रात ठहर गई है मुझमे दिन भी रुक सा गया है।
यह कैसा आलम है सब कुछ टूट सा गया है।
लोग समझते नहीं इस भयानक त्रासदी को
अभी तू कुछ नही हुआ बहुत कुछ बिगड़ने वाला हैं।
घर मे रहो और जहाँ हो वही रहो तुम चुप चाप
जिंदगी अगर रही तो सब कुछ ही मिलने वाला है।
अपने निवाले के साथ कुछ करो चिंता गरीबों की
रखो भगवान पर भरोसा ये दिन भी बदलने वाला है।
रचना- लव तिवारी
09- मई-2020
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