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जनवरी 2025 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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गुरुवार, 16 जनवरी 2025

चुप लोग ही तो बोलते हैं जनाब जोर से भर देते हैं चुप रहकर भी दिमाग शोर से- डाॅ एम डी सिंह

चुप लोग ही तो बोलते हैं जनाब जोर सेभर देते हैं चुप रहकर भी दिमाग शोर सेखुशियां बटोर कर वे रख लेते हैं चुपचापगुस्सा भी तह कर रखते रहते हैं भोर सेसुनता है भला सोचिए कौन आपके सिवाजब बोलती हैं कभी हड्डियां पोर-पोर से महज आंसू नहीं दोस्त टपकते हैं हर घड़ीकभी रक्त भी उबलते हैं आंखों की कोर सेमत सोचिए सिर्फ बर्फ ही जमेगी पहाड़ परनिकलेगी फूट आग भी चोटी की ओर सेडाॅ एम डी स...

रजाइयों में बस्ती रचना डाॅ एम डी सिंह

रजाइयों में बस्ती :गांव घर शहर गली खेत सड़क परती कोहरे की धुंध में डूबी है धरतीचांद भी दिखा नहीं सूर्य भी उगा नहींहै खड़ा श्वेत पटल किन्तु कुछ लिखा नहींनाव नदी नहर रेत सब एक करतीकोहरे की धुंध में डूबी है धरतीहाथों को हाथ नापैरों को साथ नादिखता बस कोहराकरता कुछ बात नारेल बस वायुयान की खत्म हुई हस्तीकोहरे की धुंध में डूबी है धरतीचाय की चुस्की मेंमंद मधुर मुस्की मेंलगी हुई आग हैहर ओर खुश्की मेंजेबों में मुट्ठी रजाइयों में बस्तीकोहरे की धुंध में डूबी...

सच्चाई महाकुंभ प्रयागराज उत्तर प्रदेश लेखक डॉ एम डी सिंह

सच्चाई :गंगा जमुना सरस्वती को घाट तोड़ डुबा रही प्रयागराज नहाने आस्था की बाढ़ आ रही अमृतोत्सव के प्रांगण में भव्यता की चढ़ नाव सनातन के महाकुंभ में आ दुनिया समा रही हाथी घोड़ा ऊंट पालकी पर सवार निर्वस्त्र नागा साधु देख सारी दुनिया चकपका रही वैसे तो पकी ही थी दादी, तप उम्र की आंच कल्पवास की शीताग्नि, उसको और पका रही महाकुंभ से मोक्ष की सरकार राह आसानमेला में अत्याधुनिक सुविधाओं से बना रही खों-खों करते दद्दू की बारहमासी दिनचर्यामहाकुंभ पर आकर संगम...

जाड़ में हाड़ कांपता- रचना कुमार अजय सिंह गीतकार एकवना घाट बड़हरा भोजपुर बिहार

✍️ जाड़ में हाड़ कांपता ✍️जाड़ में हाड़ कांपत बा भईया,सुत रजाई तान केबीना काम के मत निकलिह,रक्षा कर तु जान केबेधत बड़ुऐ जाड़ा भीतरी ले,छेदत बा शरीर केगरम कपड़ा चादर कोट,रहिह तु सुटर पहिर केआफत बिपत आइल बा,कुछ दिन चलऽ मान केबीना काम के मत निकलिह,रक्षा कर तु जान केई सर्दी रही भर जनवरी,बचके रहिह लोग बबुआ खतम भइल खरवास अब,अइहन जइहन अगुआसुरक्षीत तु रहबऽ तबही बंटबऽ,दोसरा के ज्ञान के बीना काम के मत निकलिह,रक्षा कर तु जान केछुटत नईखे जब धऽ लेता,कसके जेकरा...

महाकुम्भ तीर्थराज प्रयाग पावन संगम मकर संक्रांति लेखक- श्री राजेश कुमार सिंह श्रेयस लखनऊ उत्तर प्रदेश

धन्य भूमि भारत जस देशा lमहिमा गुन अति रूचिर विशेषा llएहि ठहि गड़े धर्म ध्वज दंडा lपावन सलिल मातु बह गंगा llरवितनया वागेश्वरी बेनी lगंग संग मिल भई तिरवेनी llहिहां देव मुनि आयहु नर ज्ञानी lतीर्थराज प्रयाग शुभ मानी llश्रेयस -महाकुम्भ गुण गावा lबार बार एहि महि सिर नावा ll ©® राजेश 'श्रेयस' वर्ष 1987 का नवंबर माह l धरती थी तत्कालीन इलाहाबाद यानि वर्तमान प्रयागराज l तीर्थराज प्रयागराज की पावन नगरी स्थित मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद में...

साहित्यिक जीवन परिचय श्री राजेश कुमार सिंह श्रेयस कवि लेखक समीक्षक लखनऊ उत्तर प्रदेश

राजेश कुमार सिंह "श्रेयस" कवि, लेखक, समीक्षक जन्मतिथि : 14 अप्रैल 1967शैक्षिक योग्यता : बी0 एस0 सी0 ( बायो0) श्री मु. म. टा. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया, उप्र, फ़ार्मसी एम0 एल0 एन0 मेडिकल कॉलेज, इलाहाबाद ( वर्तमान प्रयागराज )संप्रति : चीफ फार्मेसिस्ट, चिकित्सा एवं स्वास्थ सेवाएं,लखनऊ, उप्र lमोबाइल : 9415254888ई मेल : rkstatetcpharma@gmail.comवर्तमान निवास...

रविवार, 12 जनवरी 2025

महाकुम्भ- लेखक माधव कृष्ण गाजीपुर

महाकुम्भभारतीय मनीषियों ने ज्ञान और प्रकाश को सर्वोच्च स्थान दिया है. लेकिन लगातार बदल रहे समय, परिस्थितियों में ज्ञान प्रासंगिक नहीं रह जाता. उसमें जड़ता आ जाती है. न्यूटन के जड़त्व के नियम के अनुसार, गति की स्थिति में परिवर्तन का विरोध करने की यह प्रवृत्ति जड़ता है. प्रत्येक वस्तु तब तक स्थिर या एक सीधी रेखा में एक समान गति में रहेगी जब तक कि उसे किसी बाहरी बल की कार्रवाई से अपनी स्थिति बदलने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है. जड़ता कट्टरता, मतान्धता...

युवा ज्योति के दिव्य रूप स्वामी विवेकानन्द जी लेखक राजेश कुमार सिंह श्रेयस

युवा ज्योति के दिव्य रूप स्वामी विवेकानन्द जी ( स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर विशेष ) विवेकवान व्यक्ति का विवेक ही यह तय करता है, उसके जीवन की गति कैसी होगी l उसकी दिशा क्या होगी, और वह समाज के लिए कौन सी दिशा देने वाला है l उसके विचारों का दयारा कितना व्यापक है l उसके भीतर विचारों के संप्रेषण की क्षमता कितनी है l इतना तो तय है कि प्रत्येक विवेकी व्यक्ति के अपने कुछ नीति नियम और उसके निर्णय होते हैं l उसके मन में कुछ सात्विक विचार...