बुधवार, 26 अक्टूबर 2022

मुझे रास आ गया है अब तेरे दर पे सर झुकाना तुझे मिल गई पुजारन और मुझे मिल गया ठिकाना

मुझे रास आ गया है अब तेरे दर पे सर झुकाना ३
तुझे मिल गई पुजारन २ और मुझे मिल गया ठिकाना
ओं प्रभु जी मुझे रास....................


मुझे कौन जानता था तेरी बंदगी से पहले २ २
तेरी याद ने बना दी ओ गिरधर तेरे भजन ने बना दी
मेरी जिंदगी बनाना
मुझे रास आ गया.............................

मुझे इसका गम नही है २ कि बदल गया ये ज़माना २
मेरी जिंदगी के मालिक कही तुम बदल ना जाना
मुझे रास आ..............

तेरी सावली सी सूरत, मेरे मन में बस गई है ओ गिरधर
मेरे सावरे कन्हैया २ मुझे और ना सतना २
मुझे रास आ......

मेरी आरजू यही है ,दम निकले तेरे दर पर
क्यों कि अभी सास चल रही ओ गिरधर
कही तुम चले ना जाना
मुझे रास आ..............

मुझे रस ........२
तुझे मिल.......२




जग के पालनहार बने कैसे ललना झूले नंदलाल आज यशोदा के पलना

जग के पालनहार बने कैसे ललना 2
झूले नंदलाल आज यशोदा के पलना 2

जिसके के भरोसे, है जग सारा
माग रहा मैया से दे दे सहारा
टुकुर टुकुर देख।रहा पालने से ललना
झूले नंदलाल आज यशोदा के पलना 2

पर्वत नदिया जिससे बनती
दया दृष्टि से दुनिया चलती
देती है मैया ला के खिलौना
झूले नंदलाल आज यशोदा के पलना 2

झूले नंदलाल आज यशोदा के पलना 2
जग के पालनहार बने कैसे ललना 2
झूले नंदलाल आज यशोदा के पलना 5



मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022

चली गगन से तरनी तरंगे नमामि गंगे नमामि गंगे चली गगन से तरनी तरंगे नमामि गंगे नमामि गंगे

चली गगन से तरनी तरंगे 2
नमामि गंगे नमामि गंगे 2
चली गगन से तरनी तरंगे नमामि गंगे नमामि गंगे 2
सगर सूतो की, ये मुक्ति दात्री 2
नमामि ................2

विष्णु प्दामुजा बर्म्हामु कमंडल
और कठवती रैदास की है 2
शिव की जटा से, है धार निकली 2
नमामि ................2

सुता हिमालय की भीष्म जननी
धरा पर आई है पाप हरने 2
जन्हु की जंघा, वितरण करती 2
बहे अभंगे नमामि गंगे  
नमामि ................2

जहा भागीरथ की साधना हो
तपस्या करते महा मना हो 2
निर्मल अविरल तरल तरंगे
नमामि ................2

महा मना की ये कामना है
बहे अभंगे नमामि गंगे 2
धरा को उर्वर बनाने वाली 2
चली भागीरथ के संगे संगे 2

चली गगन से तरनी तरंगे 2
नमामि गंगे नमामि गंगे 2
चली गगन से तरनी तरंगे नमामि गंगे नमामि गंगे 2
सगर सूतो की ये मुक्ति दात्री 2
नमामि ................




रविवार, 23 अक्टूबर 2022

आपके बॉडी पार्ट्स आप से कब डरते हैं- लव तिवारी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

आपके बॉडी पार्ट्स कब डरते हैं?

