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मई 2024 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

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सोमवार, 13 मई 2024

देख कर तुम्हे जी नही भरता उम्मीद की एक किरण हो तुम- रचना लव तिवारी

देख कर तुम्हे जी नही भरताउम्मीद की एक किरण हो तुमआते जाते हर हर पल हर क्षणखुशनुमा एक असर हो तुम।।मेरी जीवन की अभिलाषातुम पर शुरू तुमपर ही ख़त्ममेरे सपनों की रानी बनकरदिल की हर एक धड़कन हो तुमरहे सलामत तेरी जवानी और योवन की सुंदरताहर पल सासों को वायु रूपीदेती सुंदर जीवन हो तुम।।लिख देते है तुमपर कविता जाने या अनजाने में।मेरी ख़्वाब की शहजादी और दिल की धङकन हो तुम।।रचना- लव तिवारीयुवराजपुर ग़ाज़ी...

आदमी जिसको चाहे वो उसे मिल जाये। ये मोहब्ब्त भी सबको नही नसीब होता- रचना लव तिवारी

दूर से देख कर इतना सुकून देते होपास होते तो नज़ारा ही कुछ अजीब होता।आदमी जिसको चाहे वो उसे मिल जाये।ये मोहब्ब्त भी सबको नही नसीब होता।।एक तुम्हें ही दिल में रखकर सोचते है हर वक्तप्यार हमसे नही करती तो मै बदनसीब होता।।बड़ी उम्मीद हैं तुमसे और ख्वाईश भी मेरे महबूबहो जाती मेरी बस तो मैं बड़ा खुशनसीब होता।।एक तम्मना बस मेरी आखिरी हैं तुम्हें पाने कीमुझको तू मिल जाये ऐसा मेरा नसीब होता।।रचना लव तिव...

रविवार, 12 मई 2024

ग़ाज़ीपुर की महान कवियत्री श्रीमती बीना राय जी का संक्षिप्त परिचय एवं रचनाएँ

परिचय:-नाम - बीना राय जन्म:- 27 /9/1981निवास स्थान : गाजीपुर, उत्तर प्रदेशकार्य - शिक्षण व लेखन जन्म स्थान : कोलकाता, पश्चिम बंगाल अभिरूचियां : अध्ययन, अध्यापन व लेखनप्रकाशित पुस्तक - 1-खुशनसीब हो गए 2-अंगारे गीले राख से अन्य प्रकाशन - 18 साझा संकलन पुस्तकों में प्रकाशित उद्देश्य: मानवता और साहित्य की सेवासंप्रतियां : अंग्रेजी विषय की शिक्षिका के रूप में 20 वर्ष से कार्यरत एवं अपने जिला गाजीपुर महिला काव्य मंच की वर्तमान अध्यक्षा। काशी काव्य संगम...

किसी करीबी पर भी आंख मूंद कर ऐतबार का अब वक्त नहीं- रचना श्रीमती बीना राय ग़ाज़ीपुर

किसी करीबी पर भी आंख मूंद कर ऐतबार का अब वक्त नहींमौन रहकर करना है हर चाल पस्त, तकरार का अब वक्त नहीं हो कितने पानी में है मुझे भी पता, तुम डार-डार मैं पात-पात यह मत सोचो कि सौ सुनार की एक लुहार का अब वक्त नहीं किसी सरल और निर्दोष हृदय पर तुम ऐसे ना आघात करोकि रब रूठकर तुमसे सोचे कि तिरे इसरार का अब वक्त नहीं जो बोते हैं वहीं काटते हैं हम तो बुरे कर्म का बीज क्यों बोना जल्दी समझो, इस बात को समझने से इंकार का अब वक्त नहीं स्वलिखित रचनाबीना रायगाज़ीपुर,...

