शरद की रात का वो खुशनसीब मंजर जब तुम अचानक हमें याद आती हो , न कोई आस पास होता है बस आप का साथ होता है और रात की एकांक का वो बेहतरीन पल जो हम आप के साथ जीते है उसकी पल की कुछ अनोखी दस्ता
तुम्हारे रुख को जो न देखू दिल की बेकरारी सी है
जिंदगी तुमसे है बस तुमसे वरना बेकारी सी है
जिंदगी तुमसे है बस तुमसे वरना बेकारी सी है
न भुख है न प्यास है जब तुम होते हो आसपास
वरना इस दुनिया में पेट की महामारी सी है
वरना इस दुनिया में पेट की महामारी सी है
कुछ लिखू तुम्हे सोच कर तो बन जाती है ग़ज़ल
तुम्हे लेकर दिल में एक अजब ख़ुमारी सी है
तुम्हे लेकर दिल में एक अजब ख़ुमारी सी है
वजूद तुमसे है तुम हो तो जिंदगी है रोशन
वरना जिंदगी कैसे गुज़रे ये महामारी सी है
वरना जिंदगी कैसे गुज़रे ये महामारी सी है
मुझे याद आते हो तुम तो कयामत हो जाती है
न होते हो जहन में तो लगता है बीमारी सी है
न होते हो जहन में तो लगता है बीमारी सी है
प्रस्तुति- लव तिवारी
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