रविवार, 12 मई 2024

तुम देना ज़हर रचना श्रीमती बीना राय ग़ाज़ीपुर उत्तरप्रदेश


तुम देना ज़हर

दोस्ती में मुझे तुम देना ज़हर
मैं पीऊंगी उसे भी अमृत कर

चाहते हो क्या बताओ तो सही
मेरा सबकुछ तुमपर न्यौछावर

मिलती है खुशी गर इसी से तुम्हें
भोंक लेना मिरे पीठ में खंजर

तुम दे दो मुझे तीरगी अपनी
और ले लो मिरे हिस्से की सहर

कर्ण ने भी दल नहीं बदला
हार रहा था दुर्योधन अगर

माफ़ करते चलो सबको बीना
जिंदगी है बड़ी ही ये मुख़्तसर


स्वरचित कविता

बीना राय
गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश





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