ताजमहल की सुंदरता लिए एक अनुपम उपहार हो तुम।
मेरे जीवन के विरानियों में सुंदर बगिया की बहार हो तुम।।
देख कर तुमको आहे भरता औऱ तड़पता तुम्हारी यादों में।
ईश्वर रूपी एक फरिस्ता बन अदभुत पहचान हो तुम।।
एक तम्मना लिए खुदा से मांगता हूं दिन रात तुम्हें।
हो जाती तुम मेरी साजना अमृत घड़ा की प्यास हो तुम।
तुमको पाने की उम्मीद में कैसे कटते है दिन रात मेरे।
ख़ुदा तुमको हमें सौंप दे इस दुनियां की सौगात हो तुम।।
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