मैं बी.एड हूँ ।
मैं एम.एड.हूँ ।।
मैं उतीर्ण नेट शिक्षक हूँ ।
मैं हालातों का मारा प्राइवेट शिक्षक हूँ ।।
मैं इंटिलिजेंट हूँ ।
मैं ब्रिलियंट हूँ ।।
मुझें अपनों ने लूटा ।
इसलिए साइलेंट हूँ ।।
मुझें परम् पावन बनाया गया ।
बड़े बड़े सब्ज़बाग दिखाया गया ।।
लेकिन अब न चम्पा , न बेला न , ही इत्र हूँ ।
समायोजित हुआ गर्व से शिक्षक बना ।
लेकिन अर्श से फ़र्श पर गिरा शिक्षामित्र हूँ ।।
और इस कोरोना काल में कहना क्या हैं ।
आधा पेट खाना हैं ।
और किश्मत पर रोना हैं ।।
अब अगले जन्म की तलाश हैं ।
इस जन्म कुछ नही होना हैं ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें