रविवार, 12 नवंबर 2023

कितने दर्द छुपाये बैठे आज की इस तन्हाई में तुम न होतो तो कैसा होता अपना जीवन खाई में- लव तिवारी

कितने दर्द छुपाये बैठे आज की इस तन्हाई में
तुम न होतो तो कैसा होता अपना जीवन खाई में

क्या सोचा था जीवन को कैसे अब हालात मेरे
मेरा मुझको घर से बाहर करता है दीवाली में

बहुत सुकू है तेरे दर पर गैर भी अपने लगते है
सभी ने अपनों से दर्द सहा यही कहानी कहते है

सही कहते है जिसका कोई न है इस दुनियां में
उसका खुदा एक है सहारा रुख़सत और रुसवाई में

यह कविता धनतेरस 2030 में लंगरपुर छावनी लाइन ग़ाज़ीपुर  में स्थित वृद्ध आश्रम में परम आदरणीय बड़े भैया विजय प्रकाश दुबे जी की सहयोग से भजन एवं मिष्ठान की व्यवस्था करते समय उत्पन्न भाव द्वारा लिखी गई है। 

लेखक लव तिवारी गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश








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