बुधवार, 28 दिसंबर 2016

नज़र और तेरा इस अदा से मुझे देखना - लव तिवारी

किसे देखती हो तुम इस अदा से
मुझे देखो तो इनायत समझे
है खूबसूरत तेरी तिरछी नज़र
हम पर गिरे तो कयामत समझे

प्रस्तुति- लव तिवारी

दिल की बेकरारी सी है - लव तिवारी

शरद की रात का वो खुशनसीब मंजर जब तुम अचानक हमें याद आती हो , न कोई आस पास होता है बस आप का साथ होता है और रात की एकांक का वो बेहतरीन पल जो हम आप के साथ जीते है उसकी पल की कुछ अनोखी दस्ता 

तुम्हारे रुख को जो न देखू दिल की बेकरारी सी है
जिंदगी तुमसे है बस तुमसे वरना बेकारी सी है

न भुख है न प्यास है जब तुम होते हो आसपास
वरना इस दुनिया में पेट की महामारी सी है

कुछ लिखू तुम्हे सोच कर तो बन जाती है ग़ज़ल
तुम्हे लेकर दिल में एक अजब ख़ुमारी सी है

वजूद तुमसे है तुम हो तो जिंदगी है रोशन
वरना जिंदगी कैसे गुज़रे ये महामारी सी है

मुझे याद आते हो तुम तो कयामत हो जाती है
न होते हो जहन में तो लगता है बीमारी सी है

प्रस्तुति- लव तिवारी


मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

जिंदगी हसीन सी है ये तुम्हारा असर सा है - लव तिवारी

जुल्फ की लट का आगे होंना एक क़हर सा है
जिंदगी हसीन सी है ये तुम्हारा असर सा है

वजूद तुमसे है, नहीं तो मैं कौन हूँ
आज तुम मेरी हो तो जमाने में खबर सा है

जबसे तुम मिलो, तो रोशन चराग है
वरना जिंदगी का उजाला बस तुम सा है

आज बड़े दिनों के बाद आई हो जहन में
कि इश्क़ का कतरा भी अब दरिया सा है


स्वरचित लव तिवारी


गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

तेरे रुख के तबियत से अब ये यकीन हो गया है- लव तिवारी

तेरे रुख के तबियत से अब ये यकीन हो गया है
जो मैं तुम्हें अपना समझू ये भर्म सा रह गया है 

कुछ दिनों से बदले है जो तेवर तुम्हारे बेरुखी पन के
सच कहूं तो इसका असर दिल पर इस कदर सा हुआ है

मैं रोज तड़पु  और तुम जश्न मनाओ ख़ुशी ख़ुशी
अब ये इस हाल पर दिल कुछ इस कदर बिखर सा गया है। 

बड़े सलीके से सोचा फिर चाहा था तुम्हें
अब दर्द तो ज़माने को भी नजर सा हुआ है

आज के इंसान को फ़िक्र है केवल अपने से
दूसरा के साथ क्या हुआ और क्यों हो रहा है

बड़ी उम्मीद थी तुमसे की रोशन कोना कोना है
जिंदगी आज भी अंधेरी रह गयी उम्मीद मर सा गया है

रचना -लव तिवारी
दिनांक-  17 दिसंबर 2016




मंगलवार, 20 दिसंबर 2016

तुम्हारे यादो का एक खुशनुमा सा एहसास- लव तिवारी

रात्रि का समय ,तुम्हारे यादो का एक खुशनुमा सा एहसास फिर से मेरे ख्यालों मे आ जाता है, कभी कभी तुम जो पूछ लेते हो कि कब याद आती हु मैं, अब क्या बताए कुछ कहे तो हिंदी भाषा का एक प्रचलित शब्द अतिश्योक्ति की उपमा का चित्रण मेरे शब्दों में दिखेगा, लेकिन वो वास्तविक मे अतिश्योक्ति नहीं हकीकत है , अब हकीकत क्या है सुन लीजिये, मुझे कब और क्यों याद आती है इसका जिक्र मैं आप से करता हूँ ,हमेशा तब जब में एकेले होता हूं , अगर पहर की बात करु तो रात के समय जब पूरा जहा नींद के आगोश में करवटे बदल बदल कर चैन की नीद सोता है , तो मैं जगता हु और तुम्हे सोचता हूँ, अब ये मत पूछना क्यों , क्यों की क्यों मेरे पास जबाब नही है 

