गुरुवार, 27 अक्टूबर 2016

घर में दिया जलाओ अब की दीपावली में- लव तिवारी

घर में दिया जलाओ अब की दीपावली में
तुम जश्न फिर मनाओ अब की दीपावली में

है चारो तरफ अंधेरा और पथ भी धूमिल है
कोई राह तो दिखाओ अब की दीपावली में

मेरे घर को फूंका कुछ शहर के दरिंदो ने
और खुशियां फिर मनाई अब की दीपावली में

कोई रोता है तो रोये इस बात कि ख़बर हैं
कोई हँसते को रुलाये अबकी दीपावली में

कोई मुझको मिला था  एक रोज मोहब्बत में
फिर दे गया वो तोहमत अबकी दीपावली में




स्वरचित - लव तिवारी

तेरे बगैर तेरे बिना मुमकिन हो कुछ भी सोच लू- लव तिवारी

तेरे बगैर तेरे बिना मुमकिन हो कुछ भी सोच लू
ये जिंदगी बस तू ही तू है तुझे बाहों में रोक लू

कोई मुझसे पूछता तू इस कदर ,तन्हा उदास क्यों हुए
मैं सबको क्या जबाब दू ,जो सोचा तुमको न हो सका

ये चार दिन की जिंदगी में मुझे अब भी तेरी तलाश है
कही खो न दू मैं जिंदगी बस तू ही तेरा ख्याल है

तेरे मुस्कराहट भरे चहेरे के दीदार को मैं बैचन हूँ
जो तू मिले तो इस जहाँ की हर एक चीज़ पूरी मिले

मेरे उम्र भर के सवाल का तू एकलौता जबाब है
जो तू नहीं तो कुछ नहीं ये जिंदगी जिना भी मलाल है


बुधवार, 26 अक्टूबर 2016

तू इबादत है और मज़हब भी - लव तिवारी

तू इबादत है और मजहब भी
जिंदगी तेरे बगैर अब कुछ और नहीं

बड़े सलीक़े से तुम्हे पाया हूँ
तुझसे मोहब्बत है और जहाँ से नफरत भी

बड़ी दिलरुबा और बेख़ौफ़ है जिंदगी
तू दुआ है और करम भी

तेरे बारे में न सोचु तो मर जाऊ मैं
कि जिंदगी कैसे जियूं ये मौरौत भी

स्वरचित-लव तिवारी


रविवार, 23 अक्टूबर 2016

वो मिले तो अक्सर याद आये पुराने दिन -लव तिवारी

वो मिले तो अक्सर याद आये पुराने दिन
कि स्कुल और तक़दीर के मसलो के उलझे दिन

बड़ी बेफ़िक्र थी जिंदगी और अजीब थे रिश्ते
वो मिले आज तो  कहे कुछ अनकहे क़िस्से

कभी मिले वो फ़िर से हो शाम सुहानी
कुछ सुलझे बीते वर्षो की उलझी कहानी

पुराने वक़त की नज़ाकत को हम याद करते है
उन दोस्तों से ताउम्र मिलने की फ़रियाद करते है

प्रस्तुति- #लव_तिवारी

शनिवार, 22 अक्टूबर 2016

आज फिर जो मौसम खुसनुमा हुआ है- लव तिवारी

आज फिर जो मौसम खुशनुमा हुआ है
जरा पता करो इस शहर मे क्या हुआ है

वो मेहरबान थे उस दौर की यही थी दास्ताँ
फिर वही रंगत है फ़िजा में असर दूसरा हुआ है

सुना है वक़त  बदलते है कुछ समय के बाद
आज उनके आने के अहसास का असर जो हुआ है

कभी उनकी बदौलत भी कट जाती थी जिंदगी
वो जो फिर मिले मौसम खुशनुमा हुआ

स्वरचित - लव तिवारी





सोमवार, 10 अक्टूबर 2016

मैं उत्तर प्रदेश हूँ जी हां मैं उत्तर प्रदेश हूँ

दरिंदों ने जिसे खूब नोचा, अब स्मृति शेष अवशेष हूँ।
जाति विशेष व्यक्तियों के विकास का अखिलेश हूँ।
              ....मैं उत्तर प्रदेश हूँ।

दरिंदों से जितनी बची बस उतनी ही शेष हूँ।
मैं, बलात्कार पीड़िता, आपके चरणों में पेश हूँ।
              ....मैं उत्तर प्रदेश हूँ।

शासन नहीं सत्ता हूँ, रोजगार नहीं बेरोजगारी भत्ता हूँ।
गुंडई, दंगा और रेप का संदेश हूँ।
              ....मैं उत्तर प्रदेश हूँ।

विकास को तरसता जाति-धर्म की राजनीति में विशेष हूँ।
गरीबों की अमानत लूटते पूंजीपतियों का वेष हूँ।
              ....मैं उत्तर प्रदेश हूँ।

ना बिजली, ना पानी, ना शिक्षा, ना स्वास्थ्य, ना ही रोजगार हूँ।
मैं तो केवल जालिमों के ज़ुल्म की चीत्कार हूँ। साथ ही अपराध की बेलगाम सत्ता का संदेश हूँ।
             ....मैं उत्तर प्रदेश हूँ।

चार-चार मुख्यमंत्रियों के हाथों का क्लेश हूँ।
दादरी, मथुरा और मुजफ्फरनगर के दंगों में पेश हूँ।

    ....जी हाँ, मैं उत्तर प्रदेश हूँ।।

Source- whatsapp

मंगलवार, 4 अक्टूबर 2016

सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगता केजरीवाल - लव तिवारी

तेरे से अच्छा तो अपने गांव का नेता है जो कम से कम देश के बारे में गलती शब्द का प्रयोग तो नहीं करता ,टीवी के सामने केवल तेरे फर्जी बात की उलटी पलटी कहानी, #केजरी तेरी उलटी पलटी समाचार ने आज कुछ लिखने पर विवश किया फिर थोड़े देर में गांव से सोशल मीडिया के माध्यम से नेता की तस्वीर आयी ,लिख दिया कृपया केजरीवाल भक़्त, समर्थक हमें गाली न दे, धन्यबाद

उम्मीद तुमसे है कि तुम भी कुछ नया करो
हिमायत आतंकी की छोड़ कर कुछ और करो

इसी जनता ने दिया तुझे दिल्ली का जो तख़्त
अब यही आदत है चुल्लू भर पानी में डूब मरो

क्यों करते हो गन्दी राजनीती वोट के लिए
कम से कम सैनिको और उनकी सहादत पर गर्व करो

कोई नहीं मांगता अपनी माँ से सबूत अपने बाप का
कुछ तो है  बात दुनिया में जिसको तुम समझा करो

प्रस्तुति - #लव_तिवारी
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