राम बहादुर राय (भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश):- स्व डॉ विवेकी राय जी काआज ही के दिन अर्थात दिनांक 19/11/1924 को हिन्दी एवं भोजपुरी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान, साहित्यकार एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर के पूर्व प्राध्यापक हमारे घर (भरौली,थाना-नरहीं,, बलिया, उत्तरप्रदेश) जन्में, गाजीपुर (सोनवानी गांव) के महान लेखक शारीरिक रूप से हमारे बीच भले ही नहीं हैं लेकिन वो हमारे करीब ही हैं,हम सबके आस पास में ही हैं।
आज ही के तारीख में अर्थात19 नवंबर सन् 1924 को हमारे घर भरौली (बलिया )जो डॉ साहब का ननिहाल है , जन्म हुआ था।
कुछ लोगों का कहना है कि डॉ साहब के ननिहाल में भी चांदी के चम्मच और दूध मयस्सर नहीं था तो सही बात है लेकिन उन महानुभाव को यह भी नहीं पता है जो सोने के पात्र में जन्म लेता है वह उतना बड़ा साहित्यकार हो ही नहीं सकता तो मैं कहना चाहूंगा कि लेखनी को जबरदस्ती धसोरना नहीं चाहिए।
उनके जैसे मसका मारने वालों को यह भी पता नहीं है कि जब तक सोना आग में तपता नहीं तब तक खरा नहीं होता।।
वियोगी होगा पहला कवि
आह से उपजा होगा गान....
मेरे परम् आदरणीय बड़े पिता जी के लिए दो शब्द पिरोने का एक प्रयास है आशा है आप लोग जरूर आशीर्वाद देंगे।
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नहीं अब कोई ऐसा गांव ही होगा
नहीं कोई भी वैसा शहर ही होगा ।
लिखने का कोई लाख प्रयत्न करे
नहीं कोई "विवेकी राय" अब होगा।
उनकी लेखनी जैसा न असर होगा
युगों में जन्म लेते हैं आप से विरले।
अब नहीं ऐसा दिव्य दर्शन ही होगा
लिखने वालों की तो फेहरिस्त लम्बी है।
जिधर देखो उधर मायावी कुटुम्बी हैं
समाज की हकीकत से कोसों हैं दूर।
जोड़-तोड़ कर लिखने को हैं मजबूर
आता-जाता है कुछ भी तो नहीं उन्हें।
मक्खन मारके पुरस्कार पा लेते जरूर
श्वेत पत्र, बबूल,सोनामाटी रूपी दीक्षा।
मनबोध मास्टर की डायरी भी अब तो
हो गयी हमसे "अकेला" भी बहुत दूर।
जीवन में नहीं है अब तो अमंगलकारी
उठ जाग मुसाफिर देखो उत्सव पुरूष।
सम्मान पुरस्कार से भी हो चले हैं उपर
चले भी तो गये हैं आसमां से भी ऊपर।
सच्ची श्रद्धांजलि तो तभी होगी उनकी
उनकी लेखनी को हम सब पढ़ें जरूर।
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राम बहादुर राय" अकेला"
भरौली,नरहीं, बलिया, उत्तरप्रदेश.
मोबाइल नंबर-9102331513
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