तू रोड़ा ना बन - रचना श्रीमती बीना राय ग़ाज़ीपुर उत्तरप्रदेश

तू रोड़ा ना बनराह दिखाने वाले के राह में तू रोड़ा ना बनआग बुझा दे ईर्ष्या की कर ले अपना शीतल मनआभार व्यक्त कर ईश्वर कीमुझ जैसी तुझको सखी मिलीजिसके मन पर पड़ी नहीं कभी छल कपट की आवरणजिसने पीड़ा अपनी व्यक्त की तुझे मानकर अपनी बहनमाना वक्त की सतायी हूं मैं पर इसका तंजं तुझे शोभा ना देतेरी प्रवृत्ति पहचान सका नाकपटी तुझे मेरा भोला मनक्या हासिल हुआ है तुझे बतामुझ निर्दोष की झूठी निंदा करहै अब भी वक्त, सम्हल जा सखी दोस्ती का ना कर मैला दर्पणमुझे ग़म नहीं...

तुम देना ज़हर रचना श्रीमती बीना राय ग़ाज़ीपुर उत्तरप्रदेश

तुम देना ज़हरदोस्ती में मुझे तुम देना ज़हर मैं पीऊंगी उसे भी अमृत करचाहते हो क्या बताओ तो सहीमेरा सबकुछ तुमपर न्यौछावरमिलती है खुशी गर इसी से तुम्हेंभोंक लेना मिरे पीठ में खंजर तुम दे दो मुझे तीरगी अपनी और ले लो मिरे हिस्से की सहरकर्ण ने भी दल नहीं बदलाहार रहा था दुर्योधन अगर माफ़ करते चलो सबको बीना जिंदगी है बड़ी ही ये मुख़्तसर स्वरचित कविता बीना रायगाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश...

सुन रही हूं मैं रचना श्रीमती बीना राय गाज़ीपुर उत्तरप्रदेश

सुन रही हूं मैंमिरी ही बात आजकल जा-ब-जा सुन रही हूं मैं मिरे खिलाफ चल रही है एक हवा सुन रही हूं मैंना डर उसको है खैर ऐसी किसी हवा से यहां क्यों कि वो खुद ही है एक तुफां सुन रही हूं मैं मैं जिस दोस्त के राहों में फूल बरसाती रही उसने बिछा रक्खा है वास्ते मिरे कांटा सुन रही हूं मैंमैं हो जाऊं बदनाम और बेकदर इस ज़माने में मिरे ही लोगों को बनाया गया जरिया सुन रही हूं मैंपढ़ रही हूं अक्से-ख़ुश्बू प्यारी परवीन शाकिर की बादशाहे-ग़ज़ल दनकौरी की शेर ताज़ा...

कुछ बात करो - रचना श्रीमती बीना राय गाज़ीपुर उत्तरप्रदेश

कुछ बात करोआओ बैठो पास मिरे कुछ बात करोसाझा मुझसे अपने तुम जज़्बात करोहो जाए बदनाम हमारी दोस्ती तुम पैदा ऐसे ना कोई हालात करो।रख दिया खोलकर मन जब आप के सामने अब मन के घावों पर नहीं आघात करोतुम कहते हो मैं हूं सूखा फलहीन शजर तो अलाव में उपयोग डार और पात करो कह दूं अलविदा मैं आप की महफ़िल को तुम बार आखिरी हंसकर तो मुलाकात करो।स्वरचित रचना बीना रायगाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश...

तुम ना रोना रचना श्रीमती बीना राय ग़ाज़ीपुर उत्तरप्रदेश

तुम ना रोनाजब चली जाऊं मैं इस आलम से तुम ना रोनारोएगी रूह मिरी क़सम से तुम ना रोनालग जाती है ज़माने की दोस्ती को नज़र मैं हूं तिरे खिलाफ इस भरम से तुम ना रोना मुझे रूसवा और तन्हा तो कर ही दिया तुमने दिल में धधकते अपने अहम से तुम ना रोना हैं बिन बात के ही कुछ लोग ख़फ़ा तो क्या हुआ महफूज़ हूं मैं खुदा की करम से तुम ना रोना हुई हो बीना से कुछ ख़ता तो माफ़ करनारह-रहकर दिल में उपजे अलम से तुम ना रोना।स्वरचित रचनाबीना रायगाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश...