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ब्राम्हण और काला नाग एक साथ दिखें, तो पहले ब्राम्हण को मार देना, वह अधिक खतरनाक है- अखिलेश यादव ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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मंगलवार, 11 जनवरी 2022

ब्राम्हण और काला नाग एक साथ दिखें, तो पहले ब्राम्हण को मार देना, वह अधिक खतरनाक है- अखिलेश यादव

सुना है कि समाजवादी पार्टी भगवान परशुराम की मूर्ति लगाने की बात कर रही है । मैं इसका हृदय से स्वागत करता हूँ , साथ ही मैं अखिलेश यादव जी से पूछना चाहता हूँ कि, यह उनका ब्राम्हणों से वोट लेने का हथकंडा मात्र है या पिता व पुत्र दोनों की सरकारों में ब्राम्हणों पर हुए अत्याचार का प्रायश्चित है ? जिस समाजवादी विचारधारा का जन्म ही ब्राम्हणों के विरोध में हुआ हो, वह आज ब्राम्हण वोट के लिए प्रपंच रच रहे हैं, मुलायम सिंह जी के द्वारा अराजक संघ चलाया जाता था जिसमें प्रचार हेतु जाने वाले लोग यह कहकर ब्राम्हणों के प्रति द्वेष उत्पन्न करवाते थे कि ब्राम्हण और काला नाग एक साथ दिखें, तो पहले ब्राम्हण को मार देना, वह अधिक खतरनाक है और पिता मुलायम सिंह यादव जी के इस कथन को मानते हुए, अखिलेश जी ने सन 2004 के कन्नौज लोकसभा चुनाव में नीरज मिश्रा की हत्या कराई थी ! उसका दोष सिर्फ इतना था कि जब अपने काफिले के साथ अखिलेश यादव जी छिबरामऊ के निकट कसाबा बूथ पर कैप्चरिंग करना चाहते थे , नीरज मिश्रा के मना करने पर उसको धमकी दी और वह जब नहीं माना तो वहां खड़े अपने लोगों से यह कहते हुए कि 24 घण्टे के अन्दर उसका सर चाहिए, फिर नीरज मिश्रा की सर कटी लाश कसाबा के पास के जंगलो में मिली थी और उसका सर बाक्स में रखकर अखिलेश जी को दिखाने के लिए लखनऊ भेजा गया था, पिता के मुख्यमंत्री होने के कारण सत्ता का दुरूपयोग कर अखिलेश जी तो बच गए,लेकिन कन्नौज का बच्चा बच्चा जानता है कि उक्त हत्या अखिलेश जी के इशारे पर हुई थी इसी प्रकार पिछले दिनों छिबरामऊ के सौ शय्या अस्पताल में जब बस हादसे में घायलों को देखने पहुंचे तो सब कुछ सामान्य था, किन्तु ड्यूटी पर तैनात बुजुर्ग डॉक्टर का नाम पूछते ही अखिलेश जी भड़क गए थे , कारण सिर्फ इतना था की डॉक्टर की जाति मिश्रा (ब्राहमण) थी,यह इनका ब्राम्हण प्रेम है अखिलेश जी की सरकार में ही इनके गृह जनपद में ब्राम्हणों, महिला सहित उसके परिवार को नंगा करके गांव में घुमाने की घटना किसी से छुपी हुयी नहीं है।

ब्राम्हणों का सामाजिक पतन और आर्थिक शोषण ही इनका लक्ष्य है, यही कारण है कि अखिलेश जी के मुख्यमंत्री रहते हुए यूपी के सुल्तानपुर जिले के इतौली के विधायक अबरार अहमद ने स्थानीय ब्राहमणों के शिष्ट मंडल से साफ कह दिया कि, समाजवादी पार्टी का ब्राहमणों से कोई लेना देना नहीं है और न ही आपसे हमारी कोई हमदर्दी है ! इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी ने अपने विधायकों को खास हिदायतें जारी की है कि ब्राहमणों की कोई मदद न की जाये ! इनके इस चरित्र से साफ होता है कि इनको ब्राहमणों से कितना प्रेम है ! ध्यान आता है कि मुलायम सिंह जी के मुख्यमंत्री बनने से पूर्व उत्तर प्रदेश में ब्राम्हण पढ़ने - लिखने में अग्रणी होने के कारण छोटी मोटी नौकरियों में लगकर अपना जीवन यापन करता था, किन्तु मुलायम सिंह जी के द्वारा नकल पद्धति को बढ़ावा देने से अपने स्वजातीय लोगों को नौकरियों में भर्ती दिलाई ! जिस कारण योग्य ब्राम्हणों को नौकरी से दूर किया जा सके ! बाद में इसी क्रम में अखिलेश की सरकार आने पर गांव - गांव में नकल सेंटर और अपने लोगों से विद्यालय के नाम पर डिग्री दिलाने का कारखाना खोला गया था ! यही नहीं अपने पिता से आगे बढ़कर यदि किसी नौकरी में कोई ब्राहमण अधिक नम्बर लेकर मैरिट में स्थान बना रहा होता था उसको नौकरी से वंचित करने के लिए सफेदा लगाकर नम्बर कम कर दिए जाते थे ! जिसका खुलासा करते हुए ब्राहमण दुबे परिवार में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली थी ! चाहे पुलिस की भर्ती हो या अन्य राजस्व विभाग की भर्तियां अखिलेश जी के शासन में धांधली करते हुए अपने स्वजातीय लोगों को नौकरिया दिलाई ! जिस कारण से यूपी के बहुत से योग्य ब्राहमण नौकरी नहीं पा सकें ! इस प्रकार से इन्होने षड़यंत्र रचकर ब्राहमणों के अस्तित्व को ही चुनौती दी और सर्वाधिक अत्याचार भी ब्राहमणों पर इनकी सरकारों में हुए ! यही कारण था कि, इनके अत्याचारों से दुखी ब्राहमणों ने तिलक तराजू और तलवार का नारा देने वाली बहुजन समाज पार्टी की सरकार बना दी। क्योंकि उस समय भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी,

आज जय श्री राम का विरोध करने वाले अखिलेश यादव जय परशुराम कर ब्राहमणों का वोट पाकर सत्ता हासिल कर फिर से उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने का स्वप्न देख रहे है ! अच्छा हो अखिलेश जी हमारे भगवान और महापुरुषों को जातियों में न बाँटें। राम को क्षत्रिय कृष्ण को यादव और परशुराम को ब्राम्हण बताकर संगठित हुए हिन्दू समाज की एकता तोड़ने का प्रपंच रच रहे हैं! अखिलेश जी निर्दोष रामभक्तों के हत्यारे अपने पिता से यदि पूछेंगे तो उनके पिता उन्हें बता देंगे की इस देश का ब्राहमण जातिवादी नहीं बल्कि राष्ट्रवादी है और भारत माता की पूजा करता है और अखंड भारत का स्वप्न देखता है और दुनिया में भारत माता को शीर्ष स्थान पर ले जाने हेतु प्रयत्नशील रहता है ।