मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

ग़ाज़ीपुर के अग्रिम विकास के लिए एक ही नाम चाहिए माननीय मनोज सिन्हा- लव तिवारी

आप BJP  के समर्थक है या किसी अन्य राजनीतिक दल से BJP के खिलाफ लेकिन आप एक सांसद के रूप में मनोज सिन्हा का विकल्प ग़ाज़ीपुर में नही खोज सकते, मैन हमेशा कहा है कि आप अपने क्षेत्र के किसी विशेष और अच्छा उम्मीदवार चुनिए, जो आपकी समस्याओ को दिल्ली पहुचा सके, आपका विकास कर सके। पूर्वांचल में शायद बनारस के बाद अगर कुछ भी काम हुआ है तो वो ग़ाज़ीपुर शहर है इसका श्रेय पूर्व ग़ाज़ीपुर सासंद माननीय मनोज सिन्हा जी है जिनके द्वारा कई सड़को को नेशनल हाइवे निर्माण के रूप में केंद्र सरकार से प्रयास। और   इसके लिए हम BJP को नही नकार सकते, चाहे देश मे जो भी हो रहा हो ग़ाज़ीपुर में तो चयन बहुत ही आसान है, क्योकि दो ऐसे लोग चुनाव लड़ रहे है जिन्होंने सांसद रहते हुए अपनी सेवाएं दी है, और दोनों के कार्यो का आकलन भी आप कर सकते है।।

जाति की दीवार इतनी मज़बूत नही हो सकती कि यह विकास और क्षेत्र की विकास पर भारी हो।आप मुझ पर जातिवादी होने का आरोप लगा सकते है  क्यो कि मैं ब्राम्हण कुल से हूँ लेकिन आप अगर ग़ाज़ीपुर के वोटर है तो आप कृपया अपने क्षेत्र में खुले मन से जा कर देखिए आप को किसे वोट देना था और जातिवाद के भयानक भर्म में आप ने किसे वोट दिया। 1 वर्ष से ऊपर हो गये और धीरे धीरे कुछ समय बाद 5 वर्ष भी बीत जाएगा और फिर आप सभी को अहसास होगा कि मैंने या हम सब ने जो किया वो वाकई गलत था कि आप अपना वोट किसे देना चाहते थे और किसे दिया ।

प्रस्तुति- लव तिवारी
सम्पर्क सूत्र- +919458668566


प्रत्यक्ष से कई गुना ताकतवर परोक्ष, हमारे पापा की सीख -प्रवीन तिवारी पेड़ बाबा ग़ाज़ीपुर

