यचहत्तर वर्ष स्वतंत्रता के :
हुई स्वतंत्रता आज हमारी पूर्ण पचहत्तर वर्ष की
चलो सुनाएं कथा विश्व को भारत के उत्कर्ष की
अब अतीत छोड़ पकड़ें नूतन विकास की डोर
चल पड़े राष्ट्र-जन में श्रृंखला गहन विमर्श की
मिलजुल चलो नाचे गाएं उत्सव सा इसे मनाएं
जगे याद स्वतंत्रता सेनानियों के अतुल संघर्ष की
जगह धरा पर कहां जहां गिरा वीरों का रक्त नहीं
बने मुर्ति यह मही उनके सकल जीवन आदर्श की
चलो मित्र ना सोचो कुछ भूलो झगड़े आपस के
हम कराएं दर्शन दुनिया को आहुति के निष्कर्ष की
डॉ एम डी सिंह
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