सोमवार, 4 सितंबर 2023

हर्ष और संताप- बीना राय गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

 हर्ष और संताप

ये जो जीवन मे मिलता है
हमें हर्ष और संताप
कुछ और नहीं है शायद
है हमारे ही कर्मों का प्रताप
तभी तो हमपर कभी
बिन मांगे होती है।
खुशियों की बरसात
और कभी रो-रो के थक जाएं
पर भगवान भी हमारी
सुनता नहीं अलाप
जब लगे ये जीवन हमको
एक खुशियों भरी शौगात
बखानते हैं हम सब अपने
अच्छे कर्मों का प्रताप
फिर जब होती है हमारी,
दुखों से आंखेचार
बेहतर होता ये समझ जाते
शायद है ये हमारे किसी
बुरे कर्मों से मिला कोई अभिशाप
जैसा भी है ये जीवन
अपना ही तो है
गर दुख मिला है तो फिर
सुख भी मिलेगा
अगर बढ़ा लेंगे हम
अपने शुभ कर्मों का प्रताप
स्वरचित कविता
बीना राय
गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें