दर्द जानकर नाम पूछना अच्छा नही लगता
किसी की रुसवाई पर अब कुछ कहना अच्छा नही लगता।
आज के बत्तर हालात के लिये किसको दोषी समझा जाय।
बृद्ध पर हो रहे अत्याचार को अब सहना अच्छा नही लगता।
मेरा क्या है इस दुनिया में जिस पर मैं बहुत गुमान करू।
छोड़ कर चला जाऊंगा एकदिन धरा को कुछ अपना नही लगता।।
मुझको मेरे खून से सहारे की उम्मीद कैसे रखूं।
इस दौर की मतलबी दुनिया मे अब कोई अपना नही लगता।।
वृद्ध आश्रम पर मेरी लिखी गई कविता
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