मेरी जिंदगी जीने के मकसद बन गए है ,
रात गुज़री है करवट बदल कर
ख्वाब आँखों ने फिर भी सजाये
कोई दिल न किसी से लगाये
प्यार ने कैसे दिन ये दिखाये
उम्र का हर एक लम्हा तेरी यादों के सफर से है
निबंध, नाटक, उपन्यास, कहानी, आलोचना, संस्मरण, रेखाचित्र, आत्मकथा, जीवनी, डायरी, यात्राव्रत, कविता, गज़ल, भजन, भोजपुरी, नवगीत, हिन्दीफिल्मी गीत, शायरी, भोजपुरी गीत, पत्र लेखन, जीवन परिचय, भारत की संस्कृति के लिए , लघुकथा, विज्ञानकथा, व्यंग, पुस्तक समीक्षा,भाषा की उन्नति के लिए, साहित्य के प्रसार के लिए, लव तिवारी
महान क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर जी के जन्म दिवस पर चार पंक्तियाँ......
वतन के क्रांतिकारी दो मुँही तलवार थे शेखर।
दहकती आग का गोला गज़ब अंगार थे शेखर ।
गुलामी को नहीं माना रहे आजाद बनकर के
फिरंगी राज की खातिर तो' हाहाकार थे शेखर।
नाम- आजाद,
पिता का नाम- स्वाधीन ,घर- जेल.
यह परिचय उस चिंगारी का था जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आग
में सबसे ज्यादा घी डाला।आज चन्द्रशेखर आजाद जी का जन्म दिवस है।आज़ाद जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की ऐसी फौज खड़ी की थी जिससे अंग्रेजों की नींद उड़ गई। अंग्रेजों में चन्द्रशेखर का ऐसा खौफ था कि उनकी मौत के बाद भी कोई उनके करीब जाने से डरता था। वीरता, साहस और
दृढ़निश्चयता की ऐसी मिसाल दुनिया में बहुत कम देखने को मिलती है। आज़ाद जी बहुत ही निडर, बलशाली और गरम स्वाभाव के व्यक्ति थे ।अंग्रेज इनके नाम से थर थर कांपते थे ।ये मात्र 15 वर्ष की आयु में ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेने लगे थे ।लाला जी की मृत्यु का बदला लेने के लिए सांडर्स की हत्या और काकोरी ट्रेन में अंग्रेजों का खजाना लूटने में इनकी मुख्य भूमिका थी ।ये हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के सुप्रीम कमांडर थे ।इन्होंने भगत सिंह व् अन्य साथियों को जेल से छुड़ाने के भरसक प्रयास किये लेकिन असफल रहे और इन्ही प्रयासों में 27 फरवरी 1931 को किसी मुखबिर की सूचना पर अल्फ्रेड पार्क इलाहबाद में पुलिस के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए ।उन्होंने जीते जी गिरफ्तार न होने का प्रण अपने प्राण देकर निभाया ।हम सदैव उनके ऋणी रहेंगे।मैं उन्हें कोटि कोटि नमन करता हूँ ।चंद्रशेखर आज़ाद अमर रहें !
( 23 जुलाई 1906 - 27 फरवरी 1931 )
एक प्यारा सा गांव जिसमे पीपल की छाव
छाव वो आशिया था एक छोटा मका था I
छोड़ कर गांव को उसी घनी छाव को
शहर के हो गए हैं भीड़ मैं खो गए हैं II
ग़ज़ल- चंदन दास
एक छोटी सी लाइन के साथ हम फिर चलते है अपने गाव् की कुछ पूरानी यादो के सफ़र मैं शहर से 6 से 7 किलो मीटर पर बसा मेरे प्यारा सा गाँव जिसमे साहित्य कला खेल पुराणी परम्परा का पूर्ण रूप से समावेश है गंगा मैया की लहरो मैं वो संगीत की घुन और लहलहाते खेतो के बीच वो चिड़ियों और कुछ छोटे पशुओ की आवाजें जो कभी न कभी इस गीत की याद दिलाये है जो हमारे चाचा जी के द्वारा लिखी गयी है
रही रही खूब हिलोरे गंगा जी के पनिया...
