मंगलवार, 5 सितंबर 2023

देखो देखो आई ईद रचना साधना शाही वाराणसी

देखो -देखो आई ईद

देखो -देखो आई ईद,
चहुं फैलाती है यह प्रीत।
मुस्लिम का यह है त्यौहार,
पर सबसे करता है प्यार।

तीस दिनों का कर रमजान,
इसके बाद ईद तू मान।
इस्लामिक यह व्रत है प्यारे,
जीवन सबका कर दे न्यारे।

सूर्योदय से अस्त तक रोज़ा,
रोजे़दार सदा है रहता ।
अंशु -रश्मि जैसे ही जाती,
रोजे़दार का रोजा खुलता।

अमीर- गरीब संग करें इफ्तारी,
ना कोई दंभ ना कोई अहंकारी ।
अंतिम दिन जब चांद दिखे तो,
ईद की तुम कर लो तैयारी।

ऊंच-नीच का भेद मिटाकर,
एक -सा हो सब का अंदाज़।
जाति की सीमाएं दूर हो,
प्रेम की हो बस एक आवाज़।

गिले-शिकवे सब रखो ताख पर ,
ईद मुबारक दिल से कह लो।
दीन- दुखी को भी मत भूलो,
सर्व-धर्म को शामिल कर लो।

ईद का मतलब खुशी है प्यारे,
जाति- धर्म में मत बांटो।
रहमत सदा बरसती एक सी,
जो बनी है खाई उसे पाटो।

साधना शाही, वाराणसी


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