खबर आ रही पूरब में कलकत्ते से
जहर झर रहा मधुमक्खी के छत्ते से
अस्पताल में बैठे हैं गुलदार कई
घूम रहे बेख़ौफ़ परिन्दे मस्ती में
झुण्ड कपोतों का अनशन पर बैठा है
जब से अबला एक मरी है बस्ती में
चूहे चुप हैं साथ निभाते बिल्ली का
ये भी कुचले जायेंगे मदमस्ती में
आने वाला कल भी डूबेगा पूरा
भरा हुआ है पानी इतना कश्ती में
बिल्लों की पदचाप शहर है सहमा सा
बोल रहा सन्नाटा इनकी गश्ती में
शहर उबलकर कल फिर से सो जाएगा
ओस बूँद कह रहे नीम के पत्ते से
खबर आ रही पूरब में कलकत्ते से
जहर झर रहा मधुमक्खी के छत्ते से
-माधव कृष्ण, २४ अगस्त २०२४, गाजीपुर
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