प्रत्यक्ष से कई गुना ताकतवर परोक्ष, हमारे पापा की सीख ::--
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    सात आठ वर्ष पहले झाड़ू हमारे हथियार हुआ करता था और रोज हमारे साथ चार पाँच घंटे रहता था । बारी बारी से हम किसी न किसी गाँव की गंदी गलियों को खोजते और तबतक साफ करते रहते जबतक वह गली उस गाँव की सबसे साफसुथरी गली न बन जाए ।
उसे दौरान हमारे गाजीपुर स्थिति घर के समीप एक चौराहा भी बहुत ही गंदा हुआ करता था और हमेशा ही हमारा मन होता था कि क्यों न यहाँ भी सफाई अभियान चलाकर लोगों को इतना जागरूक कर दिया जाए कि चौराहा बिल्कुल ही साफसुथरा दिखने लगे ।
    एक दिन हम इसी विषय पर अपने पापा से चर्चा करने लगे और उनसे पूछे कि हम ऐसा क्या करें कि लोगों में चौराहे की सफाई के प्रति जागरूक बढ़े तो हमारे पापा तपाक से बोले कि तुम रोज दो बजे रात में अकेले ही जाकर सफाई में जुट जाया करो और भोर के चार बजे तक वहाँ से वापस आ जाया करो जिससे कि कोई भी तुमको सफाई करते न देख सके ।
    हमें उनकी बातों पर चिढ़ आया कि हम अभियान चलाने की बात कर रहे हैं और यह हमें अकेले ही अंधकार में जाकर सफाई करने को बोल रहे हैं । आखिर सफाई अभियान का प्रचार प्रसार कैसे होगा । उस समय न तो कैमरा होगा न ही लोग होंगे न ही मिडिया होगा ।
   फिर भी हमें उनमें श्रद्धा थी तो हम उनकी बातों को मान लिये ।
    उस वक्त दिसम्बर का महीना था और हम चालिस दिन तक चौराहे की सफाई का संकल्प ले लिए । अगले दिन झाड़ू, तगाड़ी और फावड़ा लेकर हम चौराहा पर रात के दो बजे पहुँच गए और चार बजे तक सफाई करते रहे । गंदगी बहुत ही अधिक था । इसप्रकार हमारे बीस दिनों के लगातार सफाई से चौराहा बिल्कुल ही साफ दिखने लगा । अभी भी शाम को दुकान बंद करने के दौरान दुकानदार अपने दुकान का कूड़ाकचरा अपने दुकान के बाहर ही छोड़ देते थे । लेकिन अगले दिन से वह गंदगी भी साफ । तीस दिन बीते होंगे कुछ लोग चौराहा पर रात्रि जागरण करके सफाई करने वाले को खोजने लगे । हम जब रात्रि के दो बजे पहुँच कर झाड़ू लगाना शुरू किये तो चारपाँच लोग आकर हमें घेर लिए । उस दौरान हम अपने मुँह को मोफलर से ढके थे लह लोग हमारे मोफलर को हटवाकर अस्पष्ट रूप से हमारा चेहरा देखे । फिर क्या था यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई । जब हम अगले दिन पहुँचे तो हमें कहीं भी गंदगी का नामोनिशान नहीं मिला ।
फिर भी संकल्पानुसार हम सफाई करते रहे । उतनी रात में चार पाँच लोग झाड़ू लेकर हमारा साथ देने के लिए आने लगे । धीरे धीरे यह खबर तत्कालीन जिलाधिकारी तक पहुँचा और वह अपने मद से चौराहा का सुंदरीकरण करवाए ।
   इसप्रकार हमारे पापा हमें यह एहसास दिलवाए कि प्रत्यक्ष से अधिक ताकतवर परोक्ष होता है ।
    आज हमारे पापा प्रत्यक्ष रूप से तो हमारे साथ नहीं हैं परंतु अपने दिये हुए सीख से हमें यह एहसास दिलवा रहे हैं कि वह और ताकतवर ढंग से हमारा साथ देंगे ।

रविवार, 29 दिसंबर 2019

मोहब्बत अब नही होगा मुझे कल की तरह- लव तिवारी

मोहब्बत अब नही होगा मुझे कल की तरह।
मिला जो कल मुझे न रहा हमसफ़र की तरह।।

कुछ उसकी यादें है जो जाती नही जहन से।
खुशनसीब वह है जिसका है वो हमदर्द की तरह।।

ख्वाइशें कल भी थी आज भी है और रहेगी ही ।
जाने वाले को याद रखता मैं हरपल की तरह।।

कैसी दुनिया है जो एक ख्वाब मुक्कमल न हुआ।
मेरा होकर भी मुझसे छीना गया उसे बेरहम की तरह।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 29- दिसंबर- 2019




शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

वो छतों पर कई पत्थर जुटाए बैठे हैं- कवि गौरव चौहान इटावा

हम गलियों प्यार के मंज़र जुटाए बैठे हैं
वो छतों पर कई पत्थर जुटाए बैठे हैं

हम यहां उलझे रहे सेकुलर के धागों में,
वो तो अलकायदा लश्कर जुटाए बैठे हैं

हमने रसखान कबीरा की पोथियाँ बाँची,
वो तो भड़काऊ मुनव्वर जुटाए बैठे हैं

हमने तहज़ीबे लखनऊ का भरम रक्खा था,
वो तो लाहौर पिशावर जुटाए बैठे हैं

गंगा जमुनी इलाहाबाद सरीखे थे हम,
वो तो बगदाद का तेवर जुटाए बैठे हैं

हम तो चुपचाप रहे राम की फतह पर भी
वो नागरिकता पे बवंडर जुटाए बैठे हैं

हम हमीदो कलाम की सजाएं तस्वीरें,
वो तो अफ़ज़ल के कलेंडर जुटाए बैठे हैं

----कवि गौरव चौहान इटावा 9557062060

हाँ, हमारे बाप का ही है हिन्दुस्तान - अनिल चौधरी

जी हाँ, हमारे बाप का है हिन्दुस्तान !

शायर राहत इंदौरी ने लिखा था....

"सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है "~

राहत इंदौरी का यह शेर इन दिनों CAA व NRC के नाम पर जेहादियों द्वारा की जा रही हिंसा के समर्थन में खूब लिखा व बोला जा रहा है।

मैं  स्वंय भी यह मानने रहा वाला हूँ कि भले ही कुछ धर्म आक्रमणकारी व आतंकवादी/आतातायी के रूप में यहां आये, बावजूद इसके, हमारी कायरतापूर्ण दरियादिली के कारण खंड खंड होने के बाद बचा भारत अब सभी जाति, धर्म, मत व पंथों का है।

लेकिन यह केवल बोलने मात्र से बात नहीं बनती, अपितु विखंडन के पश्चात बचे राष्ट्र को पुनः विखंडित करने के उद्देश्य से प्रत्यक्ष रूप में आज जो कुछ गलत घट रहा है, आप आँख मूंदकर उससे निरपेक्ष नहीं बने रह सकते।

आज के परिप्रेक्ष्य में राहत इन्दौरी के शेर का यह विस्तार समसामयिक लगता है:

“ख़फ़ा होते हैं हो जाने दो, घर के मेहमान थोड़ी हैं !
जहाँ भर से लताड़े जा चुके हैं , इनका मान थोड़ी है !!

ये कान्हा राम की धरती है, सजदा करना ही होगा !
मेरा वतन ये मेरी माँ है, लूट का सामान थोड़ी है !!

मैं जानता हूँ, घर में बन चुके हैं सैकड़ों भेदी !
जो सिक्कों में बिक जाए वो मेरा ईमान थोड़ी है !!

मेरे पुरखों ने सींचा है लहू के कतरे कतरे से !
बहुत बांटा मगर अब बस, ख़ैरात थोड़ी है !!

जो रहजन थे उन्हें हाकिम बना कर उम्र भर पूजा !
मगर अब हम भी सच्चाई से अनजान थोड़े हैं ?  !!

बहुत लूटा फिरंगी ने, कभी बाबर के पूतों ने !
ये मेरा घर है मेरी ज़ान, मुफ्त की सराय थोड़ी है... !!

बिरले मिलते है धर्मनिरपेक्ष मुसलमां दुनिया में !
हर कोई अब्दुल हमीद और कलाम थोड़ी है  !!

कुछ तो अपने भी शामिल है वतन तोड़ने में !
अब ये कन्हैया और रविश, मुसलमान थोड़ी है !!

नहीं शामिल है तुम्हारा खून इस मिट्टी में !
ये तुम्हारे बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है !!

तस्लीमा नसरीन को सत्य घटनाओं पर आधारित 'लज्जा' उपन्यास की कहानी- अनिल चौधरी

शर्म से डूब मरना चाहिए, अगर लिखने में भी लज्जा आ रही इन घृणित पंक्तियों को पढकर भी कोई CAA का विरोध करता है तो...

तस्लीमा नसरीन को सत्य घटनाओं पर आधारित जिस 'लज्जा' उपन्यास के कारण अपने वतन से निर्वासित होना पड़ा, उसका यह अंश जरूर पढ़ें, और फिर CAA पर अपनी राय तय करें...

बेटियों के बलात्कारियों से जब माँ ने कहा "अब्दुल अली, एक-एक करके करो,,, नहीं तो वो मर जाएंगी "।

यह सच्ची घटना घटित हुई थी 8 अक्टूबर 2001 को बांग्लादेश में।

अनिल चंद्र और उनका परिवार 2 बेटियों 14 वर्षीय पूर्णिमा व 6 वर्षीय छोटी बेटी के साथ बांग्लादेश के सिराजगंज में रहता था। उनके पास जीने, खाने और रहने के लिए पर्याप्त जमीन थी।

बस एक गलती उनसे हो गयी, और ये गलती थी कि एक हिंदू होकर 14 साल व 6 साल की बेटी के साथ बांग्लादेश में रहना। एक क़ाफिर के पास इतनी जमीन कैसे रह सकती है..? यही सवाल था बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिद ज़िया के पार्टी से सम्बंधित कुछ उन्मादी लोगों का।

8 अक्टूबर के दिन..

