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जनवरी 2016 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

Swachh Bharat Mission- स्वच्छ गाँव स्वच्छ भारत सुंदर भारत

पंचायत चुनाव को बीते हुए भी अब लगभग 2 महीने होने को है और जिन लोगो के द्वारा राजनीति मे सक्रियता दिखाई गयी थी वो अब बिलुप्त हो गये है उस समय तो ऐसी बाते करते थे जैसे गाँव के प्रति उनका जागरूकता और समर्पण ऐसा है की अपना घर और खेत बेच कर गाँव का विकास करेगे ,और आज वो फिर से उसी फिराक मे है कि कब पाँच साल बीते और फिर से झूठी राजनीति करने का सुनहरा मौका मिले, लेकिन बीते दिनो युवाओ के द्वारा सराहनीय कार्य को अंजाम दिया गया जिसमे राजीव सिंह ,संदीप सिंह चंदन सिंह आतिश सिंह मोनू विपुल सिंह राहुल सिंह शिवम तिवारी विपिन तिवारी जैसे युवाओ का सराहनीय योगदान...

शनिवार, 23 जनवरी 2016

भूल ये है की तुझे मैने अपना माना दर्द ये है कि तू अब मुझे जीने नही देगा- लव तिवारी

भूल ये है की तुझे मैने अपना मानादर्द ये है कि तू अब मुझे जीने नही देगालव तिवारी कभी कभी इस देश की फ़िक्र होती है 26 जनवरी 2016 को देश अपने 67 गणतंत्र दिवस मना रहा है इधर देश का सिपाही लड़ते लड़ते अपनी जान गवा देता है, देश का प्रधानमंत्री रविवार अन्य अवकाश को भी काम करके देश को आगे की राह दिखा रहे है, और इधर देश में बैठे कुछ गदार देश में ही बैठ कर आरजकता फैला रहे है कोई भी राजनीती दल विकास की राजनीती करते कम दिखती है जाति और तुम हिन्दू हम मुसलमान...

बुधवार, 13 जनवरी 2016

Tu Kitni Achchhi Hai - तू कितनी अच्छी है

तू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है प्यारी-प्यारी है ओ माँ, ओ माँ ये जो दुनिया है ये बन है काँटों का तू फुलवारी है ओ माँ, ओ माँ तू कितनी अच्छी है... दूखन लागी है माँ तेरी अँखियाँ मेरे लिए जागी है तू सारी-सारी रतियाँ मेरी निंदिया पे, अपनी निंदिया भी, तूने वारी है ओ माँ, ओ माँ तू कितनी अच्छी है... अपना नहीं तुझे सुख-दुख कोई मैं मुस्काया, तू मुस्काई, मैं रोया, तू रोई मेरे हँसने पे, मेरे रोने पे, तू बलिहारी है ओ माँ, ओ माँ तू कितनी अच्छी है... माँ बच्चों की जां होती है वो होते हैं क़िस्मत वाले जिनके माँ होती है कितनी सुन्दर है, कितनी शीतल है, न्यारी-न्यारी...

Ranjish Hi Sahi - रंजिश ही सही

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिये आ अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को हैं तुझ से उम्मीदें ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिये आ रंजिश ही सही... इक उम्र से हूँ लज्ज़त-ए-गिरया से भी महरूम ऐ राहत-ए-जां मुझको रुलाने के लिये आ रंजिश ही सही... कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिये आ रंजिश ही सही... माना के मोहब्बत का छुपाना है मोहब्बत चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ रंजिश ही सही... जैसे तुम्हें आते हैं ना आने के बहाने ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिए आ रंजिश ही सही... पहले से मरासिम ना...

Aaj Jaane Ki Zid Na Karo- आज जाने की ज़िद ना करो

आज जाने की ज़िद न करो यूँ ही पहलू में बैठे रहो हाय मर जायेंगे हम तो लुट जायेंगे ऐसी बातें किया न करो तुम्ही सोचो ज़रा, क्यूँ न रोकें तुम्हें जान जाती है जब, उठ के जाते हो तुम तुमको अपनी क़सम जान-ए-जाँ बात इतनी मेरी मान लो आज जाने की... वक़्त की क़ैद में ज़िंदगी है मगर चंद घड़ियाँ यही है जो आज़ाद हैं इनको खोकर मेरी जान-ए-जाँ उम्र भर ना तरसते रहो आज जाने की... कितना मासूम रंगीन है ये समां हुस्न और इश्क़ की आज मेराज है कल की किसको ख़बर जान-ए-जाँ रोक...

Dil Dhoondta Hai Phir Wohi - दिल ढूँढता है फिर वही

दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन बैठे रहे तसव्वुर-ए-जानाँ किये हुए दिल ढूँढता है... जाड़ों की नर्म धूप और आँगन में लेट कर आँखों पे खींचकर तेरे आँचल (दामन) के साये को औंधे पड़े रहें कभी करवट लिये हुए दिल ढूँढता है... या गरमियों की रात जो पुरवाईयाँ चलें ठंडी सफ़ेद चादरों पे जागें देर तक तारों को देखते रहें छत पर पड़े हुए दिल ढूँढता है... बर्फ़ीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर वादी में गूँजती हुई खामोशियाँ सुनें आँखों में भीगे-भीगे लम्हें लिये हुए दिल ढूँढता है... Movie/Album: मौसम (1975) Music By: मदन मोहन Lyrics By: गुलज़ार Performed...