जमाने की चाह है कि मैं #हिन्दू या #मुसलमान हो जाऊं
पर मेरा #ज़मीर कहता है कि मैं इक भला #इंसान हो जाऊं
#मन्दिर #मस्जिद जाकर कमाऊं आरती-नमाज की दौलतें
या फिर गिरे हुए बंदे को उठाऊं और #धनवान हो जाऊं
मेरी #तकदीर में बस इतना सा लिख दे दुनिया के मालिक
#मुल्क की #मिट्टी को चुमूँ और मुल्क पर कुरबान हो जाऊं
मुझे #पसीना बनाकर बहा दे #ख़ुदा #खेतों में, #खलिहानों में
मुझसे इतना #काम ले कि जीता जागता #राष्ट्रगान हो जाऊ
जय हिंद जय भारत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें