सूर्ख जर्द कमजोर न एक तगड़ा काफी है
हलाल होने को तो एक बकरा काफी है
हुस्न की फिराक में है तो बचके रह यार
दिल चाक करने में एक नखरा काफी है
दुश्मनी की दीवार गिरानी तुझे तो लड़
दोस्ती के लिए तो एक झगड़ा काफी है
सुन बे शराबी तुझे पता नहीं हो शायद
मदहोशी के लिए एक कतरा काफी है
मार डालेगी तुझे ये खुशियों की चाहत
जीने के लिए तो एक खतरा काफी है
सूर्ख - लाल
जर्द - पीला
चाक करना- टुकड़े-टुकड़े करना
डाॅ एम डी सिंह
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