सोमवार, 11 जुलाई 2016

ज़माने की चाह है कि मैं हिन्दू या मुसलमान हो जाऊ

जमाने की चाह है कि मैं #हिन्दू या #मुसलमान हो जाऊं
पर मेरा #ज़मीर कहता है कि मैं इक भला #इंसान हो जाऊं

#मन्दिर #मस्जिद जाकर कमाऊं आरती-नमाज की दौलतें
या फिर गिरे हुए बंदे को उठाऊं और #धनवान हो जाऊं

मेरी #तकदीर में बस इतना सा लिख दे दुनिया के मालिक
#मुल्क की #मिट्टी को चुमूँ और मुल्क पर कुरबान हो जाऊं

मुझे #पसीना बनाकर बहा दे #ख़ुदा #खेतों में, #खलिहानों में
मुझसे इतना #काम ले कि जीता जागता #राष्ट्रगान हो जाऊ

जय हिंद जय भारत

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