1 पेट (Stomach)
उस वक्त डरा होता है जब आप सुबह का नाश्ता नहीं करते।

2 गुर्दे (Kidneys) उस वक्त खौफ मे होते हैं जब आप 24 घंटे में 10 गिलास पानी नहीं पीते।

3 पित्त की थैली (Gallbladder) उस वक्त परेशान होता है जब आप रात 11:00 बजे तक सोते नहीं और सूरज उगने से पहले जागते नहीं हैं।

4 छोटी आंत (small intestine) उस वक्त तकलीफ महसूस करती है जब आप ठंडी चीजें पीते हैं और बासी खाना खाते हैं।

5 बड़ी आंत (Large intestine) में उस वक्त ज्यादा तकलीफ होती है जब आप तली हुई या मसालेदार चीज खाते हैं।

6 फेफड़े (Lungs) उस वक्त बहुत तकलीफ महसूस करते हैं जब आप धुआं धूल सिगरेट बीड़ी से भरपूर हवा में सांस लेते हैं।

7 यकृत (Liver) उस वक्त बीमार होता है जब आप बहुत तली हुई खुराक और फास्ट फूड खाते हैं।

8 दिल (Heart) उस वक्त बहुत गमगीन होता है जब आप ज्यादा नमकीन और कोलेस्ट्रोल वाली चीजें खाते हैं।

9 अग्न्याशय (pancreas) उस वक्त बहुत डरता है जब आप बहुत ज्यादा मिठाई खाते हैं और खासकर जब वह फ्री में मिल रही हो।

10 आंखें (Eyes) उस वक्त तंग आ जाती है जब आप अंधेरे में मोबाइल और कंप्यूटर पर उनकी तेज रोशनी में काम करते हैं।

11 दिमाग़ (Brain) उस वक्त बहुत दुखी होता है जब आप नेगेटिव सोचते हैं।

अपने जिस्म के हर हिस्से का ख्याल रखें।

स्वस्थ रहे, खुश रहें
🙏🏻



रविवार, 16 अक्टूबर 2022

महामहिम उपराज्यपाल आदरणीय श्री मनोज सिंन्हा जी विशेष स्नेह और आशिर्वाद प्राप्त हुआ

 गाजीपुर के विकास पुरुष हम सबके अभिभावक मार्गदर्शक कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत जनप्रिय नेता जम्मू-कश्मीर के महामहिम उपराज्यपाल आदरणीय श्री मनोज सिंन्हा जी Manoj Sinha का अपने गृह जनपद ग़ाज़ीपुर के आगमन के साथ साथ हम दोनों भाईयों Lav Tiwari एवं Kush Tiwari को विशेष स्नेह और आशिर्वाद प्राप्त हुआ। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के जटिल समस्या के समाधान के संदर्भ में परम आदरणीय श्री सिन्हा जी से बात हुई। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही इस समस्या का समाधान के लिए हम प्रयास करेंगे। साथ ही जनपद के महान राजनीतिक व्यक्ति #समाजसेवी पुर्व धर्मार्थ कार्य एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार परम आदरणीय श्री विजय कुमार मिश्रा जी Vijay Kumar Mishra पूर्व जमानियां विधायक प्रतिनिधि आदरणीय श्री परीक्षित सिंह जी, बड़े भैया श्री सिद्धार्थ शंकर राय जी Siddharth Shankar Rai एवं बड़े भाई श्री आशु भैया जी Ashutosh Singh श्री जेपी चौरसिया जी JP Chaurasiya छोटे भाई विनीत कुमार सिंह जी Vineet Kumar Singh एवं भोजपुरी जगत की महान गायक परम आदरणीय श्री गोपाल राय जी Gopal Rai के साथ साथ अन्य प्रबुद्ध जनों का भी स्नेह और आशीर्वाद हमें प्राप्त हुआ।










बुधवार, 12 अक्टूबर 2022

कौन है चित्रा त्रिपाठी क्या है इनकी संघर्ष की कहानी - लेखक विकास मिश्रा

18 सितंबर 2007 को मैंने न्यूज 24 चैनल ज्वाइन किया था। मुझसे पहले कई लोग आ चुके थे। कुछ पुराने साथी थे, कुछ नए साथियों से परिचय हुआ। न्यूज रूम में मैंने देखा कि एक खूबसूरत लड़की सिर झुकाए कुछ पढ़ रही थी। अगले दिन जब मैं दफ्तर आया तो वो लड़की फिर कुछ पढ़ते नजर आई। सीट से उठी नमस्कार किया, बोली- सर मैं चित्रा त्रिपाठी Chitra Tripathi। मैं भी गोरखपुर से हूं। विमलेश शुक्ला जी ने कहा था आप भी यहां आ रहे हैं। यहां से परिचय शुरू हुआ था। 

चैनल का काम धाम शुरू हुआ। एंकरिंग की रिहर्सल भी शुरू हुई। मैंने चित्रा को किसी से ज्यादा बात करते नहीं देखा। वो कुछ न कुछ पढ़ती रहती थी या फिर एंकरिंग की प्रैक्टिस करती थी। गपबाजी नहीं करती थी। खांटी पूर्वांचल की लड़की। अंग्रेजी लिखनी-पढ़नी, समझनी तो ठीक से आती थी, लेकिन जुबान पर नहीं चढ़ पाई थी। अंग्रेजी सीखने और बोलने की ललक थी तो मेहनत सबसे ज्यादा अंग्रेजी पर ही की। समय बीतता रहा, हमारे घरेलू रिश्ते हो गए। कुछ साल बाद चित्रा जैसे परिवार में ही शामिल हो गई। 
चित्रा गोरखपुर विश्वविद्यालय की उपज है। एनसीसी का सी सर्टिफिकेट उसके पास है। एमए में गोल्ड मेडलिस्ट रही। परिवार में लड़कियों के आगे जाने का कोई इतिहास नहीं था। संपन्नता से कोई करीबी नाता नहीं था। पढ़ाई के साथ उसे मौका मिला गोरखपुर के एक केबल चैनल- 'सत्या' में काम करने का। एक दिन की एंकरिंग के शायद 300 रुपये मिलते थे। फिर ई टीवी यूपी-उत्तराखंड में सेलेक्शन हुआ 5 हजार रुपये की तनख्वाह पर। वहां काम करने के बाद  न्यूज-24 में 16 हजार रुपये की तनख्वाह पर उसने ज्वाइन किया था। आज चित्रा शायद देश की सबसे ज्यादा तनख्वाह पाने वाली महिला एंकर है। चित्रा को एबीपी न्यूज चैनल ने चर्चा के मुताबिक करीब 1 करोड़ 20 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर रखा है। हालांकि चित्रा से मैंने इस चर्चा की पुष्टि नहीं की है।

जिन्हें चित्रा की ये तनख्वाह दिख रही है, ये मुकाम दिख रहा है, शायद उन्होंने उसका संघर्ष नहीं देखा है। यहां तक पहुंचने के लिए उसके पैरों में न जाने कितनी बार कितने छाले पड़े हैं। पीड़ा झेली है, अपमान भी सहा है। करियर में कई उतार चढ़ाव आए। कोई और लड़की होती तो शायद टूट जाती, लेकिन संघर्षों की आग में तपकर निकली इस लड़की ने हार नहीं मानी।  

'सहारा समय' न्यूज चैनल से हटने के बाद चित्रा ने बहुत संघर्ष किया। कई चैनलों में कोशिश की, लेकिन नौकरी नहीं मिली। अच्छे रिश्तों का दावा करने वालों ने भी मुंह फेर लिया। एक चैनल में मैंने ही उसे भेजा था अपने एक मित्र के पास। तब शायद चित्रा वहां 50 हजार रुपये की तनख्वाह पर भी ज्वाइन कर लेती, लेकिन उसके विरोधियों ने वहां उसका चयन होने नहीं दिया। 

जब इंडिया न्यूज में उसने कामयाबी की पटकथा लिखनी शुरू की तो उसी चैनल से उसे एक लाख रुपये की सैलरी का ऑफर मिला। मजे की बात सुनिए। अभी करीब साल भर पहले मेरे उसी मित्र का मेरे पास फोन आया, जो तब उस चैनल के हेड बन गए थे। उन्होंने मुझसे कहा कि चित्रा से बात कीजिए। अगर वो यहां आती है तो 10 लाख रुपये महीने का ऑफर तो चैनल की तरफ से है, अगर वो ज्यादा मांगेगी तो चैनल पीछे नहीं हटेगा। यानी जहां 50 हजार रुपये की नौकरी नहीं मिली थी, वहां से 10 लाख रुपये महीने का ऑफर मिला था। अगर वो चाहती तो उस वक्त वो डेढ़ करोड़ रुपये के पैकेज पर भी जा सकती थी, लेकिन  उसने विनम्रता से मना कर दिया। 

