मासूम को बुलेट पर बैठाकर बनारस की गलियों की खाक छानता रहा ये दारोगा, जानिए क्या है पूरा मामला :
महाशिवरात्रि के दिन वाराणसी पुलिस के दो अलग-अलग चेहरे देखने को मिलें। एक तरफ दशाश्वमेध इलाके में सड़क किनारे पूजा सामाग्री बेच रही महिला के साथ पुलिसवाले की बदसलूकी ने जहां महकमे की जगहंसाई की तो वहीं दूसरी ओर एक ऐसा भी वर्दीवाला था जिसने गुमशुदगा मासूम को उसके परिजनों से मिलाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया। अंजान नहीं बल्कि अपने बच्चे की तरह मासूम को अपनी बुलेट बैठाकर पूरे चौबीस घंटे तक बनारस की गलियों की खाक छानता रहा। कोशिश तब तक जारी थी, जब तक परिजनों से मुलाकात नहीं हो पाई।
दारोगा की कोशिशों से मां-बाप से मिला मुजफ्फर :
पूरी कहानी है कोतवाली के मैदागिन इलाके की। शाम के वक्त सड़क पर ट्रैफिक पूरे शबाब पर था। पुलिस महकमा महाशिवरात्रि पर्व को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए गश्त पर थी। तभी गायघाट चौकी प्रभारी अमित शुक्ला की नजर छह साल के मासूम मुजफ्फर पर पड़ी। सड़क किनारे रोता हुआ मासूम सिर्फ अपना नाम बता पा रहा था। मौके पर मौजूद दारोगा ने काफी देर तक उसके परिजनों को ढूंढने की कोशिश की। वायरलेस के जरिए सूचना भी प्रसारित करवाया। लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
बुलेट पर बैठाया और निकल पड़ा गलियों में :
कामयाबी ना मिलते देख दारोगा ने मासूम को अपनी बुलेट पर बैठाया और शहर की सड़कों पर निकल पड़ा। इस दौरान उसने रोते हुए मुजफ्फर को रबड़ी ख़िलाई और खिलौना दिलाया तब कहीं जाकर वह शांत हुआ। घर से बिछड़ने के गम में बालक अपना पता सिर्फ पांडेयपुर बता पा रहा था।
दारोगा ने आधी रात को बुलेट पांडेयपुर की ओर मोड ली। काफी खोजबीन के बाद मासूम के बताए एक चाय वाले के पास पहुंचा। तब लोगों ने बालक को पहचानकर उसके घर का पता बताया। 6 वर्षीय मुजफ्फर अपने घर का इकलौता संतान है।
दारोगा ने मां, बाप और दादा को घर के इकलौते बालक को सौंपा तो परिजनों के आंखों से आंसू छलक उठे। परिजनों के मुताबिक मुजफ्फर टयूशन पढ़ने निकला था और भटककर मैदागिन आ गया था।
हम वाराणसी के लोगों की दायित्व है कि ऐसे जिम्मेदार पुलिसकर्मी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज का भला करना चाहिए
दिल से धन्यवाद करता हूं आपको
जय हिंद
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