
एक प्यारा सा गांव, जिसमे पीपल छांव छाव में आशिया था, एक छोटा मका था छोड़ कर गांव को, उसी घनी छाव को शहर के हो गए है, भीड़ में खो गये है
वो नदी का किनारा, जिस पर बचपन गुजारावो लड़कपन दीवाना, रोज पनघट पर जानाक्या वो थी जवानी , बन गए हम कहानीछोड़ कर गांव.......एक प्यारा सा गांव.......
इतने गहरे थे रिश्ते, लोग थे फरिश्तेएक टुकड़ा जमीन थी, अपनी जन्नत वही थीहाय ये बदनसीबी ,नाम जिसका गरीबी छोड़ कर गांव को....एक प्यारा सा गांव.....
ये तो प्रदेश...