बुधवार, 30 सितंबर 2020

उनसे पूछो क्या हालत है। बेटी जिनकी जलाई है- लव तिवारी

कैसा मंजर, यह कैसा दृश्य है।
यह कैसी आफत आयी है।
घर से विदा होती जिस बहन की
अर्थी ने भी की रुसवाई है।।

मानव में रही न मानवता
डरी सहमी अब बच्चियां भी
इन दरिंदो को क्या सज़ा दे
जो हवस का बना पुजारी है।।

सत्ता के नेताओं को भी
भाती अपनी राजनीति ही
उनसे पूछो क्या हालत है।
बेटी जिनकी जलाई है।।

कब सुधरोंगे तुम दरिंदो
कब होगा तुम्हारा मन निर्मल
गंगा के इस देश मे तुमने
आज नरक नगरी बसाई है।।

रचना - लव तिवारी
दिनांक- १-अक्टूबर-२०२०
ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश






बुधवार, 16 सितंबर 2020

युवाओं को नौकरी देकर उनका भी सम्मान करो रचना- लव तिवारी

इंसानियत के नाम को ऐसे न तुम बदनाम करो ।
युवाओं को नौकरी देकर उनका भी सम्मान करो।।

खेत मे रोज परिश्रम करके बाप बेटे को पढ़ता है।
और पूछता इतने में कैसे सब कुछ हो जाता है।।
इस खून पसीने की कमाई को ऐसे न बर्बाद करो।
युवाओं को नौकरी.......

नमक रोटी और कुछ बिस्किट के साथ बच्चे रहते है
हरदम भूखे पेट अन्न धन के अभाव सोते है।।
इनके इस बलिदान को व्यर्थ न सरे आम करो।
युवाओं को नौकरी............

बेरोजगारी में ये कैसा सविंदा का प्रारूप नया।
उधर लड़का कहता है प्राइवेट से है सरकारी बड़ा
लोगों के आत्मविश्वास को ऐसे न शर्मशार करो
युवाओ को नौकरी दो.........

रचना- लव तिवारी












सोमवार, 14 सितंबर 2020

भारतीय लोकतंत्र के महान नेता स्वर्गीय रघुवंश बाबू को विनम्र श्रद्धांजलि- सम्मी सिंह

कल रघुवंश बाबू चले गए औऱ छोड़ गए वो स्मृतियां जिसको कि हर गांधीवादी समाजवादी सहेजना चाहेगा। वह गंगा औऱ गंडक के कछार पर स्थित उसी वैशाली से आते थे जहां दुनिया का शुरुआती लोकतंत्र पुष्पित औऱ पल्लवित हुआ था ,जो वज्जि महासंघ की राजधानी थी औऱ दुनिया मे अहिंसा के अगुणित बीज बोने वाले जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर महाबीर स्वामी की जन्मस्थली भी थी। उसी वैशाली में नगरवधू आम्रपाली ने सम्पूर्ण एशिया को ज्ञानवान बनाने वाले बुद्ध को लैंगिक भेदभाव करने पर खुलेआम चुनौती दी थी औऱ दुनिया के इतिहास में यह पहला औऱ शायद अंतिम उदाहरण है जब एक नगरवधू के सामने एक सन्यासी ने नैतिक आधार पर घुटने टेके थे औऱ वह नगरवधू अपने को सवाल- जवाब से ऊपर उठाकर स्वयं को ईश्वर प्रदत्त नारी गुणधर्म के बल पर बुद्ध के शरण मे समर्पित दुनिया की पहली बौद्ध भिक्षुणी बन गयी थी।

इतिहास में वैशाली की अपनी महिमा है लेकिन आजादी के बाद बहुत कम ऐसे मौके आये जब किसी नेता के कारण किसी स्थान की महिमा उद्घाटित हुई हो लेकिन उन्ही कम उदाहरण में से रघुवंश प्रसाद एक ऐसे उदाहरण है जिन्होंने वैशाली को विश्व के फलक पर स्थापित करने का महान कार्य किया । वैशाली की धरती इस क्षण गर्व औऱ दुख दोनो महसूस कर रही होगी। गर्व इस बात पर कि ईसा से छ शताब्दी वर्ष पूर्व जनतंत्र की बुनियाद रखने वाले वैशाली ने लगभग ढाई हजार साल बाद एक ऐसा सपूत को जना था जो जम्हूरियत का न केवल रक्षक था बल्कि सम्पूर्ण जम्हूरी समाज के जीवन औऱ गरिमा को सर्वोच्च स्थान दिलाने में अपने जीवन को ही खपा दिया और दुःख इस बात पर की कि जीवन के अंतिम समय मे वैशाली के जनमत ने उस भदेस रघुवंश बाबू के खिलाफ अपना फैसला दिया जिस रघुवंश बाबू ने एक ज्ञानवान साधक की तरह राजनीति की काल कोठरी से न केवल बेदाग निकले बल्कि राजनीति के लक्ष्यों को पूरे देश के गाव, गरीब औऱ किसान के सवालो पर संसद से सड़क तक केंद्रित भी किये।

