शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

उठ जाता हूं सुबह-सुबह वो सपने सुहाने नही आते अब मुझे स्कूल न जाने वाले बहाने बनाने नही आते

उठ जाता हूं सुबह-सुबह वो सपने सुहाने नही आते
अब मुझे स्कूल न जाने वाले बहाने बनाने नही आते

कभी पा लेते थे घर से निकलते ही मंजिल को
अब मीलों सफर करके भी ठिकाने नही आते

मुंह चिढाती है खाली जेब महीने के आखिर में
अब बचपन की तरह गुल्लक में पैसे बचाने नही आते

यूं तो रखते हैं बहुत से लोग पलको पर मुझे
मगर बेमतलब बचपन की तरह गोदी उठाने नही आते

माना कि जिम्मेदारियों की बेड़ियों में जकड़ा हूं
क्यूं बचपन की तरह छुड़वाने वो दोस्त पुराने नही आते

बहला रहा हूं बस दिल को बच्चों की तरह
मैं जानता हूं फिर वापस बीते हुए जमाने नही आते

आप सभी मित्रों को #शिक्षक_दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं- #लव_तिवारी




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