सोमवार, 4 सितंबर 2023

ऐ मेरी तनहाई ये जो अक्सर तू बीना राय गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

 ऐ मेरी तनहाई ये जो अक्सर तू

मेरे साथ साथ ही रहती है ना
अब तुझे गले लगाकर
मंजिल के तरफ़
चलना है मुझे ही
मगरूर खारे समंदर
ये जो नाज़ुक सी मेरी हसरतें
तपते हुए सहरा से, तेरे मौजों के किनारे
दौड़ी चली आती थीं ना
और नहीं दौड़ सकतीं ये
अब इनसे मिलने के वास्ते मचलना है तुझे ही।
स्वरचित कविता से
बीना राय
गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें