मेरा ब्लॉग मेरी रचना- लव तिवारी संपर्क सूत्र- +91-9458668566

जुलाई 2014 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

we are performing in bhail bihan program in mahuaa chanel

Flag Counter

Flag Counter

गुरुवार, 24 जुलाई 2014

दिल की बात लबों पर लाकर, अब तक हम दुख सहते हैं|

दिल की बात लबों पर लाकर, अब तक हम दुख सहते हैं| हम ने सुना था इस बस्ती में दिल वाले भी रहते हैं| बीत गया सावन का महीना मौसम ने नज़रें बदली, लेकिन इन प्यासी आँखों में अब तक आँसू बहते हैं| एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इल्ज़ाम नहीं, दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं| जिस की ख़ातिर शहर भी छोड़ा जिस के लिये बदनाम हुए, आज वही हम से बेगाने-बेगाने से रहते हैं| ...

बुधवार, 23 जुलाई 2014

सोचा नहीं अछा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं मांगा खुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं

सोचा नहीं अछा बुरा देखा सुना कुछ भी नहींमांगा खुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहींदेखा तुझे सोचा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझेमेरी ख़ता मेरी वफ़ा तेरी ख़ता कुछ भी नहींजिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भरभेजा वही काग़ज़ उसे हमने लिखा कुछ भी नहींइक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तकआँखों से की बातें बहुत मूँह से कहा कुछ भी नहींदो चार दिन की बात है दिल ख़ाक में सो जायेगाजब आग पर काग़ज़ रखा बाकी बचा कुछ भी नहींअहसास की ख़ुश्बू कहाँ, आवाज़ के जुगनू कहाँख़ामोश यादों के सिवा, घर में रहा कुछ भी नह...

शनिवार, 19 जुलाई 2014

खुशियां कम और अरमान बहुत हैं

खुशियां कम और अरमान बहुत हैं, जिसे भी देखिए यहां हैरान बहुत हैं,,करीब से देखा तो है रेत का घर,दूर से मगर उनकी शान बहुत हैं,,कहते हैं सच का कोई सानी नहीं,आज तो झूठ की आन-बान बहुत हैं,,मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी,यूं तो कहने को इन्सान बहुत हैं,,तुम शौक से चलो राहें-वफा लेकिन,जरा संभल के चलना तूफान बहुत हैं,,वक्त पे न पहचाने कोई ये अलग बात,वैसे तो शहर में अपनी पहचान बहुत हैं...

ख़ाक से बढ़कर कोई दौलत नहीं होती छोटी मोटी बात पे हिज़रत नहीं होती

ख़ाक से बढ़कर कोई दौलत नहीं होती छोटी मोटी बात पे हिज़रत नहीं होती पहले दीप जलें तो चर्चे होते थे और अब शहर जलें तो हैरत नहीं होती तारीखों की पेशानी पर मोहर लगा ज़िंदा रहना कोई करामात नहीं होती सोच रहा हूँ आखिर कब तक जीना है मर जाता तो इतनी फुर्सत नहीं होती रोटी की गोलाई नापा करता है इसीलिए तो घर में बरकत नहीं होती हमने ही कुछ लिखना पढना छोड़ दिया वरना ग़ज़ल की इतनी किल्लत नहीं होती मिसवाकों से चाँद का चेहरा छूता है बेटा ......इतनी सस्ती जन्नत नहीं होती बाजारों में ढूंढ रहा हूँ वो चीज़े जिन चीजों की कोई...

गुरुवार, 10 जुलाई 2014

किसी को सीने से ना लगा, चलन है गला दबाने का

किसी को सीने से ना लगा, चलन है गला दबाने का कोई माने या ना माने, यही सच है, ज़माने का ! ज़माने में वही करता है, सबसे ज्यादा खर्च भीनही अनुभव जिसे है, एक भी पैसा कमाने का ! सुबह से शाम तक जिसने, घोटे हैं गले उसे ही मिलता है हक़ भी, ख़ुशी से गुनगुनाने का ! गंवारों को मिला है हक़, सबकी तकदीर लिखने का मदारी मान कर खुद को, रोज बन्दर नचाने का ! नहीं जिम्मा की सबकी रूहों को, तू पाक साफ़ करेसड़न से दूर रख खुद को, ज़मीर अपना बचाने का !...

मंगलवार, 1 जुलाई 2014

युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे

महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली, वक़्त फिरभी मेरे हिसाब से कभी ना चला ...!!"-------------------------युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'-------------------------अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ?? औरअगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यों ???------------------------"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं, एकउसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'......------------------------" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःखका कोई खरीदार नहीं होता।"------------------------मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं, पर सुना हैसादगी...