-Yogesh Vikrant
http://kushtiwari.blogspot.in/…/rahi-rahi-khoob-hilore-gang…
आज हम आप को अपनी दिनचर्या का बाय करेगे जो हम गाओं मैं रह कर किया करते थे I सुबह सूर्य की लालिमा के साथ विस्तर को छोड़ कर जब हम खेतो की शेर कराते थे तो एक अजब सी खूश्बू जो दिल को सकूँन पहुचती थी स्कुल से लौटने के बाद खेल खेलने मैं हम सब के द्वारा बहुत से नुकशान किये जाते थे चाहे वो कोई मौसमी फसल हो या फिर कोई छोटी वस्तु नुकसान के नुकसान के बाद दादा जी के सामने पेश होने का भी सजा मज़ा कुछ और ही था I
एक गीत जो हमारे सरे कर्मो को बया करता है I
केतना बखान करी गउवा जवार के
माटी के खुसबू और पूर्वी बयार के
माई के अचरा के केतना बखानी
बाबू जी के साथै घुमी खेत खरिहानि
होखे खूब ओल्हा पाती हर अतवार के
माटी के खुसबू और पुर्बी बयार के
गाँव के कुछ तस्वीरो के साथ और पुरानी यादो के साथ ये पोस्ट किया है पसंद आए तो ज़रूर लाइक और कॉमेंट कीजिएगा
धन्याबाद प्रस्तुति - Lav Tiwari
01 दिसम्बर 2015 चुनाव का दिन जहा ग्राम प्रधानो की दावेदारी मे सारे प्रत्याशी अपने भाग्य आजमा रहे थे , वही मे एक अलग आनंद की प्राप्ति कर रहा था अपने गाँव के बड़े बुजुर्ग और मित्रो से मिलने का कुछ और भी रोचक घटनाए सामने से गुज़री जैसे हर एक मतदाता हर एक प्रत्याशी के सामने उसे ही वोट देने की हामी भर रहा था , तो इस बात से किसी एक प्रत्याशी के जीत का दावा तो नही किया जा सकता ,परन्तु कुछ प्रत्याशी की तरफ मतदाताओ का रुझान अधिक था,
राजनिति में सक्रिय होना कोई बुरी बात नहीं , लेकिन हार कर #निष्क्रिय होना ये गलत बात है, किसी भी गांव का एक ही प्रधान होता है और प्रत्याशी अनेक ,तो क्यों नहीं हारे प्रत्याशी #विपक्ष का काम करके, आने वाले नए प्रधान को उसके कार्यो में #सहयोग और अगर वो कार्यो के प्रति #असंवैधानिक, #धोखा_धड़ी करता है ,तो इन #कार्यो को रोके , यहाँ सब उल्टा होता है प्रत्याशी चुनाव से पहले #उत्तेजित होकर #गांव के विकास की राजनीती करता है और हार जाने पर द्वेष और बदले की भावना की राजनीति, और हर एक प्रत्याशी को चाहिए की वो सक्रीय होकर राजनिति में सहयोग करके गांव को विकास की एक नयी राह दे , और किसी भी छेत्र के नव निर्मित प्रधान को ये चाहिए को उन प्रत्याशी से मिले जिनकी #सामाजिक #गरिमा ,#कार्य #अनुभव, #योग्यता हो ,और उनके सहयोग की भी जरुरत गांव के विकास में उपयोगी हो , साथ में ये भी पुराने #प्रधानो के द्वारा किये गए #अनैतिक कार्य और #संसाधनों का #दुरपयोग का हिसाब ले, पुरे #प्रदेश और #देश राजनितिक व्यवस्था चरमरा सी गयी , और नए #निर्मित प्रधान केवल अपने #कार्यकाल के बारे में सोचते और यह प्रक्रिया निरतंर चलती जाती है, इस प्रकार की राजनिति से केवल गांव के विकास में ही नहीं रुकावट आती है बल्कि आगे आने वाली पढ़ी भी इस प्रकार के राजनितिक दल दल में फसती जाती है, इसका दुस प्रभाव निरतंर देखने को मिलाता है ,इस पोस्ट को किसी राजनितिक पार्टी या किसी प्रत्याशी के #गरिमा को #आहत करने के लिए नहीं लिखा गया है ,इसका उद्देश्य जागरूकता और सामजिक ब्यवस्था को सही करना है
प्रस्तुति- #लव_तिवारी
युवराजपुर ग़ाज़ीपुर
वजूद कुछ भी तेरे बिना कौन है हमारा कभी #शरद #हवाओं के उस #खूबसूरत समय का अहसास बनकर तो कभी बारिश के मौसम में रूहानी याद बन कर, आज के दौर में हमने भी ज़माने में मोहब्बत देखी है, रूह की चादर ओढ़े उन शख्शियत को जिस्म का सौदा करते हुए, कई बार सोचा एक हम और तुम जो अक्सर खूबसूरत यादो के सहारे ये जिंदगी के कितने दिनों को साथ साथ जिए ,और एक वो है जो देखने पर लगता है कि जिंदगी भर का प्यार बस एक पल , सारी सीमाओं को लाँघ कर एक दूसरे के करीब होने की कोशिश कर वो खुबसूरत दृश्य ,फिर कुछ दिन बाद देखे तो नजर का वो खूबसूरत मेल न जाने किन वादियों के बीच गुमनाम सी रहो को पकडे जिंदगी की एक नए साथी के तलाश के फ़िराक में है, हमें हँसी आती है और कभी कभी दुःख, हँसी का कारण दोनों की समानता होना, और दुःख का कारण एक की सच्ची मोहब्बत दूसरे के लिए एक और नहीं कहानी, लोग कहते है हमने मोहब्बत की है , हम नहीं कहते चुप चाप उनके यादो को एक्सर याद करके जी लेते है, भला मोहब्बत भी बताने की बात है किसी शायर की खूबसूरत लाइन।
