मंगलवार, 2 अगस्त 2022

गुरुवर चरणों में दे दे ठिकाना मुझे मैं भटकता हूँ राह दिखाना मुझे- फणीभूषण जी चौधरी

गुरुवर चरणों में दे दे ठिकाना मुझे,
मैं भटकता हूँ राह दिखाना मुझे,
राह दिखाना मुझे.....
गुरुवर चरणो में दे दे ठिकाना मुझे।।

मैं तो पूजा से जप तप से अंजान हूँ,
मतलबी लोग से मैं परेशान हूँ,
कितना भरमाया है ये जमाना मुझे,
ये जमाना मुझे,
गुरुवर चरणो में, दे दे ठिकाना मुझे।।

तन कही और है मन कही और है,
सुख की चाहत की भारी यहाँ दौड़ है,
इस समंदर में अब ना बहाना मुझे,
ना बहाना मुझे.....
गुरुवर चरणो में दे दे ठिकाना मुझे।।

ये है काजल का घर बचके कैसे रहूं,
अपनी आवाज़ दिल की मैं किससे कहूं,
इस मुसीबत से तू ही बचाना मुझे।
हा बचना मुझे........
गुरुवर चरणो में दे दे ठिकाना मुझे।।

अब फणी के हृदय से ना तू दूर है,
अब तेरा फ़ैसला मुझको मंजूर है,
तुझको भूलूँ वो दिन ना दिखना मुझे,
ना दिखाना मुझे.....
गुरुवर चरणो में दे दे ठिकाना मुझे।।

गुरुवर चरणों में दे दे ठिकाना मुझे,
मैं भटकता हूँ राह दिखाना मुझे,
राह दिखाना मुझे.....
गुरुवर चरणो में दे दे ठिकाना मुझे।।

रचना- फणी भूषण जी चौधरी
गायक- श्री धरीज कान्त जी






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