गणित के इस प्रोफेसर ने आरक्षण के बाद हिंदुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी क्रांति का आधार बनी मनरेगा को न केवल सफलतापूर्वक लागू किया बल्कि उंसको हिंदुस्तान के बेसहारा गरीब -गुरबा का सहारा और ताकत भी बनाया।
आपातकाल की आग से निकले और जेपी तथा कर्पूरी ठाकुर की पाठशाला में पके इस महान समाजवादी नेता में गांधी औऱ लोहिया की तरह अपनी मिट्टी की समझ औऱ अंतिम व्यक्ति को गौरवपूर्ण जीवन उपलब्ध कराने की वह आग थी जिसकी ऊष्मा में वह अंतिम समय तक स्वयं को जलाते हुए एक ऐसे संसार को रचने में मशगूल रहे जो जीवन औऱ इतिहास दोनो को गौरव प्रदान करे।

हम स्वयं को सौभाग्यशाली मानते है कि हमे भी दो बार उनको सानिध्य में बैठकर कुछ जानने समझने का मौका मिला और आजीवन यह स्मृति जीवन मे ऊर्जा भरती रहेगी।
भारतीय लोकतंत्र के इस महान नेता को नमन।


गाँव मेरा प्यारा- पटकनिया,प्यार का नाम पटकनी है-रचना - हरबिंदर सिंह शिब्बू

शिष्य गुरु को उपहार देते हैं, परन्तु आज हिन्दी दिवस पर शिष्य को मैं यह कविता बतौर उपहार सस्नेह भेंट करता हूँ।
मेरा प्रिय शिष्य नितीश सिंह जो मेरे पड़ोसी गाँव पटकनिया का निवासी है, वह अपने गाँव का एक विस्तृत इतिहास परिश्रम से लिखा, जिसे पढ़ कर मैं बहुत प्रभावित हुआ, उसके उसी स्वग्राम परिचय को मैं काव्यरुप में प्रस्तुत कर उसको भेंट कर रहा हूँ, इसमें सारी जानकारी नितीश के लेख "मेरा गाँव पटकनिया" से लिया गया है।
                        

गाँव मेरा प्यारा- पटकनिया,प्यार का नाम पटकनी है।
मैं नितीश परिचय देता हूँ, ये मेरी भू-जननी है ।।
भौगोलिक सौंदर्य अगर बतलाऊँ तो , वो ऐसे है  ।
ढाई सौ वर्ष पूर्व में आकर लोग बसे यहाँ तब से है।।

कोई सुनियोजित संरचना नहिं,  पूछेंगे यह  कैसे है?
ज्यो-ज्यो आये लोग औऱ बस गये जैसे, का तैसे है।।
पूरब में कल्यान पूर,पश्चिम युवराज पुर ग्राम है।
उत्तर दूर मातु गंगे हैं, दक्षिण, अड़रिया गौरा, ग्राम है।।

ग्राम के नामकरण के पीछे, एक रहस्य बतलाता हूँ ।
गाँव पहलवानों का रहा, ये बुजुर्गों से सुनी सुनाता हूँ।
किस किस के मैं नाम गिनाऊँ, पहलवान यहाँ पट्ठे थे।
बुजुर्ग या फिर नौजवान जो भी थे , हट्ठे-कट्ठे थे।।

मलिकार ओस्ताद खलीफा इनको यहाँ कहा जाता।
बाहर का लड़वइया यहाँ पटकनी खा कर ही जाता।।
यही पटकनी देते - देते नाम पड़ गया ,  पटकनिया।
रेवतीपुर है ब्लाक यहाँ का,और तहसील जमानियां।।

स्वतंत्रता सेनानियों की ,यह धरती कहलाती है।
वंशनरायन मिश्र ,अमर सिंह जी की याद दिलाती है।।
इनका करूँ बखान ,तो बातें लम्बी होतीं जायेंगी ।
गाँव जलाया गोरों ने, ये भी बातें जुड़ जायेंगी।।

आज भी गाँव में सेवारत  फौजी भाई मिल जायेंगे।
गाँव मे नजर घुमाएंगे ,भूतपूर्व सैनिक दिख जायेंगे।।
पदकंदुक का खेल यहाँ पर रुचि से खेला जाता रहा।
गायन में मिश्रा जी लोगों का परचम लहराता रहा।।

