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नवंबर 2014 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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बुधवार, 26 नवंबर 2014

अपने स्कूलों से तो, पढ़कर मैं आया और कुछ, जिंदगी जब भी मिली, उसने सिखाया और कुछ!

अपने स्कूलों से तो, पढ़कर मैं आया और कुछ,जिंदगी जब भी मिली, उसने सिखाया और कुछ! सख्त असमंजश में हूँ बच्चों को क्या तालीम दूँ ,साथ लेकर कुछ चला था, काम आया और कुछ ! आज फिर मायूस होकर, उसकी महफ़िल से उठा,मुझको मेरी बेबसी ने, फिर रुलाया और कुछ ! इसको भोलापन कहूं या, उसकी होशियारी कहूँ?मैंने पूछा और कुछ, उसने बताया और कुछ! सब्र का फल हर समय मीठा ही हो, मुमकिन नहीं,मुझको वादे कुछ मिले थे, मैंने पाया और कुछ! आजकल 'विश्नोई' के, नग्मों की रंगत और है,शायद उसका दिल किसी ने फिर दुखाया और कुछ...