चंद लम्हात ही सही,मुझे नज़र कर दो,
तुमसे मिलने ही आया हूँ,खबर कर दो।
कई फरियादें उठती है,बिछड़ जाने की,
चले आओ किे दुआएँ, बेअसर कर दो।
कहता नहीं के नाम करदो ज़िन्दगी अपनी,
एक दिन न सही, बस एक पहर कर दो।
जलवों की बिजली से नुक्सान,सिर्फ मेरा हो,
बाकी सब से कह दो,खाली ये शहर कर दो।
आ जाओगे तो,इस दिल को तस्कीन होगा,
चाहो तो खाली,बोतलों का ज़हर कर दो।
गर आ नहीं पाओ तो,बस वादा ही देदो,
आज, खत्म ये इम्तेहाने सबर कर दो ।
अज्ञात
जिन्हे आज भी ये लगता है की मोदी जी टूर पे निकले ये उन लोगो के लिये है मोदी जी की 2 साल की जर्नी थोड़ी बड़ी है
5. अब तक 7500+ गांव में बिजली पहुंचाई गयी।
32. पहली बुलेट ट्रैन ट्रैक बनने का काम शुरू
36. 3.5 करोड़ LPG बोगस कस्टमर को ढूंढ के निकल गया और उनके कनेक्शन्स कैंसल किये गए।
एक तरफ धुंध भरे शहर का बाशिन्दा हूँ
तू मिल जाये इस हाल में मैं जिन्दा हूँ
लोग कहते है कि तू पहले कभी ऐसा न था
मैं सोचता हूं क्या हुआ जो शर्मिंदा हूँ
एक बस्ती में रहते थे कुछ अज़नबी
आज उनके दिलों में हरपल जिन्दा हूँ
जिंदगी के वो पल जो गांव में रह कर ज़िया ,
बड़े अफ़सोस है कि शहर का परिंदा हूँ
ग़रीबी भूख दहसत और लाचारी भी
आज के दौर ने इस हाल में मैं जिन्दा हूँ
एक तरफ खौफ़नाक सा मंजर है मेरे सामने
कैसे बताऊ उन्हें किस हाल में मैं जिन्दा हूँ
दर्द देने का रिवाज है इस बेरहम दुनिया में
रचना लव तिवारी
जमाने की चाह है कि मैं #हिन्दू या #मुसलमान हो जाऊं
पर मेरा #ज़मीर कहता है कि मैं इक भला #इंसान हो जाऊं
#मन्दिर #मस्जिद जाकर कमाऊं आरती-नमाज की दौलतें
या फिर गिरे हुए बंदे को उठाऊं और #धनवान हो जाऊं
मेरी #तकदीर में बस इतना सा लिख दे दुनिया के मालिक
#मुल्क की #मिट्टी को चुमूँ और मुल्क पर कुरबान हो जाऊं
मुझे #पसीना बनाकर बहा दे #ख़ुदा #खेतों में, #खलिहानों में
मुझसे इतना #काम ले कि जीता जागता #राष्ट्रगान हो जाऊ
जय हिंद जय भारत
भारत देश का एक अनोखा प्रदेश अपना #उत्तरप्रदेश , प्राकृतिक और भू के संसाधनों से युक्त अपना प्यारा प्रदेश उत्तर प्रदेश , #संस्कृति #सभ्यता ,#गंगा #यमुना को पूर्ण रुप को सुशोभित करता अपना प्रदेश #उत्तरप्रदेश, लेकिन अभी एक जटिल समस्या जल ,#जल है तो #कल है, वही उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में फ्लोराइड से जल दूषित हो रहा है, फ्लोराइड से होने वाले गंभीर बीमारिया जैसे हड्डियों से सम्बन्धी रोग, तंत्रिका तंत्र से संभंधित बीमारियो का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है वही पूर्वी उत्तर प्रदेश बलिया मऊ ग़ाज़ीपुर में जहरीले आर्सेनिक की मात्रा ने जल को पूर्ण रूप से दूषित कर रखा है , पानी का जीवन में बड़ा अस्तित्व है अगर पानी ही नहीं रहा तो फिर जीवन कैसे निर्वहन होगा, खेती के लिए #पानी, पौधों जे लिए पानी, #मनुष्य के लिए पानी, हर एक जीव और जंतु के जीवन में पानी का विशेष महत्व है , और अगर जल पर #सियासत हो तो जनाब न जल रहेगा और न हम , वही जहा उत्तर प्रदेश के केबिनेट मंत्री का ये कहना है कि सरकार अंधाधुंध जल दोहन से निबटने के लिए प्रदेश सरकार ने समग्र निति बनायीं है, वही बिपछ दलों द्वारा सरकार की नाकामी और सरकार द्वारा भूगर्भ जल में होने वाली कमी और जल प्रदूषण पर कोई विशेष कार्य को अंजाम नहीं दिया गया है,
प्रस्तुति- लव तिवारी #LavTiwari