ईश्वर की सर्वोपरि रचना
ईश की रचना में है ऊपर,
सुनो ए बच्चों !मानव।
मानव बन कर रहना सीखें,
कभी बनें ना दानव।
गुण इसमें हैं अनंत समाए,
संग में सूझ व बूझ।
इस गुण के कारण ही हम,
बन सकते हैं प्रत्यूष।
साहस, धैर्य ,कर्मशीलता,
ईश्वर गुण हैं प्रदत।
इनका सदा सदुपयोग करे नर,
ना होवे कभी ध्वस्त।
स्व-विवेक को ज्यों नर भूले,
घेरे कुंठा- निराशा।
आत्मविश्वास है नष्ट हो जाता,
मर जाए हर अभिलाषा।
निराशा सम अभिशाप न दूजा ,
आशा सम वरदान।
आशा का दामन कभी न छूटे,
जीवन भर रख लो ध्यान।
सद्भभावों से मन तुम भर लो,
दृढ़ संकल्प हो जाओ।
आत्मविश्वास को मीत बना लो,
हर लक्ष्य को तुम पा जाओ।
साधना शाही वाराणसी
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