एहसासों को दिल मे कब से दबाये थे
आप मुझ पर दिल कब से लुटाये थे।
पहले इज़हार हम करें की आप
इस बात से हम आप क्यो घबराए थे।
आदमी कितना भी बड़ा क्यो न हो जाये
उसे हम खुदा नही बनायेगे
मेरा वास्ता बस तुमसे से मेरी दिलरुबा
ये बात हम अब दुनिया को बतलायेंगे
ग़ज़ल- 2
दूर अब जमाना होगा
फ़ैसला नही पुराना होगा
आदत हमारी एक जैसी है
फिर क्यो घबराना होगी
दो जिस्म अब एक जान हैं हम
फिर नही शर्माना होगा
मुझको मिले तेरा साथ हरदम
हर बात में बस अफसाना होगा
रचना लव तिवारी गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश
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