रचना -लव तिवारी
दिनांक-  17 दिसंबर 2016




रविवार, 18 दिसंबर 2016

मेरे आँगन में आज रौशनी आयी है - लव तिवारी

एक अरसे बाद छत पे चाँदनी आयी है
मेरे आँगन में आज रोशनी आयी है
मैं डूबा तो लहरों को भी खबर न थी

आज सबके जुबाँ पे मेरी कहानी आयी हैं

प्रस्तुति- लव तिवारी रानू मिश्रा
09711941017

गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

एक रात एटीएम पर - लव तिवारी

एक प्रश्न की वास्तविकता क्या है
क्या राहुल गांधी और मोदी जी की मां दोबारा बैंक आएंगे ? या अभी 4 हजार खत्म नहीं हुए ।
राजनीति कूटनीति
दूसरी तरफ हम तो न मोदी है न राहुल हमें जब भी जरुरत पड़ती है हम पैसे के लिए लाइन में लगते है और पैसे निकलते भी है , आज थोड़ी देर पहले ही एक रोचक घटना को अंजाम मिला ,लंबी लाइन लाइन में कुछ लोग ये कहने लगे की जाइये भाई आप पहले निकल ले हम बात समझ नहीं पाये लेकिन बाद में इस बात की पुष्टि हुई की सभी लोग 12 बजने का इंतेजार कर रहे थे लेकिन सबसे रोचक घटना तो तब घटित हुयी जब एटीएम में लम्बी लाइन लगाकर पैसे निकालते हुए एक भाई साहब ने लगभग 11.30 मिनट पर यह पूछ दिया की भैया यहाँ ठेका कहा है और अभी खुला होगा की नहीं , हमने भी तुरंत जबाब दिया भाई अशोक नगर जाओ वहाँ मिल जाएगा अनुभवहीन व्यक्ति समझ कर उसने मुझे कहा 10 बजे के बाद अशोक नगर का ठेका बन्द हो जाता है आप यूपी के ठेके की जानकारी दीजिये

कुछ तो बात है साहब अपनी #यूपी में जो पूरी होती नजर आ रही है अब यह सब बात करके दोस्त का खुद ही 2 3 मिनट समय नष्ट हो गया था, बाइक स्टार्ट किये निकल लिए , हम आशा करते है कि दोस्त को उनकी मदिरा जरूर मिल गयी होगी, #भारत सरकार और मोदी जी से अनुरोध है ठेके के समय में भी परिवर्तन करे ताकि मदिरापान वाले व्यक्ति को उस तरह के दिक्कत का सामना न करना पड़े, देश में जहाँ लोग अपनी दैनिक जीवन को निर्वहन करने के लिए पैसे की किल्लत से जूझ रहे है वही कुछ लोगो को मदिरापान, अय्याशी एवम फ़िजूल के  कार्य एवं कई अन्य कारकों ने पैसे का दुरुपयोग हो रहा है, धन तो धनी आदमी का ही है वो उसे जैसे प्रयोग करे, जहा 500 रूपये के पुराने नोट के चलन का अंतिम दिवस है वही एटीएम वाली तस्वीर गूगल से ली गयी है रात्रि में तस्वीर लेने का कोई अवचित्य नहीं है

वही मदिरापान वाले दोस्त को जलोटा साहब की ग़ज़ल की चंद लाइन
आँखों से पी रुत मस्तानी हो गयी
जाम से पीना रश्म पुरानी हो गयी