अब्दुल अली, अल्ताफ हुसैन, हुसैन अली, अब्दुर रउफ, यासीन अली, लिटन शेख और 5 अन्य लोगों ने अनिल चंद्र के घर पर धावा बोल दिया, अनिल चंद्र को मारकर डंडो से बाँध दिया, और उनको काफ़िर कहकर गालियां देने लगे।
 
इसके बाद ये शैतान माँ के सामने ही उस 14 साल की निर्दोष बच्ची पर टूट पड़े और उस वक्त जो शब्द उस बेबस व लाचार मां के मुँह से निकले वो पूरी इंसानियत को झंकझोर देने वाले हैं।

अपनी बेटी के साथ होते इस अत्याचार को देखकर उसने कहा "अब्दुल अली,, एक एक करके करो, नहीं तो मर जाएगी, वो सिर्फ 14 साल की है।"

वो यहीं नहीं रुके,,उन माँ बाप के सामने उनकी छोटी 6 वर्षीय बेटी का भी सभी ने मिलकर ब#लात्कार किया ....उनलोगों को वहीं मरने के लिए छोडकर जाते जाते आस पड़ौस के लोगों को धमकी देकर गए की कोई इनकी मदद नहीं करेगा।

ये पूरी घटना बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी अपनी किताब “लज्जा” में लिखी, जिसके बाद से उनको अपना ही देश छोड़ना पड़ा। ये पूरी घटना इतनी हैवानियत से भरी है परन्तु आज तक भारत में किसी बुद्धिजीवी ने इसके खिलाफ बोलने की हैसियत तक नहीं दिखाई है, ना ही किसी मीडिया हाउस ने इसपर कोई कार्यक्रम करने की हिम्मत जुटाई है।

ये होता है किसी इस्लामिक देश में हिन्दू या कोई अन्य अल्पसंख्यक होने का, चाहे वो बांग्लादेश हो या पाकिस्तान।

पता नहीं कितनी पूर्णिमाओं की ऐसी आहुति दी गयी होगी बांग्लादेश में हिंदुओं की जनसँख्या को 22 प्रतिशत से 8 प्रतिशत और पाकिस्तान में 15 प्रतिशत से 1 प्रतिशत पहुँचाने में।

और हिंदुस्तान में जावेद अख्तर, आमिर खान, नसीरुद्दीन शाह व हामिद अंसारी जैसे हरामखोर लोग कहते है कि हमें डर लगता है,,, जहाँ उनकी आबादी आज़ादी के बाद से लगातार बढ़ रही है।

अगर आप भी सेक्युलर हिंदु (स्वघोषित बुद्धिजीवी) हैं और आपको भी लगता है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं,, तो कभी बांग्लादेश या पाकिस्तान की किसी पूर्णिमा को इन्टरनेट पर ढूंढ कर देखिये !!!

मूर्खतापूर्ण ढंग से केवल संविधान की दुहाई देते हुए रूदाली रूदन करने की बजाय इन लोगों के बारे में बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की राय भी पढियेगा। 

मर्जी आपकी !

मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

कुआँ और मेरा गांव युवराजपुर ग़ाज़ीपुर - लव तिवारी

गांव और कुआँ का सम्बन्ध बहुत पुराना है। कुँवा या कूप जमीन को खोदकर बनाई गई एक संरचना है जिसे जमीन के अन्दर स्थित जल को प्राप्त करने के लिये बनाया जाता है। इसे खोदकर, ड्रिल करके (या बोर करके) बनाया जाता है। बड़े आकार के कुओं से बाल्टी या अन्य किसी बर्तन द्वारा डौर और हाथ की सहायता से पानी निकाला जाता है। भारी मात्रा में जल की पूर्ति के लिए इनमें जलपम्प भी लगाये जाते है जिससे बड़ी मात्रा में खेतों की सींच कर फसल की पैदावार की जा सके। 