कृषिप्रधान यह गाँव,बड़े खेतिहर में यही कहावत थी।
नरवन में नीरू,पटकनी में खीरु,लेकिन नहीं अदावत थी।।
और सिताब दियर में गरीब रा को याद किया जाता।
बाकी सब छोटे गृहस्थ थे , बड़ों में तीन का नाम आता।।

अंग्रेजी शासन में भी ,शिक्षा हित सतत प्रयास हुआ।
जे एन राय, जे एन सिंह द्वारा, शिक्षा का विकास हुआ।।
आज के दौर में भी प्रयासरत लोग यहाँ मिल जायेंगे।
ग्रामोन्नति हित मदद सगीना राम का नहीं भुलायेंगे।।

बहुत है बतलाने के लिए , मैं थोड़ा ही बतलाता हूँ।
गाँव की मैं मीठी बोली  भोजपूरी में बतियाता हूँ।।

गाजीपुर जनपद अंतर्गत गाँव और क्या बतलाऊँ।
आओ प्यारे पथिक,आपको,अपना गाँव मैं दिखलाऊँ

  रचना - हरबिंदर सिंह "शिब्बू"







शनिवार, 5 सितंबर 2020

मैं हालातों का मारा प्राइवेट शिक्षक हूँ।- डॉ शशिकांत तिवारी


मैं बी.एड हूँ ।
मैं एम.एड.हूँ ।।
मैं उतीर्ण नेट शिक्षक हूँ ।
मैं हालातों का मारा प्राइवेट शिक्षक हूँ ।।

मैं इंटिलिजेंट हूँ ।
मैं ब्रिलियंट हूँ ।।
मुझें अपनों ने लूटा ।
इसलिए साइलेंट हूँ ।।

मुझें परम् पावन बनाया गया ।
बड़े बड़े सब्ज़बाग दिखाया गया ।।
लेकिन अब न चम्पा , न बेला न , ही इत्र हूँ ।
  समायोजित हुआ गर्व से शिक्षक बना ।
             लेकिन अर्श से फ़र्श पर गिरा शिक्षामित्र हूँ ।।

 और इस कोरोना काल में कहना क्या हैं ।
  
          आधा पेट खाना हैं ।
           और किश्मत पर रोना हैं ।।
            अब अगले जन्म की तलाश हैं ।
       इस जन्म कुछ नही होना हैं ।।



शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

उठ जाता हूं सुबह-सुबह वो सपने सुहाने नही आते अब मुझे स्कूल न जाने वाले बहाने बनाने नही आते

उठ जाता हूं सुबह-सुबह वो सपने सुहाने नही आते
अब मुझे स्कूल न जाने वाले बहाने बनाने नही आते

कभी पा लेते थे घर से निकलते ही मंजिल को
अब मीलों सफर करके भी ठिकाने नही आते

मुंह चिढाती है खाली जेब महीने के आखिर में
अब बचपन की तरह गुल्लक में पैसे बचाने नही आते

यूं तो रखते हैं बहुत से लोग पलको पर मुझे
मगर बेमतलब बचपन की तरह गोदी उठाने नही आते

माना कि जिम्मेदारियों की बेड़ियों में जकड़ा हूं
क्यूं बचपन की तरह छुड़वाने वो दोस्त पुराने नही आते

बहला रहा हूं बस दिल को बच्चों की तरह
मैं जानता हूं फिर वापस बीते हुए जमाने नही आते

आप सभी मित्रों को #शिक्षक_दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं- #लव_तिवारी




राष्ट्र भावना से प्रेरित, सीमा पर अलख जगाता है । बर्फीले तूफानों में भी जन गण मन धुन गाता है- हरविंदर सिंह शिब्बू

"फौजी भाइयों के नाम" ।।

भाव शक्ति का अक्षय स्रोत है, भाव भक्ति का प्रेरक है।
भाव ओज का संवाहक है , भाव चित उत्प्रेरक है ।।
बिना भाव के हृदयस्थल को, उपमा पत्थर की मिलती।
भाव, हृदय जब छिन्न भिन्न हो, प्रेमभावना ही सिलती ।।

भाव भरा ही कहीं , वेदनाओं का बोझ उठता है ।
अधरों पर मुस्कान किसी के खुद मिट कर दे जाता है।।
राष्ट्र भावना से प्रेरित, सीमा पर अलख जगाता है ।
बर्फीले तूफानों में भी जन गण मन धुन गाता है।।

गोले गोली की बौछारें ,डिगा नहीं सकती उसको ।
प्राण बहुत छोटा लगता और देश बड़ा लगता जिसको।।
वीरों की धरती भारत है , यहाँ नहीं कोई कायर है ।
ऐसे वीर जवानों पर , यह पूरा देश न्योछावर है ।।

