आज के दौर में गुमनाम है #आदमी
हर जगह देखो शमशान है आदमी
हर जगह देखो शमशान है आदमी
कोई हो रहा है #राख और कोई #हस रहा है
इस दुनिया में कितना #समझदार है आदमी
इस दुनिया में कितना #समझदार है आदमी
हर कोई #जानता है मारना है सबको एक दिन
फिर भी #बईमान होकर #परेशान है आदमी
फिर भी #बईमान होकर #परेशान है आदमी
एक शख़्स को #जिंदगी दिया था हमसफ़र समझ कर
उसने #तजुर्बा दिया कि #शैतान है आदमी,
उसने #तजुर्बा दिया कि #शैतान है आदमी,
आज के #दौर #मुंकिन हो कि बदल जाये वो
उसे देखकर #हैरान है हर आदमी
उसे देखकर #हैरान है हर आदमी
रचना- #लव_तिवारी
05-07-2016
Visit- www.lavtiwari.blogspot.in
05-07-2016
Visit- www.lavtiwari.blogspot.in
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें