ये रिश्ता क्या कहलाता है!!
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सूनो न!,
जब फ़ोन पर तुम्हारे मुखारविंद से" हैलो नीरज!," मैं..... बोल रही हूं!,", फ़ोन पर श्रवण किये गये अक्षरों के मेल से शब्द, शब्दों के मेल से वाक्य प्रस्फुटित हुए न!, मैं भावनाओं के समंदर में डूब गया!, मुझे इक पल के लिए यह यकीं न हुआ कि यह आवाज़ उस ईश्वर की थी जिसे लोगों ने प्रेम कहते हैं, यह आवाज़ उसकी थी जिसको वर्षों पहले देखने के लिए, बात करने के लिए, कुछ देर साथ रहने के लिए मैं तड़पता था!, उसकी एक झलक पाने की ललक हर पल दिलो दिमाग में बनी रहती थी!,
तुम मेरी चाहत की प्रथम पाठशाला थी!, मुझे आनंद के नशे में पहली बार मदमस्त करने वाली मधुशाला थी!, परिस्थितियां बदलीं!, लोग बदले!, फिज़ा बदली!, वक़्त बदला!, मगर जो चीज़ नहीं बदला वह थी मेरी तुम्हारे प्रति चाहत!, मैं चाहे किसी भी परिस्थिति में रहा, तुम्हें याद करता रहा!, मैं चाहे जहां भी रहा, तुम्हारे बारे में पता करता रहा!, कभी तुम्हारे कुशलता की ख़बर पाकर मैं प्रसन्न होता तो कभी तुम्हारे दुःख की ख़बर पाकर मुझे कष्ट की अनुभूति होती!,
अब सबकुछ बदल चुका है! भाव प्रकट करने के तरीके बदल चुके हैं!, पत्र लिखने के लिए कलम और कागज नहीं, बल्कि स्मार्ट फोन, लैपटॉप है! कुछ भी सोचने के लिए दिमाग का नहीं, बल्कि गूगल का सहारा है। पता है!, अब तुम्हें उपहार के रूप में फ़ूल देने के लिए मुझे फूलवारी में नहीं जाना है!, गुगल से सर्च करके तुम्हारा मन चाहा फ़ूल ख़ोज कर डिजिटल रूप में प्रस्तुत कर सकता हूं!, अब तुम्हें पत्र देने के लिए मुझे तुम्हारे घर चाचा चाची, और मुहल्ले के मुस्टंडों से डरने की जरूरत नहीं है। मैं तुम्हें वाट्स अप, फेसबुक इंस्टाग्राम पर अपनी मन की बात कह सकता हूं। बचपन में एक पत्र देते हुए तुम्हारे पहलवान चाचा ने मेरी धुलाई ऐसे कर दी थी जैसे सर्फ एक्सल कपड़ों करता है। उसके बाद मेरे मन से चाहत का कीड़ा उसी दिन मूर्च्छित हो गया था जैसे सर्फ एक्सल से धुलाई के बाद कपड़े से कीटाणु!,उस समय तो तुमसे मिलने की तुमसे बहुत सारी बातें करने की तम्मन्ना पूरी नहीं हो पाई थी! शायद अब मेरी इच्छाएं पूर्ति हो जाएं!!,
मुझको तो वर्षों पहले से पता है कि तुमसे मेरा क्या रिश्ता है!!! यदि तुम्हें नहीं पता कि तुमसे मेरा क्या रिश्ता है तो ये लेख गूगल पर कापी करके पेस्ट कर देना, तुम्हें पता चल जाएगा!!
सूनो न!, थोड़ा गूगल पर पर लिखकर सर्च करो न!,
ये रिश्ता क्या कहलाता है!,
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नीरज कुमार मिश्र
बलिया
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