जीवन है तो बाधाएँ तो रहेंगी ही ::--
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जीवन में बाधाओं का हर व्यक्ति सामना करता है । बाधाएँ हमारी राह में आने वाली वो रुकावटें हैं , जो हमें आगे नहीं बढ़ने देतीं । बाधाओं का रोना रोने वालों की कमी नहीं , पर वे भूल जाते हैं कि यदि जीवन है तो बाधाएँ आएँगी ही , ये तो प्रकृति का नियम है । जितनी बड़ी बाधा होती है , उसे दूर करने के लिए उससे अधिक कड़ा संघर्ष करना पड़ता है । बाधाएँ समयानुसार आती जरूर हैं , लेकिन हम इतनी आशंकाओं से भरे रहते हैं कि समय से पहले ही ये बाधाएँ हमारी सोच पर हावी हो जाती हैं । यदि हम इनसे घबराने लगते हैं तो हमारी निर्णय लेने की शक्ति प्रभावित हो जाती है और हम गलत निर्णय लेने लगते हैं ।
यदि व्यक्ति सकारात्मक सोच वाला है तो बाधाएँ सड़क पर औंधे मुँह लेटे स्पीड ब्रेकर से अधिक कुछ नहीं होतीं , जिन्हें थोड़ा सँभलकर आसानी से पार किया जा सकता है । मुसीबतें , रुकावटें , समस्याएँ , असफलताएँ बाधाओं के रूप में सामने आती हैं जिनसे हमें जूझना पड़ता है, लेकिन यदि पहले से ही इन सभी बाधाओं को दिमाग में , अपनी सोच में जगह दे दी गई तो फिर इनका समाधान निकालने के लिए सोच कम पड़ जाएगी । इसलिए जब जिस तरह की बाधाएँ सामने आएँ , उसी समय पर्याप्त सोच-समझ के साथ इनका सामना करना चाहिए ।
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