बहन यहाँ भाई को जब ,सरहद के लिए पठाती है ।
जाने से पहले उसको राखी की याद दिलाती है ।।
याद रहे राखी पर भाई, लेकर छुट्टी घर आना ।
किन्तु शत्रु ललकारे तो मत आना आगे बढ़ जाना।।

लेकर के बंदूकें , शत्रु के सीने पर चढ़ जाना ।
पीठ नहीं दिखलाना भाई , लड़ते लड़ते मर जाना ।।
यही भावनाएं जवान को निर्भय कर जाती होंगी।
उठती होगी फड़क भुजाएँ, भौंहें तन जाती होंगी।।

माँ के छू कर चरण पुत्र जब घर से कदम बढ़ता है।
माँ की ममता और दुआ की शक्ति संग ले जाता है।।
माँ के आँचल की हवायें सरहद तक जाती होंगीं।
माँ के लाडले को सरहद पर भी छू कर आती होंगी।

सेना की वर्दी में पति को देख के चौड़ी छाती होगी ।
अपने मन की कहने में वो तो कुछ कुछ शर्माती होगी।।
तभी डभडभाये नयनों को नीची कर मुस्काती होगी।
रखना अपना ध्यान , दबी आवाज में चेत दिलाती होगी।।

पिता विदा करने बेटे को गाँव की सीमा तक आता है।
और पुत्र आशीष पिता का लेकर सरहद पर जाता है।।
भाव हृदय के छलक नेत्र से जब बाहर आ जाते होंगे।
सीमा पर जाते जवान के लिए कवच बन जाते होंगे।।

देशभक्ति के प्रबल भाव से , हृदय हिलोरे लेता है ।
हँसते हुए वीर सैनिक , सर्वोच्च आहुती देता है ।।
इन्हीं भावनाओं की ताकत का अनुमान लगाता हूँ ।
हर जवान के परिजन के सम्मान में शीश झुकाता हूँ ।।
हरबिंदर सिंह "शिब्बू"
राष्ट्रीय प्रचारक, (ABKMY)

#poetry #poem #मोदी



मंगलवार, 1 सितंबर 2020

अब तो बस जिस्म बची,जान तो बचा ही नहीं दुनियाँ वालों कहीं ईमान तो बचा ही नहीं -हरबिंदर सिंह शिब्बू

अब तो बस जिस्म बची,जान तो बचा ही नहीं।
दुनियाँ वालों कहीं ईमान तो बचा ही नहीं।।

मैं भी तुम पर और तुम मुझ पर,लगा लो तोहमत।
गल्तियां माने वो इन्सान तो बचा ही नहीं।।

सब के मुँह से निवाला छीन भले लेता था।
बच्चों को छोड़ दे, वो शैतान तो बचा ही नहीं ।।

लोग ही,लोगों के लिए ,जब से बन गये ठोकर।
पत्थरों ने कहा पहचान तो बचा ही नहीं।।

दूरियां ख़त्म हुईं, दूरियां बनी फिर भी ।
नहीं पहचान भी,और अन्जान तो बचा ही नहीं।।

दिया जो रात भर जलता, वो बुझ गया जल्दी ।
हवा ने कह दिया ,कभी तूफ़ान तो चला ही नहीं।।

बड़े अदब से वो ,मुझको अजीज कहते रहे।
गली में उनके "शिब्बू" सम्मान तो बचा ही नहीं।।

हरबिंदर सिंह "शिब्बू"
राष्ट्रीय प्रचारक,(ABKM-Y) 

श्रद्धांजलि भारत रत्न स्वर्गीय श्री प्रणव मुखर्जी

सौम्य, सरल, सद्भाव, प्रणव,
दल से ऊपर विह्वल विश्वास
अर्पित, श्रद्धांजलि, अश्रुपूरित
शान्ति आत्मा हो स्वर्ग निवास ।।

देश जरूरत हिम्मती नेतृत्व,
अति महत्वपूर्ण प्रणव उपदेश,
राजनीति क्षेत्र अति निपुण सोच
ना सत्ता मद, ना दिल में क्लेश
दिल में तरंग जो उनके उठती,
कन्हैया को होता अब एहसास
अर्पित श्रद्धांजलि, अश्रुपूरित,
शांति आत्मा हो स्वर्ग निवास

अपनाये उनके अभिलक्षित दर्शन
राष्ट्र नियत प्रकाश फैलायें
विकास प्रकीर्णित राग प्रदर्शन
सब नेता मन, कर्म, अपनाये
दर्शन, प्रदर्शन समन्वित सुचिता
छटे राजनीति सब द्वेष निराश
अर्पित श्रद्धांजलि करे कन्हैया,
शान्ति आत्मा हो स्वर्ग निवास

कन्हैया गुप्ता। (शिक्षक)
जनता उ मा विद्यालय जंगीपुर ग़ाज़ीपुर
8423397106