लड्डू लन्दन की रोचक घटना - डॉ भीम राव अम्बेडकर
जब परम पूज्य बाबा साहेब दूसरी बार लंदन गये थे तो उस समय बाबा साहेब की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय थी, जो कुछ धन था ,
उसमें से कुछ माता रमाबाई को देकर लंदन प्रस्थान किया,
माता रमा ने बाबा साहब को विदा करते समय एक पोटली दी जिसमें रात की बची रोटियों को सुखा कूट कर थोड़ी शक्कर मिला लड्डू वना दिये थे ।
बाबा साहब लंदन आकर अपनी थीसिस पूरी करने में लग गये ,
अध्ययन हेतु पूरे पूरे दिन लाइब्रेरी में पढ़ते ,
लंच के समय जब सब लोग कैंटीन जाते तब भी बाबा साहेब पढ़ते रहते जब देखते की लाईब्रेरी में कोई नहीं है
तो चुपके कोट की जेब से दो तीन लड्डू निकाल कर भूख शान्त कर लेते थे।
एक अंग्रेज़ मित्र जो बाबा साहब से आत्मीयता रखता था बाबा साहब के व्यवहार से परेशान था
कि ये साहब हर समय पढ़ते ही रहते हैं ,
लंच तक नहीं करते साथ ही नोटिस भी कर रहा था।
एक दिन लंच के समय जब सब बाहर निकल गए केबल बाबा साहब ही लाइब्रेरी में रह गये,
और लड्डू खाने को ही थे कि अंग्रेज मित्र ने रंगे हाथ पकड़ लिया और बोला तो भीम यह स्वादिष्ट लड्डू खाते हो लंच में सबसे छुपाकर।
और वह बाबा साहब से लड्डू छीनने लगा
और बोला आज तो यह लड्डू मैं खाऊंगा ,
जरुर भाभीजी ने वना कर दिए है ,
बाबा साहब अवाक थे ,
उससे लड्डू न खाने का आग्रह कर रहे थे
और बापस मांग रहे थे ,
अंग्रेज मित्र उनकी व्यग्रता को न समझ उन्हें चिड़ा रहा था
कहने लगा जरुर ये लड्डू चमत्कारी हैं
इन्हें खाकर ही तुम सबसे अधिक काविल हो जब बाबा साहब जान गये कि उनका मित्र मानने बाला नहीं है तो बोले,
मित्र ये लड्डू तुम्हारे खाने योग्य नहीं है ,
यह लड्डू #मेरी_विपन्नता_की_निशानी_है
यह लड्डू मेरी पत्नी रमा ने रात की बची खुची रोटियां सुखाकर वनाये हैं ,
जिन्हें खाकर मैं अपनी क्षुदा शान्त करता हूँ
मेरे पास इतना धन नहीं कि मैं तुम्हारे साथ कैंटीन में नाश्ता कर सकूं।
मेरे देश में कई करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें बची खुची रोटी भी नहीं मिलतीं ,
पानी नहीं मिलता ,
पढ़ने का अधिकार नहीं है ,
मेरा परिवार भी इन्ही समस्याओं से त्रस्त है।
मुझे मौका मिला है ,
तो मैं पढ़कर उनके अधिकारों की जंग लड़ना चाहता हूँ
मैं ज्ञान के अस्त्र से उन्हें बेडियो से मुक्त करना चाहता हूं इसीलिए दोबारा पढ़ने आया हूंँ।
बाबा साहब की करुण कथा सुनकर अंग्रेज मित्र की आंखों में आंसू आ गए ,
अश्रु पोंछते हुए बोला ,
मैं धन्य हुआ कि इतने महान व्यक्ति की मित्रता का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
मैं यदि कभी भारत आया तो उस देवी के चरणों की रज अपने माथे पर जरुर लगाऊंगा ,
जो उपले बेच बेच कर आपको धन भेज रही है।
धन्य है आप भीमराव आंबेडकर और
धन्य है भाभी जी रमा वाई और
धन्य है भारत देश जिसकी मिट्टी में आपका जन्म हुआ।
#मीडिया एवं #सोशल_मीडिया चारों तरफ नकारात्मक न्यूज़ का भरमार है,
इन सभी नकारात्मक खबरों ने माइंड को डिस्टर्ब कर दिया है ,
इसीलिए उस नकारात्मक ऊर्जा को काउंटर करने के लिए ,
पॉजिटिव एनर्जी का होना अत्यंत आवश्यक है ,
उसी पॉजिटिव ऊर्जा के संचार के लिए एक छोटी सी प्रस्तुति।
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