बुधवार, 23 अगस्त 2017

ये मेरा दिल तुझमे एक फरिश्ता ढूढता है लव तिवारी

बर्बाद मंजर में बहार गुलिस्तां ढूढता हैं
ये मेरे दिल तुझमे एक फरिश्ता ढूढ़ता है

कभी तो मेहरबाँ बन कर आओगी मेरे सामने
ये ख़्वाब भी हक़ीक़त का एक असर ढूढता है

नज़र अभी तलाशती उस हसीन रुख को
जिसे देखने की चाह में हर कोई मरता है

मैं तुम्हें चाहूँ जमाने की हर रिवाज़ को छोड़कर
इस वाकपन को देख कर आज शहर जलता है

तकलीफ़ ज़माने को मोहब्बत करने वालो से अक्सर
इन्सान अपने दुःख से परेशां किसी सुख पर रहता  है

लव तिवारी



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