लंबे संघर्ष के बाद चित्रा को इंडिया न्यूज में काम मिला और वहां 'बेटियां' नाम से उसका शो शुरू हुआ। चैनल से ज्यादा चित्रा के उस शो को पहचान मिली। पत्रकारिता जगत का सबसे प्रतिष्ठित 'रामनाथ गोयनका' अवार्ड भी मिला।  उसके बाद एबीपी न्यूज में चित्रा ने स्टूडियो में एंकरिंग और न्यूजरूम से बाहर रिपोर्टिंग में अपनी धाक जमाई। 

जब आजतक में उसे मौका मिला तो फिर वो शोहरत की बुलंदी पर पहुंची। उसकी मेहनत, लगन की बदौलत उसे आजतक का प्रतिष्ठित 'चेयरमैन अवार्ड' भी मिला। आजतक के चैनल हेड सुप्रिय प्रसाद ने 'बुलेट रिपोर्टर' शो शुरू किया तो ये मौका उन्होंने चित्रा को दिया। चित्रा की बुलेट चली तो वो लड़कियों के लिए बुलेट की ब्रांड एंबेसडर बन गई। लड़कियों में बुलेट चलाने का पैशन हो गया। उसी तर्ज पर दूसरे चैनल्स ने बाइक और स्कूटी पर लड़कियों को चुनावी कवरेज  में उतारा।  

चित्रा दूसरी पीढ़ी की एंकर्स में फिलहाल टॉप-3 में है। कामयाबी की सीढ़ियां काफी तेज चढ़ी है, इसी वजह से उसे कई बार समकक्षों की ईर्ष्या का पात्र भी बनना पड़ा है। कई एंकर्स उसके साथ एंकरिंग नहीं करना चाहती थीं, लेकिन उसकी मेहनत और लगन का हर कोई कायल रहा। अभी कुछ ही दिन पहले एक महिला एंकर से बात हो रही थी। चित्रा को बहुत पसंद नहीं करती थी, मैं ये बात जानता हूं, लेकिन उसने कहा- सर चित्रा बहुत मेहनती है। करियर को लेकर बहुत ही गंभीर है। किसी भी मोर्चे पर कभी भी जाने के लिए तैयार रहती है, ऐसे में उसे ऊंचाई पर तो जाना ही है। 
मैं जातिवाद, क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद से दूर रहता हूं, लेकिन आज एक क्षेत्रवादी बात भी कहना चाहता हूं। चित्रा आज जिस मुकाम पर है वो गोरखपुर और पूर्वांचल के लिए गौरव की बात है। पूर्वांचल की जिन लड़कियों को बारहवीं पास करने के  बाद शादी-ब्याह और चूल्हे-चौके में झोंकने के लिए तैयार कर दिया जाता है। चित्रा उन सबके लिए रोल मॉडल है। पूर्वांचल की लड़कियां कह सकती हैं- मैं पढ़ना चाहती हूं क्योंकि मैं चित्रा त्रिपाठी बनना चाहती हूं। मीडिया में जितनी भी नई लड़कियां आ रही हैं, उनमें ज्यादातर का सपना चित्रा त्रिपाठी जैसी एंकर बनने का है। 

महिला एंकर्स के साथ एटीट्यूड का एक ऐसा रिश्ता है, जिसे अमूमन उनसे अलग नहीं किया जा सकता है। चित्रा में कोई एटीट्यूड नहीं है। कुछ भी गलत होता है तो वो माफी मांगने में देर नहीं लगाती। कामयाबी ने उसका दिमाग खराब नहीं किया। आज भी वो जमीन से जुड़ी है। पॉजिटिव है तो निगेटिव चीजों को नजरअंदाज कर देती है। कोई जिद नहीं, किसी से कोई बड़ी अपेक्षा नहीं, कोई शर्त नहीं, किसी से कोई शिकायत भी नहीं। वो चुनौतियां लेती है और उसे कामयाबी से अंजाम तक पहुंचाती है। आज भी अपने शो से पहले विषय का पूरा अध्ययन करती है, रिसर्च तैयार करती है। नई पीढ़ी की लड़कियां उससे  सीख सकती हैं कि अगर मेहनत और लगन है तो कामयाबी दूर नहीं है। मैं जानता हूं कि चित्रा अभी रास्ते में है। मंजिल अभी दूर है। अभी तमाम मुकाम आएंगे, तमाम मंजिले आनी बाकी हैं। चित्रा को  एबीपी न्यूज की इस पारी के लिए मेरी तरफ से ढेर सारी बधाइयां। ऐसे ही जीतती रहो। 

(चित्रा श्वेता सिंह की जबर्दस्त फैन है, इस नाते एक तस्वीर श्वेता के साथ। दूसरी तस्वीर में मेरे और चित्रा के साथ उसकी प्रिय सहेली ममता है।)

रविवार, 9 अक्टूबर 2022

केतना बताई सुख ससुरे के गोरी रे सईया हमारो चाँद हम हई चकोरी रे-

केतना बताई सुख ससुरे के गोरी रे
सईया हमारो चाँद हम हई चकोरी रे

ससुरे के दिल जइसे बदरे क पानी-३
हीरा और मोती जाने जेठ और जेठानी
सासु जी ससिया के हम हैं तिजोरी रे
सईया हमारो चाँद हम हई चकोरी रे

लागले ला पियास जब उझिले ली पानी-३
छोड़ ले ली बर्तन हमार देवरानी
धोउना देली हमके दूध के कटोरी रे
सईया हमारो चाँद हम हई चकोरी रे

सासु जी रामायण गावें ससुर गाँवे गीता
भसुरु भजन जाने सईया जाने सीता
देवरु ननद जाने फगुवा के होरी रे
सईया हमारो चाँद हम हई चकोरी रे

केतना बताई सुख ससुरे के गोरी रे
सईया हमारो चाँद हम हई चकोरी रे

शनिवार, 8 अक्टूबर 2022

जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन और गाजीपुर सहित पूर्वांचल के फायर ब्रांड नेताओं में शुमार श्री अरुण कुमार सिंह जी

 जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन और गाजीपुर सहित पूर्वांचल के फायर ब्रांड नेताओं में शुमार परम् आदरणीय श्री Arun Kumar Singh अरुण कुमार सिंह जी का आज स्नेह और आशीर्वाद हम दोनों भाईयों को मिला। परम पिता परमेश्वर से यही कामना करते हैं, आदरणीय Arun Singh नेता जी की हर मनोकामना पूर्ण हो,एवं भगवान भोलेनाथ आपको यश, कीर्ति, वैभव में अपार वृद्धि प्रदान करे, आपका समस्त जीवन ओजस्विता से पूर्ण रहे आपके ऊपर सदैव भगवान काशीविश्वनाथ की अनुकम्पा बनी रहे।










बुधवार, 5 अक्टूबर 2022

गाजीपुर के सुप्रसिद्ध एवं महान होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ डीपी सिंह जी का स्नेह एवं आशीर्वाद से प्राप्त करते हुए- लव तिवारी

रामसखी देवी मेमोरियल सेवाश्रम हास्पिटल के चिकित्सा निदेशक एवं ग़ाज़ीपुर के सुप्रसिद्ध होम्योपैथी चिकित्सक परम आदरणीय डॉक्टर श्री डी पी सिंह जी का स्नेह एवं आशीर्वाद दशहरे के पावन पर्व के अवसर पर हमें प्राप्त हुआ।

हमारे दादा डॉ श्री राम जी तिवारी और डॉ डीपी सिंह जी के पिता स्वर्गीय श्री बच्चन सिंह जी घनिष्ठ मित्र थे, श्री शिवकुमार शास्त्री इंटर कालेज जंगीपुर ग़ाज़ीपुर के प्रधानाचार्य के पद पर रहते हुए श्री बच्चन सिंह जी ने हमारे परिवार के साथ क्षेत्र में भी शिक्षा प्रसार में उनका अलौकिक एवं सराहनीय योगदान रहा। बाबा श्री बच्चन सिंह जी भाजपा के संस्थापक जिलाध्यक्ष 1981 से लेकर 1984 तक रहें, क्योंकि 1981 से पहले भाजपा जनसंघ के नाम से जानी जाती थी उसी समय परम आदरणीय श्री बच्चन सिंह जी को सन 1977-1978 में जनसंघ से ग़ाज़ीपुर विधान सभा के लिए टिकट दिया गया था।

