मंगलवार, 20 दिसंबर 2016

तुम्हारे यादो का एक खुशनुमा सा एहसास- लव तिवारी

रात्रि का समय ,तुम्हारे यादो का एक खुशनुमा सा एहसास फिर से मेरे ख्यालों मे आ जाता है, कभी कभी तुम जो पूछ लेते हो कि कब याद आती हु मैं, अब क्या बताए कुछ कहे तो हिंदी भाषा का एक प्रचलित शब्द अतिश्योक्ति की उपमा का चित्रण मेरे शब्दों में दिखेगा, लेकिन वो वास्तविक मे अतिश्योक्ति नहीं हकीकत है , अब हकीकत क्या है सुन लीजिये, मुझे कब और क्यों याद आती है इसका जिक्र मैं आप से करता हूँ ,हमेशा तब जब में एकेले होता हूं , अगर पहर की बात करु तो रात के समय जब पूरा जहा नींद के आगोश में करवटे बदल बदल कर चैन की नीद सोता है , तो मैं जगता हु और तुम्हे सोचता हूँ, अब ये मत पूछना क्यों , क्यों की क्यों मेरे पास जबाब नही है 

रचना -लव तिवारी
दिनांक-  17 दिसंबर 2016




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