मंगलवार, 1 सितंबर 2020

अब तो बस जिस्म बची,जान तो बचा ही नहीं दुनियाँ वालों कहीं ईमान तो बचा ही नहीं -हरबिंदर सिंह शिब्बू

अब तो बस जिस्म बची,जान तो बचा ही नहीं।
दुनियाँ वालों कहीं ईमान तो बचा ही नहीं।।

मैं भी तुम पर और तुम मुझ पर,लगा लो तोहमत।
गल्तियां माने वो इन्सान तो बचा ही नहीं।।

सब के मुँह से निवाला छीन भले लेता था।
बच्चों को छोड़ दे, वो शैतान तो बचा ही नहीं ।।

लोग ही,लोगों के लिए ,जब से बन गये ठोकर।
पत्थरों ने कहा पहचान तो बचा ही नहीं।।

दूरियां ख़त्म हुईं, दूरियां बनी फिर भी ।
नहीं पहचान भी,और अन्जान तो बचा ही नहीं।।

दिया जो रात भर जलता, वो बुझ गया जल्दी ।
हवा ने कह दिया ,कभी तूफ़ान तो चला ही नहीं।।

बड़े अदब से वो ,मुझको अजीज कहते रहे।
गली में उनके "शिब्बू" सम्मान तो बचा ही नहीं।।

हरबिंदर सिंह "शिब्बू"
राष्ट्रीय प्रचारक,(ABKM-Y) 

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