हमारे गांव युवराजपुर में कुआ का एक अलग महत्व था। जैसे कि हम और आप जानते है किसी व्यक्ति का बर्चस्व उसके जमीन जायदाद के साथ उसमे कुआ की प्रमुख भूमिका होती थी। अधिकतर जमीदार के  दौर उसके घर या द्वार के आसपास कुआँ का होना पाया जाता है। इसी प्रकार हमारे गांव में भी जमीदारो द्वारा भिन्न भिन्न जगहों पर कुओ की व्यवस्था की गई थी। अत्याधुनिक संसाधनों और घर मे बढ़ती जरूरतों हैंडपम्प समरसेबुल के होने के बाद इन कुओ को कोई नही पूछता और इन कुँआओ की बहुत दयनीय दसा हो गयी है।  स्वर्गीय मदन मोहन सिंह पूर्व ग्राम प्रधान द्वारा उनके कार्यकाल में गांव के अधिकत्तर कुओं की मरम्मत की गई थी जिससे कुआँ वास्तविक रूप पहले से बेहतर और अच्छी हो गयी थी। लेकिन अत्याधुनिक संसाधनों के दौर में कूआँ भी विलुप्ति  के दौर पर है। गांव में कई कुओं को भर दिया गया और जिससे उनका वास्तविक रूप भी खत्म हो गया है। कुछ कुएं आज भी है लेकिन उनका उपयोग न होने की वजह इनका पानी दूषित और गन्दा हो गया है।  मेरे घर के पास भी एक खूबसूरत कूआँ स्वर्गीय श्री अक्षयलाल बाबा के द्वारा गांव के उपयोग के लिए खोदा गया था । जिसका उपयोग हमने भी अपने बचपन काल मे बहुत किया है। 

#युवराजपुर #ग़ाज़ीपुर #उत्तर_प्रदेश 232332

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

मोदी ने मुस्लिमो के लिए सब कुछ किया फिर विरोध क्यों- लव तिवारी

परन्तु इस बार नही- मोदी है तो मुमकिन है

युद्ध मे कभी नही हारे , हम डरते हैं छलचन्दों से
हर बार पराजय पायी है , अपने घर के ही जयचंदों से

भारत मे मुसलमान को इंसान से ज्यादा वोट बैंक की राजनीति के रूप में देखा जाता है। पिछले 70 वर्ष से मुसलमान के पक्ष में फैसले कर कई राजनीतिक पार्टियों ने मुसलमान को लुभाये है और उनसे वोट बैंक की राजनीतिक भी की है। नागरिकता संसोधन बिल में भारतीय मुसलमान की कोई हानि नही है लेकिन गैर बीजपी पार्टियों को ये लगता है कि जो वोट हिन्दू जाति का हमारे साथ है अब वो भी बीजेपी के साथ होता नजर आ रहा है। क्यो की गैर बीजपी सरकार के जीत में मुस्लिमों के साथ हिन्दू वोट की पूर्ण भागीदारी है। 

उधर 2014 से मोदी सरकार ने मुस्लिमों के लिए कई ऎतिहासिक फैसले लिए जिसका जिक्र नीचे तस्वीर में प्रमाणित है । इससे गैर बीजेपी शासित प्रदेश में  न कोई  दंगा न कोई विरोध प्रकट हो रहा है। इससे ये बात स्पष्ट हो जाती है कि राजनीति के आधार पर ही और राजनीति को लेकर ही सारे काम किये जा रहें है। इन सब बातों को भारत के सभी लोग और वो मुसलमान जिन्हें भृमित किया जा रहा है उंन्हे समझना चाहिए।

एक रचना- 

2019 की 

एक अकेला पार्थ खडा है 
भारत वर्ष बचाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं 
केवल उसे हराने को।।
भ्रष्ट दुशासन सूर्पनखा ने 
माया जाल बिछाया है।
भ्रष्टाचारी जितने कुनबे 
सबने हाथ मिलाया है।
समर भयंकर होने वाला 
आज दिखाईं देता है।
राष्ट्र धर्म का क्रंदन चारों 
ओर सुनाई देता है।।
फेंक रहें हैं सारे पांसे 
जनता को भरमाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं 
केवल उसे हराने को।
चीन और नापाक चाहते 
भारत में अंधकार बढ़े।
हो कमजोर वहां की सत्ता 
अपना फिर अधिकार बढे।।
आतंकवादी संगठनों का 
दुर्योधन को साथ मिंला।
भारत के जितने बैरी हैं 
सबका उसको हाथ मिला।।
सारे जयचंद ताक में बैठे 
केवल उसे मिटाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं 
केवल उसे हराने को।
भोर का सूरज निकल चुका है
 अंधकार घबराया है।।
कान्हा ने अपनी लीला में 
सबको आज फंसाया है।
कौरव की सेना हारेगी 
जनता साथ निभायेगी।
अर्जुन की सेना बनकर के 
नइया पार लगायेगी।
ये महाभारत फिर होगा 
हाहाकार मचाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं 
केवल उसे हराने को।।
अज्ञात

