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दिसंबर 2020 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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रविवार, 27 दिसंबर 2020

गाज़ीपुर जिले के युवराजपुर ग्राम के अन्तराष्ट्रीय वॉलीबाल खिलाड़ी स्वर्गीय रामबली सिंह - संजय सिंह व सुशील तिवारी

#bhu#डॉ._रामबली_सिंह_bhu#bhu_history संजय सिंह के द्वारा बतायें गयीं कुछ और बातेंस्व डॉ रामबलि सिंह जी का जन्म युवराजपुर में ,विकास ,यू पी कॉलेज में ,ज्ञान और सम्मान बी यच यू में प्राप्त किये थे ,या ये का सकते हैं उनकी आत्मा यू पी कॉलेज में निवास करती है क्लास 11 12वी , यानि आठ नव वर्ष यूपी कॉलेज में रहते हुए हाफ स्टेप जम्प का रिकार्ड बनाये (उढा कूद)आज भी हैं जीवन के सर्वोच्च ऊँचाई पर रहने के बाद यहीं पर शरीरिक शिक्षा के प्रधान अध्यक्ष पद पर...

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

महात्मा गांधी राष्ट्रपिता हैं तो उनके शिक्षक महामना को राष्ट्रगुरु से कम क्या कहा जा सकता है

कोटिशः नमन महामना को***********************टाइम ऐनेलाजर देवेश दुबे की स्मृतियों में अपनी पूज्या दादी ( मेरी ताई जी, महामना की नतिनी , गार्गी मालवीय दुबे ) की बस एक झलक भर है । देवेश ने उनसे ही महामना के बारे में बहुत कुछ जाना था । तब वह बीमार रहा करती थीं । यह शुभ संकेत है कि ग्लोबल गांव के नये नागरिक , जेनरेशन नेक्स्ट में अपनी जड़ पहचानने की ललक है ।मालवीय जी का यह वक्तव्य अमेरिका के डॉ. गुलाम मुर्तजा शरीफ के एक लेख से है महामना ने यह भाषण 12 अप्रैल...

गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

क्या जिस्म से बढ़कर कुछ भी एक स्त्री में तुझको दिखा नहीं - अज्ञात

क्यों मांस के लोथड़ों के आगे......शर्मसार हो जाती है नैतिकता तेरी,क्या जिस्म से बढ़कर कुछ भी....एक स्त्री में तुझको दिखा नहीं ।हर रोज़ कांपती है रूह मेरी....तेरे घिनौने कृत्यों को सुनकर,हाय ! मैं तो अपराधिनी हो गई हूं स्त्री होकर ।।तू जानवर से भी जंगली बन गया है कैसे ??सवाल कर जरा ख़ुद से अभी दो घड़ी ठहरकर...फिर आज रो रही है हर आंखे....तूफानों का बवंडर सा है,हाय स्तब्ध हूं मैं ! ये कैसी दुर्दशा हो गई ।मुझे ही पूजता है न तू....मुझसे ही है उत्पत्ति...

बुधवार, 23 दिसंबर 2020

गेहूं बड़ा या गुलाब राजनीति को दुरुस्त राह लाने वाला एक्टिविस्ट साहित्यकार- रामवृक्ष बेनीपुरी

राजनीति को दुरुस्त राह लाने वाला एक्टिविस्ट साहित्यकार*********रामवृक्ष बेनीपुरी***************जन्मतिथि: 23 दिसम्बर (1899 )************'.... गेहूं हम खाते हैं, गुलाब सूंघते हैं। एक से शरीर की पुष्टि होती है, दूसरे से मानस तृप्‍त होता है। गेहूं बड़ा या गुलाब? हम क्‍या चाहते हैं - पुष्‍ट शरीर या तृप्‍त मानस? या पुष्‍ट शरीर पर तृप्‍त मानस?जब मानव पृथ्‍वी पर आया, भूख लेकर। क्षुधा, क्षुधा, पिपासा, पिपासा। क्‍या खाए, क्‍या पिए? मां के स्‍तनों को निचोड़ा,...

कवने खोंतवा में लुकइलू, आहि रे बालम चिरई आहि रे बालम चिरई जन्म दिवस विशेष -भोलानाथ गहमरी

भोलानाथ गहमरी*****************जन्मतिथि: 19 दिसंबर ( 1923 )*********************लोक धुनों पर आधारित गहमरी जी के गीतों में आंचलिक यानी माटी की आत्मा मुखर होती है । उनके हिंदी गीतों की पहली किताब 'मौलश्री' का प्रकाशन 1959 में हुआ ।1969 में भोजपुरी का उनका पहला गीत-संग्रह 'बयार पुरवइया' प्रकाशित हुआ, जिसकी भूमिका आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखी । उनका दूसरा भोजपुरी गीत-संग्रह 'अंजुरी भर मोती' 1980 में प्रकाशित हुआ । इस किताब की भूमिका अजीमुश्शान...

गुरुवार, 17 दिसंबर 2020

अपनी मोहब्बत की फ़रियाद किससे करे। तुम हो उदास अब हम बात किससे करे।- लव तिवारी

अपनी मोहब्बत की फ़रियाद किससे करे।तुम हो उदास अब हम बात किससे करे।।कह दो न कि तुम आयी हो दुनिया मे मेरे लिए।वर्ना इस तड़पते दिल की हालात किससे कहे।।आदमी मैं भी बुरा नही तुमको चाहने वाला।इस बेचैन अरमानों की दास्तान अब किससे कहे।।मुझपर रहम करो तुम ही तो अब मेरे मसीहा ।तुम्हारे दर को छोड़कर ये फ़रियाद किससे करे।।रचना - लव तिवारीग़ाज़ीपुर उत्तर प्र...

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

कुत्ते भी शौक से पालिए। लेकिन घर से बूढ़ी माँ को न बिसारिये- लव तिवारी

निगेटिव रिपोर्ट का कमाल —10 दिन की जद्दोजहद के बाद एक आदमी अपनी कोरोना नेगटिव की रिपोर्ट हाथ में लेकर अस्पताल के रिसेप्शन पर खड़ा था।आसपास कुछ लोग तालियां बजा रहे थे, उसका अभिनंदन कर रहे थे।जंग जो जीत कर आया था वो।लेकिन उस शख्स के चेहरे पर बेचैनी की गहरी छाया थी।गाड़ी से घर के रास्ते भर उसे याद आता रहा "आइसोलेशन" नामक खतरनाक और असहनीय दौर का वो मंजर।न्यूनतम सुविधाओं वाला छोटा सा कमरा, अपर्याप्त उजाला, मनोरंजन के किसी साधन की अनुपलब्धता, कोई बात नही...