हमारे सबसे छोटे चाचा श्री अजय तिवारी जी एवं डॉ श्री दुर्गा प्रसाद सिंह शिव कुमार शास्त्री इंटर कॉलेज में एक साथ अध्ययनरत थे इस बात को मैं हर्ष कहना चाहता हूं कि डॉक्टर साहब के परिवार का सहयोग, स्नेह एवं आशीर्वाद की कृपा हमारी तीन पीढ़ियों को मिला है। आज दशहरे की मौके पर डॉक्टर साहब से मिल कर हमें बहुत खुशी हुई, और साथ में  यही प्रार्थना करता हूं कि परम पिता परमेश्वर आपको यश, कीर्ति, वैभव में अपार वृद्धि प्रदान करे, आपका समस्त जीवन ओजस्विता से पूर्ण रहे आपके ऊपर सदैव ईश्वरीय अनुकम्पा बनी रहे, हम ईश्वर से ऐसी मंगलकामना करते है।


 



बचपन का मेला: 90 साल से युवराजपुर में दशहरा पर दंगल का आयोजन - पत्रकार नीतीश सिंह


बर्षो की परंपरा को अनुसरण करते हुए हर वर्ष की भांति विजयदशमी के शुभ अवसर पर ग्राम युवराजपुर गाजीपुर में दंगल का विशेष आयोजन किया गया। कई दशकों से संरक्षक के रूप में इस दंगल को आगे ले जाने वाले परम आदरणीय गुरु जी श्री स्वर्गीय मुरलीधर सिंह जी के 2 अक्टूबर को स्वर्गवास के बाद उनको श्रद्धांजलि देते हुए उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करके क्षेत्रवासियों व  ग्राम वासियों ने धूमधाम से दंगल का आयोजन किया।

कई साल बाद अपने बचपन के मेले में गया। वही पानीदार मटर वाला छोला, सरोसा, जलेबी, मुंगफली,केला खिलौना की दुकानें सजी थीं। तीन-चार भाई बहन का एक झुंड में छोला खाकर खुश हो रहे थे। जिसमें से कभी मैं भी था। खिलौने लिए बच्चों के चेहरे देखा तो अपने भाई-बहन और अपना चेहरा याद आ गया।  

शुरुआती पढ़ाई भी युवराजपुर के संत रविदास स्कूल में हुई तो मेले में सभी दोस्तों से मिलना होता था। इस बार एक दो से भेट हुई। तब पूछते थे मेला देखने के लिए कितन मिला हैउस समय बाबा, चाचा, पापा से कुल मिलाकर अधिकतम 50-60 रुपये मिलते थे। भाई-बहनों के पैसे में ही मैनेज कर अपना बचाने की कोशिश रहती थी। ताकि आगे धीरे-धीरे खर्च कर सकूं। इसमें कई मेले में सफल भी हो जाता था। 

दशहरा की उल्टी गिनती के साथ हर साल युवराजपुर के मेले का इंतजार रहता था। अगर 8-10 साल की अवस्था में पहली बार मेला गया होऊंगा तो 22-23 सालों की स्मृति है। कई रोचक यादें जुड़ी है। बचपन से ही कुश्ती देखने और कई बार लड़ने का मन होता था। लेकिन सिर्फ पचइयां में गांव के लड़कों संग लड़ा। कई दाव तो युवराजपुर के दंगल में देखकर जाना, सीखा। 

धोबिया पछाड़, काला जंग, बकूड़ी और कई  के नाम नहीं याद हैं। एक बार तो अपने गांव पटकनिया में धोबिया पछाड़ दाव को कड़ी मिट्टी पर एक लड़के पर लगा दिया। बेचारा मेरे कंधे से होता हुआ जमीन पर धड़ाम से गिरा।  वह दो मिनट तक ठीक से सांस भी नहीं ले पा रहा था। आज भी वो मिलने पर हंसी-ठिठोली में बताता है। 
बहरहाल, युवराजपुर में एक से बढ़कर एक कुश्ती देखी। गमछा भर इनाम पाते पहलवानों को भी देखा। देश के जाने-माने पहलवान मंगला राय का नाम दंगल में ही सुना। धन्य है पहलवानों की माटी। धन्य हैं दंगल, मेला की 90 साल की परंपरा को आगे बढ़ाने वालों में शम्मी सिंह, विकास सिंह और अन्य लोग।