प्रस्तुति- लव तिवारी
दिनांक- 21 दिसम्बर 2019

बुधवार, 18 दिसंबर 2019

पाकिस्तान में सांप्रदायिक आधार पर नागरिकता नहीं फिर क्यो हिंदू 23 से 3 प्रतिशत हो गये - लव तिवारी

पाकिस्तान में सांप्रदायिक आधार पर नागरिकता नहीं
द्विराष्ट्र सिद्धांत की व्याख्या करते हुए जिन्ना ने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया था कि नागरिकता का कभी भी सांप्रदायिक आधार नहीं होगा. उन्होंने महात्मा गांधी से ये बात कही थी और पाकिस्तान में विभिन्न समुदायों को नागरिकता के समान अधिकार दिए जाने का वादा किया था. जब आज़ादी का अवसर करीब आ गया और अंतरिम सरकार का गठन हुआ, तो जिन्ना ने काउंसिल की एक मुस्लिम सीट के लिए जोगिंदर नाथ मंडल को नामित किया. आगे चलकर मंडल ने पाकिस्तान संविधान सभा के प्रथम सत्र की अध्यक्षता की और पाकिस्तान के प्रथम विधि मंत्री बने. जिन्ना का 11 अगस्त का भाषण बहुत महत्वपूर्ण है.

दुर्भाग्य जिन्ना के कुछ वर्ष शासन के बाद ही पाकिस्तान को पूर्ण मुस्लिम राष्ट्र बंनाने की मुहिम चालू हो गयी और  गैर मुस्लिम लोग जो जिन्ना के इस अधिकार से अपनी धन संपत्ति के मोह में  पाकिस्तान में रह गए उंन्हे जबरन धर्म परिवर्तन कर  मुसलमान बनाया गया  जो हिंदू है उंन्हे आज भी प्रताड़ित किया जाता है इसका उदाहरण पाकिस्तान में कुल हिन्दू की आबादी का 23 से 3% प्रतिशत का होना है। अब नागरिकता बिल को लेकर  तरह तरह के प्रश्न उठ रहे है। मेरे फ़ेसबूक में वो जो मेरे द्वारा लिखे गए बातो का विरोध करते हैं क्या वो पाकिस्तान और बांग्ला देश के गैर मुसलमान  के साथ हुए अन्याय का विरोध किया है। 

प्रस्तुति-लव तिवारी
दिनांक- 18 दिसंबर 2019

रविवार, 15 दिसंबर 2019

नोटबंदी और दारू का ठेका - लव तिवारी

एक प्रश्न की वास्तविकता क्या है
क्या राहुल गांधी और मोदी जी की मां दोबारा बैंक आएंगे ? या अभी 4 हजार खत्म नहीं हुए ।
#राजनीति #कूटनीति 

दूसरी तरफ हम तो न मोदी है न राहुल हमें जब भी जरुरत पड़ती है हम पैसे के लिए लाइन में लगते है और पैसे निकलते भी है , आज थोड़ी देर पहले ही एक रोचक घटना को अंजाम मिला ,लंबी लाइन लाइन में कुछ लोग ये कहने लगे की जाइये भाई आप पहले निकल ले हम बात समझ नहीं पाये लेकिन बाद में इस बात की पुष्टि हुई की सभी लोग 12 बजने का इंतेजार कर रहे थे लेकिन सबसे रोचक घटना तो तब घटित हुयी जब एटीएम में लम्बी लाइन लगाकर पैसे निकालते हुए एक भाई साहब ने लगभग 11.30 मिनट पर यह पूछ दिया की भैया यहाँ ठेका कहा है और अभी खुला होगा की नहीं , हमने भी तुरंत जबाब दिया भाई अशोक नगर जाओ वहाँ मिल जाएगा अनुभवहीन व्यक्ति समझ कर उसने मुझे कहा 10 बजे के बाद अशोक नगर का ठेका बन्द हो जाता है आप यूपी के ठेके की जानकारी दीजिये

कुछ तो बात है साहब अपनी #यूपी में जो पूरी होती नजर आ रही है अब यह सब बात करके दोस्त का खुद ही 2 3 मिनट समय नष्ट हो गया था, बाइक स्टार्ट किये निकल लिए , हम आशा करते है कि दोस्त को उनकी मदिरा जरूर मिल गयी होगी, #भारत सरकार और मोदी जी से अनुरोध है ठेके के समय में भी परिवर्तन करे ताकि मदिरापान वाले व्यक्ति को उस तरह के दिक्कत का सामना न करना पड़े, देश में जहाँ लोग अपनी दैनिक जीवन को निर्वहन करने के लिए पैसे की किल्लत से जूझ रहे है वही कुछ लोगो को मदिरापान, अय्याशी एवम फ़िजूल के  कार्य एवं कई अन्य कारकों ने पैसे का दुरुपयोग हो रहा है, धन तो धनी आदमी का ही है वो उसे जैसे प्रयोग करे, जहा 500 रूपये के पुराने नोट के चलन का अंतिम दिवस है वही एटीएम वाली तस्वीर गूगल से ली गयी है रात्रि में तस्वीर लेने का कोई अवचित्य नहीं है

वही मदिरापान वाले दोस्त को जलोटा साहब की ग़ज़ल की चंद लाइन
#आँखों से पी #रुत #मस्तानी हो गयी
#जाम से पीना #रश्म #पुरानी हो गयी

धन्यबाद- #लव_तिवारी

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

क्या मैं पागल हुँ तुम्हें सोचकर या तुम्हें भी मेरे सपने आने लगे- लव तिवारी

तन्हाई ने क्या करवट ली तुम फिर मुझको याद आने लगे।
कोई भाता नही है तुम्हारे सिवा दिल को तुम मेरे धङकाने लगे।।

एक बात बताओ तुम मुझको जो मुझे हुआ क्या तुम्हें हुआ।
क्या मैं पागल हूँ तुम्हें सोचकर या तुम्हें भी मेरे सपने आने लगे।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 13- दिसंबर-2019

राजनिति में सक्रिय होना कोई बुरी बात नहीं , लेकिन हार कर निष्क्रिय होना ये गलत बात है- लव तिवारी

राजनिति में सक्रिय होना कोई बुरी बात नहीं , लेकिन हार कर निष्क्रिय होना ये गलत बात है, किसी भी गांव का एक ही प्रधान होता है और प्रत्याशी अनेक ,तो क्यों नहीं हारे प्रत्याशी विपक्ष का काम करके, आने वाले नए प्रधान को उसके कार्यो में सहयोग और अगर वो कार्यो के प्रति असंवैधानिक, धोखा धड़ी करता है ,तो इन कार्यो को रोके , यहाँ सब उल्टा होता है प्रत्याशी चुनाव से पहले उत्तेजित होकर गांव के विकास की राजनीती करता है और हार जाने पर द्वेष और बदले की भावना की राजनीति, और हर एक प्रत्याशी को चाहिए की वो सक्रीय होकर राजनिति में सहयोग करके गांव को विकास की एक नयी राह दे , और किसी भी छेत्र के नव निर्मित प्रधान को ये चाहिए को उन प्रत्याशी से मिले जिनकी सामाजिक गरिमा ,कार्य अनुभव, योग्यता हो ,और उनके सहयोग की भी जरुरत गांव के विकास में उपयोगी हो , साथ में ये भी पुराने प्रधानो के द्वारा किये गए अनैतिक कार्य और संसाधनों का दुरपयोग का हिसाब ले, पुरे प्रदेश और देश राजनितिक व्यवस्था चरमरा सी गयी , और नए निर्मित प्रधान केवल अपने कार्यकाल के बारे में सोचते और यह प्रक्रिया निरतंर चलती जाती है, इस प्रकार की राजनिति से केवल गांव के विकास में ही नहीं रुकावट आती है बल्कि आगे आने वाली पढ़ी भी इस प्रकार के राजनितिक दल दल में फसती जाती है, इसका दुस प्रभाव निरतंर देखने को मिलाता है ,इस पोस्ट को किसी राजनितिक पार्टी या किसी प्रत्याशी के गरिमा को आहत करने के लिए नहीं लिखा गया है ,इसका उद्देश्य जागरूकता और सामजिक ब्यवस्था को सही करना है
प्रस्तुति- लव तिवारी
+919458668566



शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

ओवरलोड वाहनों के कारण बार बार क्षतिग्रस्त वीर अब्दुल हमीद सेतु ग़ाज़ीपुर - लव तिवारी

वीर अब्दुल हमीद सेतु गाज़ीपुर का यह पक्का पुल जो पूर्व प्रधानमंत्री श्री मति इंदिरा गांधी जी के द्वारा ग़ाज़ीपुर की जनता को सौगात के रूप में दिया गया था। 10 सितम्बर 1965 में परमवीर चक्र विजेता स्वर्गीय श्री वीर अब्दुल हमीद जी के पूर्ण तिथि इस पुल का नाम वीर अब्दुल हमीद सेतु रखा गया जिसकी लंबाई लगभग 810 मीटर है । इस पक्की पुल की विशेषता (नेशनल हाईवे 97) को मुख्यरूप ग़ाज़ीपुर और बिहार के सीमा को NH 97 के माध्यम से जोड़ना । ग़ाज़ीपुर सैयदराजा मार्ग इसी हमीद सेतू की मदद से जुड़ा हुआ है । वर्तमान में आलाधिकारियों के आदेश ताक पर सुहवल एवं रजागंज पुलिस की मिली भगत से धडल्ले से जारी है ओवरलोड वाहनों का संचालन सेतु पर एक बार फिर खतरा मडरा रहा है, इस खतरा से कभी भी कोई बड़ी दुर्धटना हो सकती है और पूल क्षतिग्रस्त हो सकता है। ऐसा यह पहली बार नही है इस ओवर लोड के चक्कर मे पुल कई बार क्षतिग्रस्त चुका है। इसका दुष्परिणाम सबसे ज्यादा समीपवर्ती गांवों को जैसे- युवराजपुर पटकनिया, बवाडे मेदनीपुर रेवतीपुर सुहवल के लोंगो होता है। किसान की खेती भी इस दुष्परिणाम से कई बार प्रभावित हो चुकी है । आलू के खेती के समय पुल के क्षतिग्रस्त होने से किसानों को सही समय पर आलू को कोल्डस्टोरेज में न रखने से बहुत बड़ा नुकसान का सामना करना पड़ा था।

इस सब समस्यायों का सबसे बड़ा पुलिस थाना सुहवल और राजगंज चौकी ग़ाज़ीपुर के  कारण है। इनकी लूट खसोट के चक्कर से स्थानीय नागरिकों को बहुत नुकसान के साथ दुर्घटना का भी शिकार होना पड़ता है। इस विषय पर सरकार एवम जिले के आला अधिकारियों को इस समस्या का पूर्ण निदान अवश्य ढूढना चाहिए। और पुलिस के इस लापरवाही के प्रति उचित कार्यवाही करनी चाहिए।।

लेखक- लव तिवारी
+91-9458668566
ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

बहुत खूबसूरत जवां एक लड़की न जाने कहा से - लव तिवारी

बहुत खूबसूरत जवां एक लड़की ।
न जाने कहा से ख्यालो में आयी।।

तकल्लुफ़ की बातें बनावट नही।
न जाने वो कैसे मेरे दिल को भाई।।

वो चेहरा गुलाबी वो आँखे शराबी।
मगर उसके होंठो पर लाली थी ऐसी

न जाने कहाँ से ख्यालो में आयी 
बहुत खूबसूरत जवां एक लड़की।।

परी तो ये मैंने ये देखी नही है ।
यू लगती है मुझको परी से भी प्यारी।।

मेरे दिल की ख्वाईश तमन्ना है ऐसी।
हो जाये वो मेरे सपनों की रानी ।।

बहुत खूबसूरत.......
तकल्लुफ़= दिखवाया, बनावटी
रचना- लव तिवारी
पहली ग़ज़ल - वर्ष 2005