धन्यबाद- #लव_तिवारी


मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

कालेधन के विरोध में देश की एकजुटता - लव तिवारी

सन 1975 की बात है -
श्री संजय गांधी ने #जनसंख्या नियंत्रण के लिए #नसबंदी पर जोर दिया था। पूरी सरकारी मशीनरी जुटी थी। अफवाहों का दौर चला कि स्कूल में बच्चों की नसबंदी की जा रही है,अफसर केस देने के लिए कुंआरों की भी नसबंदी करा रहे हैं ।नतीजा क्या रहा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 0/85 हो गई ।श्रीमती इंदिरा जी ,संजय सब हार गए। और अब हालत ये है की 41 साल से किसी ने जनसँख्या नियंत्रण की बात ही नहीं की। इतने सालों में हम दुगने हो गए। आज किसी #पार्टी की हैसियत नहीं की वो जनसंख्या नियंत्रण की बात कर सके।
लाल तिकोन का निशान आज किसी को याद नहीं जो परिवार नियोजन का निशान था और ज्यादातर सरकारी दीवारों पर पेंटेड हुआ करता था। हम दो हमारे दो का नारा बिलुप्त हो गया।जरा सोचिये ये मुहिम अगर सफल हो गई होती और हमारी जनसंख्या दर नियंत्रित होती,

तो हमारी प्रगति कितनी रफ़्तार से होती, हम आज कितने विकसित देश होते। चीन अमरीका हमें सलाम कर रहे होते। इतनी बेरोजगारी ना होती और गरीबी नहीं होती।
हर सामान इफ़रात में होता और सस्ता होता। ज्यादा क्या बोलूं खुद सोच कर देखिये।। संसाधन इतने ही होते पर उपयोग करने वाले आधे।

     आज भी कुछ ऐसा ही माहौल है। नोटबन्दी के नाम पर एक अच्छी पहल को एक तंत्र बर्बाद करने पर लगा है। यह मोदी सरकार का दुःसाहस ही सही ,पूरी तैयारी ना सही। कुछ गलतियां भी सही पर अगर नोट बंदी और काले धन के खिलाफ ये मुहिम फेल हुई तो अगले सैकड़ो साल तक कोई भी राष्ट्राध्यक्ष दुबारा इस कदम को उठाने का साहस नहीं करेगा।और हमारी भावी पीढ़ियां न जाने कब तक शायद हमेशा के लिए भ्रष्ट्राचार की व्यवस्था में जीने के लिए अभिशप्त हो जाएंगी।

     हम इतिहास के एक निर्ण़ायक मोड़ पर खड़े है, कुछ वैसा ही मोड़ जहाँ पृथ्वीराज चौहान की हार हुई थी और कुतुबुदीन ऐबक ने हिंदुस्तान को गुलाम बना लिया था।
हमारी गुलामी का प्रतीक कुतुबमीनार तामीर हुआ था। ये वैसा ही मोड़ है जहाँ जहांगीर ने अंग्रेजो को तिज़ारत की इजाज़त दी थी। ये इतिहास के उस मोड़ जैसा है जब #पाकिस्तान का जन्म हुआ था जिसका दंश हम 70 साल से भोग रहे है।* नोटबंदी का असफल होना मोदी की नहीं इस देश की असफलता होगी।
अतः हम ये भूल जाएं की हम #हिन्दू हैं, #मुसलमान हैं, #सिख या #ईसाई है..कांग्रेसी हैं ,समाजवादी हैं, #हरिजन हैं, बहुजन हैं, और सिर्फ ये सोचें की हम इस मुहिम को अपने देश व बच्चों के भविष्य लिए सफल करेंगे।
एक बार थोड़ी तकलीफ सह जाइये।देश के लिए ना सही अपने ही भावी परिवार के सुखद और संमृद्ध जीवन के लिए ।संजय गांधी की तरह मोदी को भी मत फेल होने दीजिए ।

ये मुहिम सफल या असफल होने से हम एक सफल या असफल राष्ट्र बनेंगे दोस्त यदि आप मेरे पोस्ट से असहमत हो तो इसे अनदेखा कर दे अन्यथा इसे अपने दूसरे दोस्तो को पोस्ट करे.. धन्यवाद
#नोटबंदी #कालाधन #सरकार #मोदी #केजरीवाल #ममता_बनर्जी #कांग्रेस #सपा #बसपा