तुम्हें पाकर खोने को कुछ नही
जिंदगी एक ख़्वाब साजोंने को कुछ नही।
आदमी में भला क्या मांगू ख़ुदा से
मुझको सब मिल गया पाने को कुछ नही।
एक हसरत लिए अब भी बैचेन सा होता है
भर दु मांग तेरा अब पछताने को कुछ नही।
बन के रहना तुम मेरी यही तम्मना है मेरी।
दुनिया मेरी मुस्कुराती रहें अब आज़माने को कुछ नही
दूसरा- ग़ज़ल
कुछ नहीं बस तू ही है जिंदगी मेरे नाम की,
आते जाते ख्वाबों में बस गई एक जान सी।
मुझको मिल गया जो चाहा और ख़ुदा से क्या चाहु।
हसरते पूरी हुई जो ख़्वाब थी अरमान की।
मुझसे करना न फरेब बनकर रहना मेरी दुल्हन।
तुम पर शुरू हुई हैं ख्वाईश जब तक रहे ये प्राण भी।
मुझको और कुछ नही चाहिए तेरे सिवा कुछ और भी।
बन गई हो दिल की धङकन रहना मेरे साथ ही।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें