गुरुवार, 30 जुलाई 2020

क्या है रूद्राभिषेक? कैसे किया जाता है? क्यों किया जाता है- लव तिवारी

*🌹क्या है रूद्राभिषेक? कैसे किया जाता है? क्यों किया जाता है? पढें भूतभावन भोलेनाथ के पवित्र मास श्रावण में एक उपयोगी एवम विस्तृत प्रस्तुति। 🌹💫*

रुद्राभिषेक का महत्त्व तथा लाभ भगवान शिव के रुद्राभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है साथ ही ग्रह जनित दोषों और रोगों से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है। रूद्रहृदयोपनिषद अनुसार शिव हैं – सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका: अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।

भगवान शंकर सर्व कल्याणकारी देव के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी पूजा,अराधना समस्त मनोरथ को पूर्ण करती है। हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शिव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण होती हैं।

भगवान शिव को शुक्लयजुर्वेद अत्यन्त प्रिय है कहा भी गया है वेदः शिवः शिवो वेदः। इसी कारण ऋषियों ने शुकलयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से रुद्राभिषेक करने का विधान शास्त्रों में बतलाया गया है यथा –

यजुर्मयो हृदयं देवो यजुर्भिः शत्रुद्रियैः।
पूजनीयो महारुद्रो सन्ततिश्रेयमिच्छता।।

शुकलयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी में बताये गये विधि से रुद्राभिषेक करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है ।जाबालोपनिषद में याज्ञवल्क्य ने कहा – शतरुद्रियेणेति अर्थात शतरुद्रिय के सतत पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

परन्तु जो भक्त यजुर्वेदीय विधि-विधान से पूजा करने में असमर्थ हैं या इस विधान से परिचित नहीं हैं वे लोग केवल भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र– ॐ नम:शिवाय का जप करते हुए रुद्राभिषेक का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते है।

महाशिवरात्रि पर शिव-आराधना करने से महादेव शीघ्र ही प्रसन्न होते है। शिव भक्त इस दिन अवश्य ही शिवजी का अभिषेक करते हैं।

क्या है रुद्राभिषेक ?

अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान करना अथवा कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है। वर्तमान समय में अभिषेक रुद्राभिषेक के रुप में ही विश्रुत है।

अभिषेक के कई रूप तथा प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसंन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।

रुद्राभिषेक क्यों करते हैं?

रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: अर्थात रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं।

रुद्राभिषेक का आरम्भ कैसे हुआ ?

प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जबअपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ।

इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए। इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए। कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।

एक अन्य कथा के अनुसार ––

एक बार भगवान शिव सपरिवार वृषभ पर बैठकर विहार कर रहे थे। उसी समय माता पार्वती ने मर्त्यलोक में रुद्राभिषेक कर्म में प्रवृत्त लोगो को देखा तो भगवान शिव से जिज्ञासा कि की हे नाथ मर्त्यलोक में इस इस तरह आपकी पूजा क्यों की जाती है? तथा इसका फल क्या है?

भगवान शिव ने कहा – हे प्रिये! जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी कामना पूर्ण करना चाहता है वह आशुतोषस्वरूप मेरा विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु अभिषेक करता है। जो मनुष्य शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है उसे मैं प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करता हूँ।

जो व्यक्ति जिस कामना की पूर्ति के लिए  रुद्राभिषेक करता  है  वह उसी प्रकार के द्रव्यों का प्रयोग करता है  अर्थात यदि कोई वाहन प्राप्त करने की इच्छा से रुद्राभिषेक करता है तो उसे दही से अभिषेक करना चाहिए यदि कोई रोग दुःख से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे कुशा के जल से अभिषेक करना या कराना चाहिए।

रुद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है ? 

शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।

जरूर पढ़े “शिवजी को कौन सा फूल चढाने से क्या फल मिलता है”

जानिए शिवजी की पूजा में क्या नहीं चढ़ाना चाहिए
संस्कृत श्लोक

जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।

अर्थात

जल से रुद्राभिषेक करने पर —               वृष्टि होती है।
कुशा जल से अभिषेक करने पर —        रोग, दुःख से छुटकारा मिलती है।
दही से अभिषेक करने पर —                  पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
गन्ने के रस से अभिषेक  करने पर —     लक्ष्मी प्राप्ति
मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर — धन वृद्धि के लिए। 
तीर्थ जल से अभिषेकक करने पर —     मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से —     बीमारी नष्ट होती है ।
दूध् से अभिषेककरने से   —                   पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा  मनोकामनाएं  पूर्ण
गंगाजल से अभिषेक करने से —             ज्वर ठीक हो जाता है।
दूध् शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से — सद्बुद्धि प्राप्ति हेतू।
घी से अभिषेक करने से —                       वंश विस्तार होती है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से —      रोग तथा शत्रु का नाश होता है।
शुद्ध शहद रुद्राभिषेक करने से   —-         पाप क्षय हेतू।

इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और साधक में शिवत्व रूप सत्यं शिवम सुन्दरम् का उदय हो जाता है उसके बाद शिव के शुभाशीर्वाद सेसमृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाते हैं।





रविवार, 26 जुलाई 2020

हरिकीर्तन हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे युवराजपुर ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश- लव तिवारी


हरे राम हरे राम #राम राम हरे हरे।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।

#हरिकीर्तन व #रामचरितमानस मानस का पाठ का आयोजन अक्सर हमारे गांव में विधि व उल्लास पूर्वक किया जाता है। वैसे हमारे गांव के आस पास व पूर्वी उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस पाठ का प्रचलन ज्यादा है। परंतु हमारे गांव में संगीत विरासत व गायको के हुजूम के वजह से हरिकीर्तन को बड़े प्रसन्ता पूर्वक विभिन्न हिंदी फिल्मों के गानों व गजलों के तर्ज पर गाया जाता है। ये परम्परा पिछले दो दशक से चली आ रही है। और भगवान भोले नाथ की कृपा से हमेशा चलती रहेगी। गांव के मुख्य हरिकीर्तन कलाकार बाबा श्री मंगला तिवारी चाचा श्री Manoj Singh व बड़े भाई श्री Singer Babalu Ghanshyam Kush Tiwari है। वही वादकी के मुख्य कलाकार बाबा श्री शिवमूरत सिंह बाबा श्री Ajai Tripathi चाचा श्री ओ पी सिंह जी बड़े भाई श्री ध्रुवराज त्रिपाठी जी उर्फ गोलडु बाबा व छोटे भाई श्री पवन कुमार जी है। इस साल हुए इस विशेष कार्यक्रम में हम दोनों भाइयों ने भी बढ़ चढ़ कर भाग लिया और साथ मे हरिकीर्तन का भी भरपूर आनंद लिया । सुनिये हम दोनों भाईयों की गायकी।

धन्यवाद- #लव_तिवारी
#युवराजपुर #ग़ाज़ीपुर #उत्तर_प्रदेश 232332


गुरुवार, 16 जुलाई 2020

राजकीय सिटी इंटर कालेज ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश 233001 - लव तिवारी

राजकीय सिटी इंटर कॉलेज गाजीपुर हमारे लिए ये स्कूल बस नहीं हमारे जिंदगी की सबसे खूबसूरत पल की यादें है वो जो अब चाह के भी इस दौर को न  जिया जा सकता है  बस केवल यादो के उस खूबसूरत दौर को एहसास किया जा सकता है । और न ही जिंदगी में दुबारा लौट के आने वाला ये समय है।

किस किस को राजू  के 5 रुपए के छोला पापड़ याद है,किस किस को याद है अशोक चाचा के तीखी मीठी चटनी वाले समोसे,व्यासमुनी गुरु जी साहित्य और देश भक्ति पर लम्बे घंटो वाले भाषण  जनाब माजिद सर और भगवती सर का खौफ छात्रों के जेहन में रहता था और हां सबसे ज्यादा तो घमंड तो तब होता था जब एलटी रूम में बैठने के बाद लगता था कि संसद भवन में बैठ के किसी विषय पे चर्चा चल रही हो।

हाई स्कूल

विज्ञान- भगवती सर
हिंदी- डॉ ब्यास मुनि राय
अंग्रेजी- सतीश शर्मा
गणित- रामकृपाल यादव
संस्कृत- रामकृत यादव
सामाजिक विषय- ---------

इंटरमीडिएट - 

जीव विज्ञान - आर के गुप्ता
रसायन विज्ञान- बालमुकुंद मौर्या
भौतिक विज्ञान- अवधेश राय
हिन्दी- ललित कुमार बौद्ध
अंग्रेजी- राम लाल यादव

प्रधानाचार्य  मुमताज अहमद रामकृत यादव और चन्द्रमा यादव का अनुशासन में शायद ही कोई लड़का आधी कक्षा छोड़ के भाग पाता था। किस किस को याद है क्लास छोड़ के पीछे फील्ड में क्रिकेट खेलना,सिटी स्कूल से जुड़ी यादें बहुत है लिखना शुरू करें तो शब्द ख़तम हो जाएंगे लेकिन यादें किस्से नहीं खत्म नही होंगे।..

मुख्य द्वार-


प्राथना स्थल








मंगलवार, 7 जुलाई 2020

श्री प्रकाश शुक्ला जैसे अंत की राह पर रंगबाज विकास दुबे - लव तिवारी

आज डाॅन "विकास दूबे" मीडिया के खबरों में छाया हुआ है ऐसे ही एक और #रंगबाज# था उस लड़के का नाम था 'श्रीप्रकाश शुक्ला'.
इन दोनो मे कई समानताएं है कुछ का आक़लन मैने किया है कुछ का आक़लन आप स्वत: लगा लेंगे खबरे जो रोज आ ही रही है !
दोनो उत्तर प्रदेश से है,
दोनों ब्राम्हण वर्ग से है,
दोनों ही पढ़ाई लिखाई में अच्छे रहे थे,
दोनों को हथियारों का शौक था,
दोनो के रहन-सहन और
जीवनशैली भी करीब-करीब एक जैसी ही लगती है,
दोनों इस अपराध और वोट बैंक की गंदी राजनीति की उपज है जो सुविधानुसार इस्तेमाल कीए गएं एक तो मार डाला गया अब दूसरे का न0. कभी भी लग सकता है ??
शुक्ला गोरखपुर के मामखोर गांव का रहने वाला था। उसके पिता मास्टरी करते थे. खुराक अच्छी थी तो श्रीप्रकाश पहलवानी में निकल गया. लोकल अखाड़ों में उसने अच्छा नाम कमाया. लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में पहली बार नाम आया 20 साल की उमर में, साल था 1993 । राकेश तिवारी नाम के लफंगे ने उसकी बहन को देखकर सीटी बजा दी. श्रीप्रकाश ने उसे तत्काल मारडाला और पुलिस से बचने के लिए बैंकॉक भाग गया।
लौटा तो उसके मुंह में खून लग चुका था और उसे ज्यादा की दरकार थी। बिहार में मोकामा के सूरजभान में उसे गॉडफादर मिल गया। धीरे-धीरे उसने अपना एंपायर बिल्ड किया और यूपी, बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और नेपाल में सारे गैरकानूनी धंधे करने लगा। उसने फिरौती के लिए किडनैपिंग, ड्रग्स और लॉटरी की तिकड़म से लेकर सुपारी किलिंग तक में हाथ डाल दिया. एक अंदाजे के मुताबिक, अपने हाथों से उसने करीब 20 लोगों की जानें लीं।

श्रीप्रकाश एक शान-ओ-शौकत वाली जिंदगी जी रहा था. लेकिन उसे और ज्यादा चाहिए था। उसे एहसास था कि यूपी में बड़े-बड़े माफिया हैं जो उसे नौसिखिये से ज्यादा नहीं समझेंगे। उन्हें ठोंक-पीट के ही अपने नीचे लाना होगा. उसने तय कर लिया कि वह एक-एक करके हर मठाधीश का काम लगाएगा।
शाही को बीच लखनऊ में भून दिया
यूपी में क्राइम की दुनिया की धुरी था। महाराजगंज के लक्ष्मीपुर का विधायक वीरेंद्र शाही। 1997 की शुरुआत में श्रीप्रकाश ने लखनऊ शहर में वीरेंद्र शाही को गोलियों से भून दिया। हल्ला हो गया की नए लड़के ने शाही को पेल दिया। पुराने माफियाओं की भी हवा टाइट हो गई। श्रीप्रकाश ने अपनी हिट लिस्ट में दूसरा नाम रखा कल्याण सरकार में कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी का। जो चिल्लूपार विधानसभा सीट से 15 सालों से विधायक थे। जेल से चुनाव जीत चुके थे। श्रीप्रकाश ने अचानक तय किया कि चिल्लूपार की सीट उसे चाहिए । उसने बहुत कम समय में बहुत दुश्मन बना लिए।
यूपी कैबिनेट में हरिशंकर तिवारी को छोड़कर वह पूरी ब्राह्मण लॉबी के करीब था।
STF की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रभा द्विवेदी, अमरमणि त्रिपाठी, रमापति शास्त्री, मार्कंडेय चंद, जयनारायण तिवारी, सुंदर सिंह बघेल, शिवप्रताप शुक्ला, जितेंद्र कुमार जायसवाल, आरके चौधरी, मदन सिंह, अखिलेश सिंह और अष्टभुजा शुक्ला जैसे नेताओं से उसके रिश्ते थे ।
बिहार सरकार में बाहुबली मंत्री थे बृज बिहारी प्रसाद। UP के आखिरी छोर तक उनका सिक्का चलता था। श्रीप्रकाश शुक्ला ने पटना में उन्हें गोलियों से भून डाला. 13 जून 1998 को वह इंदिरा गांधी हॉस्पिटल के सामने वह अपनी अपनी लाल बत्ती कार से उतरे ही थे कि एके-47 से लैस 4 बदमाश उन्हें गोलियों से गुड आफ्टरनून कह के फरार हो गए।
इस कत्ल के साथ श्रीप्रकाश का मैसेज साफ था, कि रेलवे के ठेके को उसके अलावा कोई छू नहीं सकता. कई छुटभइयों बदमाशों को तो उसने दौड़ा दौड़ा कर मारा था।
बृजबिहारी के कत्ल का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि यूपी पुलिस को ऐसी खबर मिली कि उनके हाथ पांव फूल गए। श्रीप्रकाश शुक्ला ने यूपी के CM कल्याण सिंह की सुपारी ले ली थी । 6 करोड़ रुपये में सीएम की सुपारी लेने की खबर UP पुलिस की STF के लिए बम गिरने जैसी थी।
STF का अब एक ही मकसद था- श्रीप्रकाश शुक्ला, जिंदा या मुर्दा । सारे घोड़े दौड़ा दिए गए। अगस्त 1998 के आखिरी हफ्ते में पुलिस को अहम सुराग मिला। पता चला कि दिल्ली के वसंत कुंज में श्रीप्रकाश ने एक फ्लैट लिया है। उसका धंधा अंधेरे में ही परवान चढ़ता था. शाम का झुटपुटा होते ही वह अपने मोबाइल फोन से कॉल करने लगता।
मगर उससे एक बड़ी गलती हो गई. उसके पास 14 सिम कार्ड थे. लेकिन पता नहीं क्यों, जिंदगी के आखिरी हफ्ते में उसने एक ही कार्ड से बात की. इससे पुलिस को उसकी बातचीत सुनना और उस इलाके को खोजना आसान हो गया।
पुलिस को पता चला कि वह वसंत कुंज के अपने ठिकाने से निकलकर अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने गाजियाबाद जाएगा । पुलिस ने उसकी वापसी के समय जाल बिछा दिया. दिल्ली-गाजियाबाद स्टेट हाइवे पर फोर्स लग गई.
दोपहर 1.50 बजे उसकी नीली सिएलो कार मोहननगर फ्लाइओवर के पास दिखी तो वहां पुलिस की 5 गाड़ियां तैनात थीं ।
स्टेट हाइवे से एक किलोमीटर हटकर उसे घेर लिया गया. उसने भी रिवॉल्वर निकाल ली. उसने 14 गोलियां दागीं तो पुलिस वालों ने 45. मिनटों में उसका और उसके साथियों का काम तमाम हो गया. तारीख थी 22 सितंबर 1998. सवा 2 बजे तक ऑपरेशन बजूका पूरा हो गया था।
शुक्ला का ऐसा अंत नहीं होता अगर वह बदमाशी और रंगबाजी के नशे में चूर न होता. वह राजनीति में उतरना चाहता था और मुमकिन है कि जल्दी ही कानून से पटरी बैठा लेता. उसकी मौत से कुछ महीनों पहले लोग मजाक में कहने लगे थे कि कहीं वह यूपी का मुख्यमंत्री न बन जाए।



शनिवार, 4 जुलाई 2020

ये है सिर्फ सिनेमा या फिर सोची समझी साजिश है-


बॉलीवुड के बादल छाये,
बदलावों की बारिश है,

ये है सिर्फ सिनेमा या फिर
सोची समझी साजिश है,

याद करो आशा पारिख के
सर पे पल्लू रहता था,

हीरो मर्यादा में रहकर 
प्यार मोहब्बत करता था,

प्रणय दृश्य दो फूलों के
 टकराने में हो जाता था,

नीरज, साहिर के गीतों पर 
पावन प्रेम लजाता था,

लेकिन अब तो बेशर्मी के 
घूँट सभी को पीने हैं,

जांघो तक सुन्दरता सिमटी, 
खुले हुए अब सीने हैं,

नयी पीढियां कामुकता के 
घृणित भाव की प्यासी हैं,

कन्यायें तक छोटे छोटे 
परिधानों की दासी हैं,

क्या तुमको ये सब विकास का 
ही परिचायक लगता है,

हनी सिंह भी क्या समाज का 
शीर्ष सुधारक लगता है?

क्या तुमको पश्चिम के ये 
षडयंत्र समझ में आते हैं?

क्या शराब की कंपनियों के
 लक्ष्य नही दिखलाते हैं?

लल्ला लल्ला लोरी वाली 
लोरी भी बदनाम हुयी,

और कटोरी दूध भरी अब
 दारू वाला जाम हुयी,

बोतल एक वोदका पीना 
काम हुआ है डेली का,

वाइन विद आइस नारा है 
पीढ़ी नयी नवेली का,

राष्ट्र प्रेम की फिल्मे देखों 
औंधे मूह गिर जाती हैं,

पीकू पीके कचड़ा करके
 रुपये करोडों पाती हैं,

खुदा-इबादत-अल्लाह-रब ही
 गीतों में अब छाये हैं,

सेक्सी राधा डांस फ्लोर तक
 देखो ये लाये हैं, 

निज परम्परा धर्म और
 संस्कारों पर आघात है ये,

जिसे सिनेमा कहते हो इक 
जहरीली बरसात है ये,

कर्मा, बॉर्डर, क्रांति, सरीखा 
दौर पुनः लौटाओ जी,

या फिर चुल्लू भर पानी में 
डूब कहीं मर जाओ जी...