#दंगल #आयोजन #युवराजपुर #ग़ाज़ीपुर २३२३३२

मंगलवार, 4 अक्टूबर 2022

भारतीय संस्कृति में नायक ही नहीं खलनायक की भी एक गरिमा होती है- डॉ चन्द्र प्रकाश सिंह जी (लेखक)

-डाॅ. चन्द्र प्रकाश सिंह जी ( लेखक )
भारतीय संस्कृति में नायक ही नहीं खलनायक की भी एक गरिमा होती है। भारत के मानस में एक छवि राम की है तो एक छवि रावण की भी है। राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं तो रावण देवताओं का भी विजेता है। राम और रावण का युद्ध दो अलग-अलग वैचारिकी का युद्ध था। एक लोक को जीवन की मर्यादाओं की शिक्षा देता है तो दूसरा स्वच्छन्द उपभोग की।  एक का मार्ग सामंजस्य, समन्वय और संतुलन का है तो दूसरा प्रकृति की सभी शक्तियों को अपने अधीन करना चाहता है। एक आत्मनिग्रह का साक्षात विग्रह है तो दूसरा अनियंत्रित भोग का। एक लोक-जीवन में धारणा का प्रतीक है, इसलिए 'रामो विग्रहवान् धर्मः' कहा गया तो दूसरा लोक को अपने अहंकार और भोग को तुष्ट करने के लिए सभी संसाधनों के अनियंत्रित और असीमित भोग का प्रतीक है। आधुनिक शब्दावली में यदि राम एकात्म मानववाद के प्रतीक हैं तो रावण पूंजीवाद का प्रतीक है।

रावण सड़क छाप गुण्डा नहीं था और न ही मूर्ख था वह ज्ञान रहित प्रकाण्ड विद्वान था। आज किसी चलचित्र में रावण की भूमिका निभा रहे एक पात्र का चित्र देखने को मिला और देखकर ऐसा लगा कि इससे हमारे खलनायक की मर्यादा का भी हनन हो रहा है। जैसा जेहादी मनोभाव को प्रदर्शित करने वाले रावण को प्रदर्शित किया गया है हम ऐसे रावण की भी कल्पना नहीं करते। रामनन्द सागर जी के रामयण धारावाहिक में अरविन्द त्रिवेदी ने जैसी भूमिक का निर्वहन किया था वह रावण की मर्यादा की एक आदर्श भूमिका थी। हमें रावण भी हमारी सांस्कृतिक मर्यादा के अनुरूप चाहिए। ऐसे चलचित्रों के माध्यम से  केवल हमारे नायक ही नहीं अपितु खलनायक की मर्यादा के हनन का प्रयास हो रहा है। इन मजहबी लोगों के दुष्चक्र से हमें अपने नायकों के ही नहीं खलनायकों के चरित्र की भी रक्षा करनी होगी। जैसे हमें हमारे श्रीराम चाहिए वैसे ही हमें हमारा ही रावण चाहिए कोई अरब छाप रावण का विद्रूप स्वरूप स्वीकार नहीं हो सकता।

तोहरे करनवा छोड़नी बाबूजी के देश हमरा लाई के गवनवा ऐ सईया जिन जा विदेश

तोहरे करनवा छोड़नी 2 बाबूजी के देश 
हमरा लाई के गवनवा ऐ सईया जिन जा विदेश 2

जाएके रहे त कहे,डोलियां फनवल 
सुनी सेजरिया हमके बिरहीन बनवल  2
सहलो ना जाला हमसे 2अब ई कलेश
हमरा लाई के .............

कटले से कटे नाही बिरह के रतिया
रही रही याद आवे तोहरी सुरतिया
कहे एतना दे ल सइया दिल में कलेश
हमरा लाई के .............

तोहरे करनवा छोड़नी 2 बाबूजी के देश 
हमरा लाई के गवनवा ऐ सईया जिन जा विदेश 2