शनिवार, 24 सितंबर 2022

विकास का मतलब सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक तीनों पक्षों से है- लव तिवारी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

विकास का मतलब सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक तीनों पक्षों से है।आज हम देख सकते हैं जिसे हम विकास कहते हैं, उस विकास में हमारी सांस्कृतिक पहचान हमारे वस्त्रों को हमारे मकान को हमारे परिवेश को बहुत हद तक निगल लिया है ,आप युवा इस बदलाव के आंधी में आपने परम्परागत सकारात्मक पक्ष को नष्ट न होने देवे। 

सांस्कृतिक विकास का मतलब यह होता है कि आप किस सांस्कृतिक विरासत को लिए हुए जन्म लिये है आप की संस्कृति क्या कहती है आपके संस्कृति के पीछे क्या उद्देश्य था आपके संस्कृति ने किस-किस चीजों को पालन किया है। अगर हम हिंदू संस्कृति की बात करते हैं तो हिंदू संस्कृति में सूर्योदय से पहले अपना स्नान ध्यान  पूजा बंधन था गुरुकुल परंपराएं की बड़े बुजुर्गों का आदर सत्कार था उनका सम्मान था साथ में झूठ ना बोले की कृति थी आपकी दया शीलता थी करुणा थी गरीबों की सेवा के प्रति लोगों का भाव था निर्बल और गरीब को भोजन यह सब हमारी संस्कृति छोड़कर और पश्चिमी सभ्यता से युक्त संस्कृति को अपनाते है, चाहे वो भोजन सम्बन्धी पढ़ने व वेशभूषा या फिर रोजगार हो। कुछ चीजों को हम नकार नहीं, आधुनिकता के युग में बहुत सी चीजों से हमारा काम नहीं चल सकता लेकिन बहुत से अपने पुरानी संस्कृति को लेकर भी हम आगे बढ़ सकती हैं आप खुद समझदार हैं संस्कृति और विरासत को बचाना है आपका खुद धर्म है।

समाज समाज माता-पिता परिवार दोस्त मित्र विद्यालय और नजदीकी पास पड़ोसी समाज के मुख्यालय उनके द्वारा उनके द्वारा भी विकास निगम और मुख्य भूमिका होती है विकास का तात्पर्य नहीं है कि हम बहुत धन्य हो गए और हमें अपने सभ्यता संस्कृति अपने आचरण अपने चरित्र के बारे में हमें कुछ नहीं पता है हम उस केवल धन से हम सिर्फ हैं और इन बालों पर हम बहुत अच्छे हैं तो सामाजिक दायित्व में आप देखते हो कि समाज की जो मुख्य भूमिका होती है इसमें मैंने आपको फिर से बता दिया है सबसे पहले माता-पिता दूसरे नंबर पर आपके परिवार परिवार के बाद मित्र मित्र के बाद फोन पास पड़ोस के लोग और पास पड़ोस के साथ-साथ आपका समान चारों पांचों लोगों को मिलाकर समाज का निर्माण होता है समाज का विकास में अहम भूमिका होती है।

आर्थिक पक्ष का तात्पर्य हां पर व्यक्ति के जीवन में उपस्थित संसाधनों से जिस व्यक्ति इस बालक का आर्थिक पक्ष जितना मजबूत रहता है उसके पास उतना ही संसाधन होता है मैं यह नहीं कर सकता की आर्थिक पक्ष पूर्ण रूप से विकास में योगदान देता है क्योंकि देखा गया है कि जिस बालक ,विद्यार्थी का आर्थिक पक्ष आर्थिक पक्ष मजबूत नहीं होता है वही जीवन की बड़े-बड़े मुकामो को अपने योग्यता और लगन की वजह से देखा जाता है। आर्थिक पक्ष के साथ-साथ व्यक्ति बालक विद्यार्थी में लगन और चेष्टा भी होनी जरूरी है आर्थिक पक्ष  मजबूत पक्ष है जो समाज में व्यक्ति बालक विद्यार्थी के विकास में अहम रोल करता है।

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